आदत से मजबूर
रवि बाबू को सुबह और शाम घूमने का बहुत शौक है वही सुभाष जी जब तक शाम अपने यार दोस्तों के साथ न गुजार लें उन्हे तसल्ली नही होती.. अब आते हैं असलियत है रवि बाबू को सिग्रेट पीनी होती है छुप छुप कर और सुभाष जी को शराब पीनी होती है…तो जनाब… छिप छिप के या खुले आम पीजिए खाईए खाईए.
पान मसाला,जर्दा या शराब पीजिए.दिक्कत क्या है? बस इतनी की परिवार जन रोकते है.कोई बात नही. अरे पागल है वो सब अक्ल थोडे ही ना उनको.. आप जारी रखे. अरे …क्या होगा ज्यादा से ज्यादा. आप अस्पताल मे दाखिल हो जाएगे. 4-5 लाख रुपए ख्रर्च हो जाएगे.
परिवार बिखर जाएगा.लोन या उधार लेना पडेगा या फिर हो सकता है तकलीफ सहन ना करने की वजह से आप इच्छा मृत्यु की कामना करे पर वो भी ना मिले.उफ आप भी ना. टेंशन ना ले जब होगा तब देखेगे. अभी तो खाईए खाईए. छुप छुप कर या चोरी चोरी से 🙂
आदत से मजबूर
Photo by naysheℓℓ64



Leave a Reply