सैलरी डबल- एक बार फिर सांसदों की सैलरी का मुद्दा गरमा गया है इससे पहले 2010 में वेतन दुगुना हुआ था. आम लोगों के अच्छे दिन आएं न आएं, लगता है सांसदों के तो आ ही जाएंगे। प्रस्ताव कहता है कि सांसदों की स्वास्थ्य सुविधाओं में उनके बच्चों के अलावा पोते-पोतियों को भी शामिल कर लिया जाए।
MPs’ salaries – Navbharat Times
फोटो शेयर करें जैसे-जैसे हमारे अधिकांश सांसदों के संसदीय बर्ताव और काम करने के तौर-तरीकों में गिरावट आ रही है, वैसे-वैसे सुविधाओं की उनकी मांगें बढ़ती जा रही हैं। बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली संसद की संयुक्त समिति ने कहा है कि सांसदों के वेतन को दोगुना कर दिया जाए। इस समय सांसदों को मासिक वेतन 50,000 रुपये मिलता है। बात यहीं तक सीमित नहीं है।
सांसदों का दैनिक भत्ता 2000 रुपए से अधिक करने और पूर्व सांसदों का पेंशन भी 75 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी सन 2010 में की गई थी। बहरहाल, समिति ने कहा है कि सांसदों के लिए ऑटोमैटिक पे रिविजन की व्यवस्था हो ताकि समय-समय पर बढोतरी स्वयं होती रहे। 34 हवाई यात्राओं में 25 फीसदी किराए के प्रावधान से भी सांसद संतुष्ट नहीं हैं। समिति ने 20 से 25 फ्री हवाई यात्राओं सहित करीब 60 सिफारिशें की हैं। इनमें निजी सचिव के लिए प्रथम श्रेणी के एसी रेल-पास की मांग भी शामिल है।
सांसद ग्राम योजना के तहत कुछ भले न हुआ हो, आम लोगों के अच्छे दिन आएं न आएं, लगता है सांसदों के तो आ ही जाएंगे। प्रस्ताव कहता है कि सांसदों की स्वास्थ्य सुविधाओं में उनके बच्चों के अलावा पोते-पोतियों को भी शामिल कर लिया जाए। गौरतलब है कि अपने क्षेत्र में काम कराने के लिए प्रत्येक सांसद 45,000 रुपए का भत्ता हर महीने पाने का हकदार है। ऑफिस के खर्च के लिए भी माहवार इतनी ही रकम मिलती है।
कपड़े और परदे धुलवाने के लिए हर तीसरे महीने 50,000 रुपए मिलते हैं। सड़क मार्ग का इस्तेमाल करने वाले सांसदों को 16 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से यात्रा भत्ता मिलता है। लेकिन यह सब इन्हें कम लगता है। ऐसा लगना स्वाभाविक इसलिए है कि हमारे ज्यादातर सांसदों की नजरें उन लोगों पर रही ही नहीं जिनका प्रतिनिधित्व वे करते हैं।
अगर अपने आम वोटरों की जिंदगी पर, उनके जीवन की तकलीफों-चुनौतियों पर नजर डालने का वक्त इन्हें मिले तो शायद इनकी भी प्राथमिकता कुछ बदले। मगर, राजनीति का जो चरित्र बनता जा रहा है, उसमें इसकी संभावना तलाशना आकाश कुसुम तोड़ने जैसा ही हो गया है। ऐसे में यह उम्मीद भर जताई जा सकती है कि वेतन के साथ वे अपनी गरिमा बढ़ाने पर भी ध्यान दें तो बेहतर होगा। See more…