जानवर और हम
घर के सामने से एक महिला बच्चों के साथ जा रही थी. बच्चे आपस मे लड रहे थे और महिला बोल रही थी क्या कुत्ते बिल्ली की तरह लडते रहते हो…मैं सोचने लगी कि हम लोग जानवरों का नाम हम कितनी सहजता से ले लेते हैं.
कुछ दिन पहले एक जानकार बता रही थी कि उसकी बेटी तो एकदम गाय है गाय. वो तो उसकी सास ही नागिन की तरह फुंकारती रह्ती है. वही मेघा अपने छोटे भाई को बंदर की उपाधि दे रखी है. मनुज ने बताया जब वो बाल कटवाने गया तो नाई ने कहा कि क्या रीछ की तरह बाल बढा रखे हैं. अक्सर सुनने में यह भी आता है कि फलां आदमी तो बैल की तरह सारा दिन चरता ही रहता है या क्या खा खा कर हाथी बने जा रहा है.
विजय का कहना है कि उसका मालिक खुद तो सारा दिन भौकते रहता है और उससे गधे की तरह काम करवाता रहता है. आफिस मे कुछ लोग तो गिरगिट की तरह रंग बदलने मे माहिर होते हैं तो वही कुछ लोग किसी के आगे शेर बन जाते हैं तो कोई किसी के सामने भीगी बिल्ली. मिताली भी किसी से पीछे नही है उसका मानना है कि उसकी आखे हिरणी की तरह है. निशा अपनी जेठानी के लिए कहती है कि वो तो लोमडी की तरह चालाक है और जेठ बिच्छु जैसा !!! इतना ही नही. किसी को किसी की नजर चील जैसी लगती है तो यह कहने से भी कोई पीछे नही हटता कि तुम्हारी अक्ल घास चरने गई है क्या?? बात बात पर कछुए और खरगोश का उदाहरण देना आम बात है!! इसके इलावा सुअर, उल्लू, मुर्गा आदि नाम का इस्तेमाल भी अक्सर हमारे द्वारा होता रहता है.
तो देखा आपने जानवरो की आड मे हम लोग क्या क्या नही बोल जाते. इतना ही नही अब बात को ज्यादा क्या बढाना वैसे आप खुद ही समझदार हैं कुछ लोग तो बात बात में जानवरो के बच्चो को भी बीच मे ले आते हैं. हे भगवान !!! … कैसी भेडचाल है ये !!! वैसे आप तो ऐसे नही होंगें है ना !!!
जानवर और हम