डाक्टरी सलाह और हमारी मानसिकता
ऐसा भी होता है..!!
कल एक सहेली को किसी डाक्टर से कुछ सलाह लेनी थी सो मैने एक बहुत ही काबिल और अनुभवी डाक्टर का पता बता दिया. आज मैनें ही फोन करके पूछा कि डाक्टर साहब के कैसा रहा ?
इस पर वो बोली कुछ खास अच्छा नही रहा. तसल्ली सी नही हुई. वो लगभग फ्री बैठे थे ना मरीजो की लम्बी लाईन थी और ना ही वो फोन सुनने में व्यस्त थे पूरा समय लगाकर रिपोर्ट भी देखी और चैक अप भी किया..
कोई बीमारी भी नही बताई और फीस भी बहुत कम ली. सोच रही हूं दिल्ली जाकर किसी डाक्टर को दिखाऊं… मैने भी कहा कि यही ठीक रहेगा और फोन रख दिया..
असल में, हमें आदत ऐसी पड गई है कि जब तक चार पांच टेस्ट और दो चार अजीबो गरीब भारी भरकम बीमारी न बताई जाए और जेब से हजारों रुपये न निकले तब तक feeling नही आती कि हमें कुछ हुआ है..
हालाकि वहां भी कोई उसकी बीमारी नही निकलेगी क्योकि कुछ है ही नही पर जब बीस तीस हजार खर्च करके आएगी तब जरुर उसे तसल्ली मिलेगी… वैसे आपकी क्या राय है ??
Photo by wakefielddavid
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