बेचारी महिलाएं
बहुत समय से कोई नया आईडिया या विचार मन मे नही आ रहा था क्या लिखूं .. क्या लिखूं ..!! क्या लिखूं ..!! जब वाकई में कुछ समझ नही आया तो हाथ मे कागज पैन पकडा और निकल गई बाहर कुछ भी, कही भी, कुछ नया खोजने.
सडक पर जा रही थी कि कोई आपस मे बातचीत हो रही थी….कि क्या करुं बाल बहुत झडने लगे. कितनी दवा दारु की पर कोई फायदा नही हुआ. तुम्हे पता चले तो कोई घरेलू नुस्खा बताना.
बस मे चढी तो बात हो रही थी.. खाईए ना.. घर की बनी मिठाई है. मैने ही बनाई है.
शापिंग सैंटर पहुची तो वहां भी कम नजारा नही था. एक दूसरे को कोहनी मार कर बात हो रही थी .. वो देखा सामने से मिसेज सिन्हा आ रही है इतनी लाल चटक लिप्स्टिक लगाई है मानो किसी का खून पी कर आई हो. और फिर बहुत तेज ठहाके की आवाज आई.
वहां कुछ देर शापिंग करने के बाद एक दफ्तर मे जाना हुआ तो वहां मिलने वालो की लम्बी कतार लगी हुई थी पर वो बतियाने मे ही व्यस्त कि क्या करु…!! बहु, बहुत धीरे धीरे कार चलाती है इसलिए हमेशा आने मे देरी हो ही जाती है….हाँ नही तो.!!!
एक घर के आगे से गुजरी तो आवाज आई कि बहू से तुम्ही बात करके देखना … मुझे तो हर हालत मे बडी वाली कार चाहिए और मायके जा रही है तो अपनी जांच भी करवा ले .. कही बेटी हुई तो !!!!!
थोडी देर थक कर बैठी तो कोई सैर करते हुए सामने से बोलते हुए निकले बहुत दिनो से गोलगप्पा नही खाया आज तो हो ही जाए … फ्रूट चाट और रसमलाई भी ..!!!
मै बहुत खुश थी कि आहा आज का दिन बहुत अच्छा रहा. बहुत बाते सुनने को मिली. क्या??? आपको नया नही लगा???? जी नही .. ये तो बिल्कुल नया है.
असल मे, यह जितनी बाते आपने पढी है वो “पुरुष” आपस मे बाते कर रहे थे महिलाए नही …!!! जी क्या कहा आपने ??? तो फिर मैने टाईटल ऐसा क्यो लिखा है …!!! उफ ये महिलाए!!! अब गलत फहमी तो होगी ही ना !!
उफ !!! आप भी बहुत जल्दबाजी करते हैं .. पूरा तो पढा नही …असल मे, ज्यादा बडा टाईटल तो लिख नही सकते है पर मेरा यही कहना था कि “उफ बेचारी महिलाएं” तो एवैई ही बदनाम है.
कैसा लगा आपको मेरा लिखा ये लेख …. जरुर बताईएगा !!!