बहुत बदल गया है वो !! हालांकि पिछ्ले कुछ दिनो
से उसमे बदलाव तो महसूस हो रहा था.सिर्फ मै ही नही मेरे आस पास के लोगो ने
भी इस बदलाव को महसूस किया पर खुल कर नही कहा. बस दबी दबी आवाज मे उन लोगो
की फुसफुसाहट सुनती रही.
पर देखते ही देखते अचानक इतना बदलाव आ जाएगा
विश्वास सा नही हो रहा.वही दूसरी तरफ बार बार मन एक ही बात कह रहा था कि परिवर्तन ही
नियम है और मुझे सहज ही स्वीकार कर लेना चाहिए.
बहुत सोच विचार के मैने अपना मन पक्का किया कि अगर यही सही है तो ठीक है मैं भी तैयार हूं
और “मौसम” के इस बदलाव का स्वागत करती हूं. सुबह शाम की हल्की हल्की ठंडक
और शाम का जल्दी ढल जाना और सुबह का देरी से आना… सर्दी के “मौसम” के बदलाव की
मीठी सी दस्तक है. .. है ना !!
आक्छी !!! आक्छी !!!
अरे क्या हुआ? जी हां, मै तो मौसम के बदलाव की ही बात कर रही थी और आप कुछ और समझ बैठे !!!