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धारावाहिकों के किरदार
एक जानकार को डिनर पर आमत्रित करने के लिए फोन किया तो उन्होने कहा कि वो साढे नौ बजे के बाद ही घर से चलेगें क्योकि वो अपना पसंदीदा सीरियल छोड नही सकते. वैसे ये कहानी घर घर की है पर मेरा मानना ये है कि टीवी सीरियल सीरियसली कभी नही देखना चाहिए क्योकि ना सिर्फ मुख्य किरदार कभी भी बदल सकते हैं बल्कि कहानी 10- 20 साल तक भी आगे जा सकती है और तो और पूरी कहानी ही बदल सकती है … कुछ समय पहले एक सीरियल आता था लौट आओ तृष्षा … कहानी हट कर थी इसलिए देखना शुरु किया .. इस मे वो बच्ची भी थी जो बजरंगी भाईजान मे थी.
खैर, देखते ही देखते अच्छी खासी सस्पैंस वाली कहानी बिल्कुल ही बदल गई. फिर उसमे अलग अलग कोर्ट केस ही रह गए जिसका पहले की कहानी से कोई लिंक ही नही था और केस भी ऐसे जो हर बार नई कहानी लेकर आते जैसाकि अदालत सीरियल मे होते थे कभी वो सीरियल 40 मिनट का होता कभी 50 मिनट का और फिर अचानक सीरियल ही बंद हो गया.
एक धारावाहिक महाराणा प्रताप आ रहा है दो साल आगे कर दिया कोई दिक्कत नही दिक्कत तब आई जब मुख्य पात्र अकबर को ही बदल दिया. जरा सोचना चाहिए जो अपना समय निकाल कर इन धारावाहिको को देखते हैं उनके दिल पर क्या गुजरती होगी .एक समय था जब 13 एपिसोड ही होते थे दर्शक दिल से देखते थे फिर एपिसोड की संख्या बढने लगी अब तो कोई हाल ही नही. शायद ही कोई बिरला सीरियल होगा जिसका कभी कोई किरदार ही न बदला हो… यकीनन सभी किरदार बहुत मेहनत करते हैं और अपना बेस्ट भी देते हैं पर अगर देखते ही देखते किरदार ही बदल जाए तो दर्शक बेचारा भी क्या करे किसके पास जाए किसके पास रोना रोए … आज के फास्ट लाईफ मे वो भी तो समय निकाल रहा है ना देखने के लिए ….
तो अगर आप किसी भी धारावाहिक को देख रहे है जरुर देखिए उसका पुन प्रसारण भी देखिए पर अचानक बदलाव के लिए भी तैयार रहिए और सबसे अहम बात ये कि इन सीरियल्स को सीरियसली देखना बंद कर दीजिए…