प्रकृति और पर्यावरण की गोद मेंं हम
आज कार पार्किंग के पास दो चालक आपस में भिड गए कारण बस इतना था कि वहां एक पेड् था जिसकी छाया में दोनो कार खडी करना चाहते थे पर पहले वाला अपनी कार हटाने को तैयार ही नही था…
हाल ही में पर्यावरण दिवस गया .. अखबार हो या न्यूज चैनल या सोशल नेट वर्किंग साईट सभी जुटे पडे थे और ऐसा महसूस हो रहा था कि इनसे बेहतर प्रकृति का कोई ख्याल रख ही नही सकता … पर दिन चला गया और सब यथावत हो गया
बहुत साल पहले मैने कही पढा था कि अगर मन उदास हो परेशान हो तो पेड से लिपट कर् जोर से चिल्लाओ आपका दर्द गायब हो जाएगा … यकीन मानिए मैने ये किया था, बेशक जोर से नही चिल्ला पाई पर पेड से कस कर जरुर लिपट गई और मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ… वैसे डाक्टर भी बहुत तनाव दूर करने के लिए यही कहते हैं मार्निग वॉक करो या हवा पानी बदलो यानि किसी शांत जगह जाओ और रिलेक्स करो…
नेचर पर बहुत तरह के स्लोगन भी हैं
चलो प्रकृति की ओर
प्रकृति का न करे हरण आईए बचाए पर्यावरण
पर्यावरण का रखे ध्यान तभी बनेगा देश महान
बिन मांगे वायु मिली, बिन मांगे ही नीर, मोल न समझा मानव यही प्रकृति की पीर
मैने कही पढा भी था कि मैनें गिलहरी पाली कुछ समय बाद वो चली गई … मैने तोता पाला कुछ समय बाद वो उड गया.. मैने पेड लगाया तोता भी वापिस आ गया और गिलहरी भी…वाकई, घर में छोटे छोटे पौधे लगे हो और उन्हे पानी देना बहुत सुखद अहसास होता है और जब उस बगीचे में कभी चिडिया और कभी तितल्री आती है तो मन गार्डन गार्डन ही हो जाता है.
प्रकृति का सानिध्य बहुत प्यारा और बेहद उर्जावान है… जो न सिर्फ हमे ताजगी देता है पर हमारे थके दिमाग को रिलेक्स भी करता है और आज तो मैने बहुत ही प्यारा आर्टिकल भी पढा. जिसमे लिखा था कि
अमरीका और जापान जैसे विकसित देशों में तनाव से निपटने का एक नया तरीक़ा इस्तेमाल किया जा रहा है. इस थेरेपी का नाम है ‘फॉरेस्ट बाथिंग’ या ‘जंगल स्नान’. नाम भले नया हो, इसके सिवा इसमें कुछ भी नया नहीं. इसमें लोगों को जंगल में, पेड़-पौधों के बीच वक़्त बिताने कहा जाता है. उन्हें बताया जाता है कि जंगल में आराम से टहलते हुए वक़्त गुज़ारें. पेड़-पौधों की ख़ुशबू सूंघें, पत्तियों की सरसराहट को सुनें, पेड़ों से गुज़रती हवा को महसूस करें.
तनाव से बचने के लिए ‘फ़ॉरेस्ट बाथिंग’ – BBC हिंदी
बरसों पहले स्कॉटलैंड के लेखक रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन ने कहा था, ”जंगल अपनी ख़ूबसूरती की वजह से लोगों का दिल नहीं लुभाते. असल में वहाँ की हवा बेहतरीन होती है. पेड़ों से निकलती मादक ख़ुशबू, दिमाग़ पर गहरा असर डालती है. इससे थका हुआ इंसान बेहतर महसूस करने लगता है. जंगल उसकी आत्मा को छूकर ज़िंदगी का नया राग छेड़ देते हैं.” read more at bbc.com
Persistence is the law of nature – www.bhaskar.com
जिंदगी जुझारू होती है। आप इसे मौका दें तो यह खुद को दुरुस्त करने और वापस पुराने स्वरूप में लौटने की पूरी कोशिश करेगी। सृष्टि के हर जीव में अपनी पुरानी स्थिति में लौटने की ताकत होती है। raghu@dainikbhaskargroup.com । हरियाणा के सिरसा में रहने वाली कार्टूनिस्ट मोनिका गुप्ता ने अपने फेसबुक पेज पर तुलसी के पौधे की एक तस्वीर पोस्ट की थी, जो ठंड में पानी न देने की वजह से सूख गया था। इसमें एक भी पत्ती नहीं बची थी। मोनिका उसकी जगह एक नया पौधा लाना चाहती थीं, लेकिन उस शाम मौसम खराब होने वजह से वह बाहर नहीं जा पाईं, लिहाजा उन्होंने गमले को यूं ही छोड़ दिया। तीन दिन बाद मौसम थोड़ा ठीक होने पर उन्होंने देखा कि तुलसी के उस सूखे पौधे की टहनियों पर हरी-हरी नई कोंपलें उग आई हैं। मोनिका यह देखकर खुश थीं कि पौधा वापस पुरानी स्थिति में आने लगा है। उन्होंने तुरंत गमले में पानी और कुछ खाद वगैरह डाली। उन्हें इस बात की भी खुशी थी कि उन्होंने तीन दिन पहले पौधे को मरा हुआ समझकर इसे जड़ से नहीं उखाड़ा। मैं नहीं जानता कि मुझे इस वक्त उस पपी का ख्याल कैसे आ गया। यदि उसका उपचार बंद नहीं किया जाता तो हो सकता है कि वह ठीक होकर वापस पुरानी स्थिति में लौट आता, या नहीं भी लौटता। मैं नहीं जानता। इस बारे में डॉक्टर ही बेहतर सलह दे सकते हैं। लेकिन मेरे जेहन में एकबारगी ऐसा ख्याल जरूर आया। मैंने तुरंत मोनिका गुप्ता की पोस्ट पर ‘लाइक’ का बटन क्लिक कर दिया।
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वैसे पहाडी क्षॆत्रों पर तो हरियाली का अलग ही मजा है पर वैसे कुछ दिनों पहले मुम्बई जाना हुआ पर खुशी इस बात की हुई कि वहां भी हरियाली बहुत मिली .. फूलो से लदे पेड खूबसूरत पेड माहौल और भी खूबसूरत बना रहे थे…
कुल मिलाकर यही कहना चाह रही हूं कि प्रकृति से प्रेम करिए और इसके सानिध्य में रहिए और नही रह सकते तो पौधा लगा कर उसकी परवरिश जरुर करिए
Photo by Neticola
Photo by MacBeales
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