दीदी की चिठ्ठी, दैनिक नवज्योति, जयपुर से हर रविवार प्रकाशित होने वाला नियमित स्तम्भ …इसमे दीदी यानि मैं अलग अलग बातें करके नन्हें बच्चों का मनोंरंजन करती और मनोरंजन के साथ अक्सर सीख भी छिपी होती ….
शरारती बच्चे, छुट्टियां और घर परिवार
हैल्लो नन्हे दोस्तो,
कैसे हो! क्या हो रहा है? इतना शोर शराबा !!अरे बाप रे !!! धमाचौकडी!! पता है कल नन्हे नोनू ने इतनी जोर से तकिया उछाला कि वो पंखे पर ही अटक गया. गोलू इतनी जोर से छ्लांग लगता है बिस्तरे से जमीन पर कि पूछो ही मत और पता है नन्ही नैना को तो मिट्टी खाने का बहाना चाहिए जब भी मौका मिला बस बाहर पहुचं जाती है. मैने प्यारी सी मणि से पूछा कि आप क्या कर सकती हो तो पता है वो मुझे तोतली आवाज मे क्या बोली. इसने कहा… दीदी, मैं छब तुछ् तल छ्कती हूं. आप दोलो मै वही तलूदी. मैने उसे कहा अच्छा अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपनी नाक पर लगा कर दिखाओ. उसने बहुत कोशिश की पर वो नही कर पाई. फिर उसने कहा कि दीदी तुछ दूसली बात बताओ. मैने उसे एक कागज दिया और कहा कि इसे बराबर करके मोड कर दिखाओ आप सात बार से ज्यादा फोल्ड नही कर पाओगे. मेरी बात सुनकर वहां, नोनू और मणि की मम्मी भी आ गई. मणि की मम्मी ने कहा कि ये तो जरा भी मुश्किल नही वो तो इस कागज को दस बार भी मोड सकती है. खैर, मणि ने पहले कोशिश की .असल मे 5 बार मोडते मोडते कागज इतना मोटा हो रहा था कि और नही मोडा जा रहा था. सातवीं बार ही इतना मुश्किल हो गया था उसे मोडना. मणि की मम्मी और कागज ले आई पर कितना भी बडा कागज ले लो वो 7 बार से ज्यादा हम नही मोड सकते.नोनू ने भी बहुत कोशिश की पर सब बेकार. घर मे एक अजीब सी चुप्प्पी छा गई थी. मणि की मम्मी खुश हो गई और बोली कि ऐसी बाते अच्छी है क्योकि कम से कम बच्चे चुपचाप तो लगे रहते है अपने काम मे.काम से मुझे याद आया कि मुझे भी एक बहुत जरुरी काम है पर जाते जाते एक बात आप सभी से जरुर कहूगी कि “हम सब कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है पर सच्चाई यह है कि कुछ पाने के लिए कुछ करना पडता है”.आप करिए और देखिए सफलता आपके साथ साथ होगी.
शुभकामनाओ सहित
आपकी दीदी
मोनिका गुप्ता
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