अजय का सपना बिना मात्रा के मजेदार बाल कहानी है
जब कोई बच्चा नया नया पढना सीखता है तो उसे कहानियां पढने का बहुत शौक होता है पर ज्यादा मात्राओं की समझ न होने के कारण वो पढ नही पाता इसलिए मैने कुछ अलग अलग प्रयास किए ताकि वो बच्चे जिन्होने हाल ही मे पढना सीखा है और मात्राए लगाना नही जानते बस आ की मात्रा ही आती है ये कहानी उन बच्चों के लिए है देखिए कैसे फटाफट पढ लेंगें वो ये मजेदार बाल कहानी
अजय का सपना
(वह बच्चें जिन्होनें अभी सिर्फ आ की मात्रा लगाना सीखा है वे यह बाल कथा पढ़ सकते हैं क्योंकि इसमें सिर्फ आ की मात्रा का प्रयोग किया गया है।)
अजय चार साल का नटखट बालक था। अमन उसका बड़ा भार्इ था। अमन समझदार था। वह समय पर पाठशाला जाता। अमन पाठ याद करता पर अजय का जब मन करता तब जाता जब मन ना करता तब बहाना बना कर घर पर ठहर जाता। वह पापा का लाड़ला था। अमन सब समझता था। वह पाठशाला जाता-जाता यह गाना गाता जाता कल बनाना नया बहाना।
एक बार अचानक आवश्यक काम आ गया। माँ तथा पापा कार पर शहर गए। अजय साथ जाना चाह रहा था पर पापा दरवाजा बंद कर बाहर ताला लगा गए। बस, घर पर अजय तथा अमन रह गए।
अमन छत पर समाचार पत्र पढ़ रहा था। उस पर बदमाश तहलका लाल का नाम छपा था। वह तलवार वाला खतरनाक बदमाश था। अजय उसका नाम जानकर ड़र गया। अचानक आसमान पर काला बादल छा गया। घर का दरवाजा खट-खट बज उठा। अजय छत पर ड़रकर खड़ा गाल पर हाथ रखकर पापा-पापा रट रहा था।
यकायक वह बदमाश छत पर आ टपका। उसका रंग एकदम काला था। हाथ पर लाल कपड़ा बंधा था। वह तलवार पकड़ अजय पर लपका तथा हंसा। जब बालक पाठशाला ना जाता, तब हम आता उसका कान काट का जाता, हा! हा! हा!
अजय अचानक ड़र कर मचल गया। वह जाग गया। वाह! वह सब सपना था। अमन पाठशाला जाकर घर आ गया था तथा खाना खा रहा था। बाहर आसमान साफ था। वह माँ, पापा, अजय आवाज लगाता भागा तथा अपना सारा सपना बताया।
अब वह कल पाठशाला जाना चाह रहा था। अमन खाना खाता, मजाक बनाता कह उठा, हाँ……..हाँ कल बनाना नया बहाना पर अजय कह उठा कल बहाना ना बनाऊँगा झटपट उठकर पाठशाला जाऊँगा तथा अपना कान पकड़ कर हँस पड़ा।
अजय का सपना बहुत साल पहले राजस्थान पत्रिका जयपुर से प्रकाशित हुई थी. आप बताओ कि आपको कहानी कैसी लगी !!!