संसद की मानसून सत्र
21 जुलाई से आरम्भ हुए सत्र में कोई हलचल नही हुई कोई काम नही हुआ पर आखिरी दिन आखिर मीडिया को टीआरपी बढाने वाला मुद्दा मिला. और मुद्दा था राहुल गांधी के काथ में वो कागज जिसे पढ कर वो संसद में बोले थे.
कल मीडिया को राहुल बाबा के हाथ में एक कागज क्या मिल गया … हल्ला मच गया और तो और हंसी इस बात पर भी आई कि मीडिया कहता कि वो अंग्रेजी में सोचते हैं !!! अरे !! भला ये क्या बात हुई … सभी अपने अपने अंदाज में सोचते हैं … इसमें क्या बडी बात है अब क्या सोच भी अंग्रेजी, या हिंदी या इटली मे होगी … क्षमा करें वैसे मैं आपको बता दू कि कार्टूनिस्ट भी अपने ही अंदाज में सोचते हैं समझ लीजिए हम बैठे हैं और कुछ सोच रहे हैं … हम भी रेखाओं में सोचते हैं कभी बादल कभी पहाड … समय मिला नही कि रेखाओ से कल्पना के घोडे दौडाने लगते हैं तो बात का बतगंड काहे बनाना … इस सत्र को इस प्रकार से सोचा … क्या समझ आया … !!!
वैसे क्या आप बता सकते हैं कि ये क्या बना है ??? 🙂
संसद की मानसून सत्र , लडाई झगडा , भैंस , पानी … लो गई भैंस पानी में …