स्कूल जाने का जुनून
पुस्तक “पाठक मंच न्यूज बुलेटिन”(नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित)
अंक- मई “खेल खेल में “नामक लेख में सिरसा के अमन मिढ्ढा से बातचीत…
हरियाणा के सिरसा में रहने वाले अमन ने एक मिसाल कायम की है. दसवीं क्लास में पढने वाले अमन ने लगातार पांच साल में एक बार भी स्कूल से छुट्टी नही ली.शत प्रतिशत उपस्थिती …है ना हैरानी वाली बात .. इस बेमिसाल उपलब्धि के लिए सेंट जेवियर्स स्कूल ने अमन को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. अमन उन बच्चों के लिए प्रेरणा है जो स्कूल जाने के नाम से कतराते हैं और बहाना बना कर स्कूल बंक करते हैं. अमन ने हर क्लास मे प्रथम स्थान प्राप्त किया है. हम सभी को अमन से सीख लेनी चाहिए. खुशी इस बात की भी है कि अब अमन के छोटे भाई नमन ने भी भाई की कदमो पर चलना शुरु कर दिया है.
बहुत बहुत शुभ कामनाएं अमन, नमन और परिवार में उनके मम्मी पापा और दादा जी को जिन्होने बच्चों को हमेशा उत्साहित किया…
चलों चले स्कूल ( लेख )
स्कूल जाने का जुनून
स्कूली जीवन यानि पढाई पढाई पढाई !!! और अगर हम बात करें फरवरी और मार्च की तो उस समय और भी ज्यादा पढाई में जुटना पडता है क्योकि फाईनल परीक्षा होती है और हमारी कोशिश रहती है कि अच्छे से अच्छे अंक लेकर नई क्लास में जाए.वैसे बहुत बच्चे पढाई के प्रति गम्भीर नही होते जबकि कुछ बच्चे सत्र के आरम्भ से ही नियमित पढाई शुरु कर देते हैं. कुछ बच्चे तो हमेशा छुट्टी की ही फिराक में रहते हैं और कोई शादी या नाना, दादी जी के पास जाने का मौका ही तलाशते रहते हैं ताकि पढाई से छुटकारा मिले. वही कुछ बच्चे “बहाना एकस्पर्ट” भी होते है.स्कूल जाने के नाम से अचानक पेट दर्द या सिर दर्द शुरु हो जाता है और मिल जाती है स्कूल से छुट्टी. पार्क में खेलते हुए बच्चों से मैने बहुत अनुभव सांझा किए.
दीपा, नवनीत, गीता, सार्थक, मुबीन और तेज पाल सभी का नई क्लास मॆं दाखिला हो गया है और अब वो छुट्टी कम से कम लेंगें और मन लगा कर पढेंगें ऐसा उनका कहना है. उनसे बात हो ही रही थी तभी दो और बच्चे अमन और नमन भी आ गए.
अमन मिढढा से जब स्कूल की पढाई और छुट्टी की बात की तो वो हसंने लगा और उसने बताया कि अब तो दसवीं क्लास में है और पिछले पांच साल का उसका रिकार्ड है कि वो लगातार स्कूल गया है. एक दिन भी छुट्टी नही की. क्या ?? मैं हैरान थी कि ऐसा भी होता है. उसने बताया कि पिछले साल उसे स्कूल की तरफ से एवार्ड और प्रशस्ति पत्र भी मिला है. उसने बताया कि स्कूल में बहुत अच्छा लगता है नई बातें नई चीजें सीखते हैं और पढाई पर भी पूरा ध्यान रहता है छुट्टी करके अगले दिन उधर उधर से कापी मांगना होमवर्क करना , टेस्ट ना दे पाना जरा भी अच्छा नही लगता इसलिए कोशिश यही रहती है कि छुट्टी न की जाए.
मेरे अटकते अटकते पूछ्ने पर कि कभी बीमार नही पडॆ ??? इस पर वो हसंते हुए बोला कि बुखार भी होता है और बीमार भी होते हैं पर दवाई खा कर चले जाते हैं और दोपहर तक तो आ ही जाते हैं तब आराम हो जाता है. और रही बात किसी शादी या कोई कार्यक्रम में जाने की. वो स्कूल मिस करके कभी नही जाता और ना ही जाएगा. अरे वाह !! अचानक मैं बोल उठी. क्योकि बच्चों की सोच आमतौर पर जरा हट कर होती है और अमन अपनी उम्र के हिसाब से बहुत सुलझा हुआ लगा. बातों बातों में अमन ने यह भी बताया कि नियमित स्कूल जाने के लिए उसके मम्मी पापा और दादा जी ने भी बहुत उत्साहित किया और अब और बच्चे भी उससे सीख कर नियमित आने का प्रयास करते हैं तो और भी खुशी होती है.
वैसे इस बात में कोई दो राय नही कि पढाई के प्रति अगर हम शुरु से ही नियमित रहें और खेल कूद के साथ साथ सामान्य ज्ञान की पुस्तकें पढते रहें तो हम आने वाली किसी भी स्पर्धा का डट कर मुकाबला कर सकते हैं. तो बच्चों क्या सोचा तो फिर चलो, चले स्कूल !!!
स्कूल जाने का जुनून