Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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April 22, 2015 By Monica Gupta

साक्षरता दिवस

अथ श्री साक्षरता दिवसाय नम:

चलो जी, हर साल की तरह इस साल भी आ गया साक्षरता दिवस. मन मे एक अलग सा ही उत्साह था कि देखते है कि इस साल के आंकडे क्या कहते है यानि क्या हमनें साक्षरता को लेकर सोपान चढी है या …. !!!! खैर चैनल लगाया तो अंट शंट खबरो के इलावा कुछ भी नही आ रहा था. मैने सोचा शायद आज के दिन को भूल गए है या अभी तक सर्वे जारी होगा. शाम तक ताजी रिपोर्ट आ जाएगी.eduction  photo

वैसे मेरे दिमाग मे भी पत्रकार का कीडा कुलबुला रहा था सोचा कि मै क्या किसी से कम हूं … चलो, साक्षरता दिवस पर   लोगो के साक्षात्कार ले कर आती हूं साक्षरता के बारे मे. मोबाईल और पेपर पैन उठाया और कूद पडी पडी मैदान मे. तभी सिर पर मूली के छिलके गिरे. मै घबरा गई और ऊपर देखा तो दूसरी मंजिल वाली आंटी खिसिया गई और बिना माफी मांगे कोलगेट स्माईल लिए बोली कि वो का है ना आज कूडे वाला तो आएगा नही … मूली के छिलके पडे पडे सूख रहे थे सोचा सडक पर ही डाल दू गाय खा लेगी … भला हो जाएगा उसका … फिर उल्टे ही मुझसे पूछने लगी कि कही जा रही हो क्या.. गुस्सा तो मुझे बहुत आया पर खुद को संयत करती हुई बोली कि आज साक्षरता दिवस है लोगो का साक्षात्कार लेने जा रही हूं.इस पर वो वैसी ही स्माईल बरकरार रखती हुई बोली … वाह !!! मेरा भी ले लो. डबल एम ए पास हूं और आजकल जनसम्पर्क विभाग मे सोशल वर्क में काम कर रही हूं.

मन तो उस समय ऐसा हुआ कि …. पर मैने अपने आप को समझाया कि कंट्रोल मोना … फिर चेहरे पर मुस्कान लिए मै बोली कि वो क्या है ना कि किसी से समय फिक्स किया हुआ है नही तो जरुर लेती आपका …. कहती हुई मे बाल और कपडे झाडती हुई वहां से निकल गई.
सामने कालिज था. बहुत लडको का झुंड खडा था .मै उनके ओर जाने को हुई ही थी कि वो सामने से गुजरती हुई लडकियो को गंदे गंदे कमेंट देने लगे. लडकियां तो सिर झुका कर चली गई पर उसी समय जब वहां से जब टीचर निकली तो उन्हे देखकर जोर जोर से हंसने लगे. मुझे इस समय वहा कुछ भी बोलना सही नही लगा और मै दूसरी तरफ मुड गई. मै सोच रही थी कि कूडा फेकने वाली आंटी या कालिज जाने वाले स्टूडेट आखिर किस श्रेणी मे आते हैं साक्षर या निरक्षर या अनपढ …!!! साक्षरता दिवस … हे भगवान !!!
उदास मन लिए थोडा और आगे बढी तो एक झुगी झोपडी से जोर जोर के पीटने की आवाजे आ रही थी. मां अपने बच्चे को पीट रही थी. असल मे, बच्चा स्कूल जाना चाह्ता था जबकि मां उसे ना जाने के लिए पीट रही थी कि पढ कर भी क्या निहाल करेगा. अभी से कमाएगा तो ही जी पाएगा नही तो … !!!मै आगे बढ कर कुछ समझाने को हुई ही थी कि इसने मुझे बहुत गुस्से से देखा और देखते ही देखते वहां भीड इकट्टी होने लगी तो मैने समय की नजाकता को देखते हुए चुपचाप खिसकना ही सही समझा.
थोडी आगे जाने पर मैने देखा कि शायद साक्षरता दिवस पर यहा कोई प्रोग्राम होने वाला है यहां तो पक्का ही कोई ना कोई अच्छा साक्षात्कार मिलेगा ही. तभी सामने से एक बडी सी गाडी आकर रुकी .अचानक चौकीदार उस गाडी सवार से सभ्यता से बोला बोला कि सर, आप कार आगे खडी कर लिजिए. यहा नो पर्किंग का बोर्ड लगा है. इस पर कोट पैंट पहने सभ्य दिखने वाला बाबू असभ्यता पर उतारु हो गया. तू है कौन ??? तू जानता है मै कौन हूं ??? मेरे एक इशारे पर तेरी छुट्टी समझ … बडा आया मुझे कहने वाला … मुझे … !!! कहते कहते ना जाने किसे उसने मोबाईल मिला लिया और जिससे भी बात की उसे तुरंत आने को कहा..

सच पूछो तो मेरा मन तो शुरु से ही उदास हो रहा था पर पर अब इतना कुछ देख कर मन वापिस जाने को करने लगा. और मै घर वापिस लौट गई.
सोफे पर धडाम से बैठते हुए खबरे लगाई तो ब्रेकिंग न्यूज आ रही थी …”आकंडे बता रहे है कि देश में अनपढ लोगो की संख्या विश्व भर मे सबसे अधिक ”
उफफफफ … मैने सिर खुजलाते हुए चैनल ही बदल दिया और मन ही मन बोल उठी … साक्षरता दिवस….अथ श्री साक्षरता दिवसाय नम: !!!!!

December 3, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

कैसे कैसे समाज सेवी

कैसे कैसे समाज सेवी

पिछ्ले  दिनो  कुछ समाज सेवियों से वास्ता पडा. आप सोच रहे होंगे कि ये वास्ता शब्द किसलिए इस्तेमाल किया.तो ज्यादा हैरान या परेशान होने की जरुरत नही. सुनिए! एक महाशय बस या ट्रेन मे सफर करना पसंद करते है और अपनी यात्रा के दौरान लोगो को बिस्कुट चाय इत्यादि भी देते हैं. आप सोच रहे होगे तो क्या हुआ ये तो अच्छी बात है.ओहो, पूरी बात तो सुनिए आप तो बोलते बहुत है. हां, तो अक्सर चाय और बिस्कुट पीने के बाद वो व्यक्ति बेहोश हो जाता है और वो उसका सारा सामन लेकर रफूचक्कर हो जाते है.

एक महाशय तो और भी बढ कर हैं. असल मे वो, जरुरत मंद की किसी ना किसी रुप मे मदद करते है और फिर उनके घर मानो डेरा ही जमा लेते हैं. अहसान के तले बेचारा बोल ही नही पाता और उनका पूरा परिवार उन्हे झेलने पर मजबूर हो जाते हैं.

कैसे कैसे समाज सेवी !!! एक और महानुभाव है. असल मे, उनके लिंक सरकारी बाबू से लेकर अफसर और फिर मंत्री जी तक हैं. अब जिसे भी कोई काम निकलवाना होता है वो सीधा उनके पास जाता है और सैंटिग के अनुसार काम हाथो हाथ हो जाता है. अब भई वैसे तो यह बहुत अच्छी बात है पर इस बीच “जरा सा” कमीशन भी तो बनता है बस “जरा सा” लेते है क्योकि समाज सेवी जो है. जनता जनार्दन का दर्द वो नही देख सकते.

एक बुजुर्ग महाशय है. उन जैसी लग्न तो मैने कही नही देखी. असल मे. 60 साल के हो गए है. पर खुद को स्वीट 30 ही समझते हैं और बालो मे तेल लगा कर, कपडो पर इत्र का छिडकाव करके और कपडे अच्छी पर इस्त्री करके अपना स्कूटर लेकर लडकियो के कालिज की तरफ दो घंटे के लिए निकल जाते है और किसी लडकी को बस स्टेण्ड तक लिफ्ट देनी हो या कही जाना हो तो उनका स्कूटर तैयार रहता है. इस सिलसिले मे पुलिस भी उन्हे धमका चुकी है पर समाज की सेवा का प्रेम इस कदर सवार है कि बस पिट पिटा कर भी वही पहुंच जाते हैं.

आप सोच रहे होगे की महिला का जिक्र नही आया क्या महिला समाज सेवी नही?? जी नही. वो भी बिल्कुल है. असल मे, एक महिलाओ का समूह है. वो शादी करवाता है. यानि शादी के लिए लडकियां उपलब्ध करवाता है.आप सोच रहे होंगे कि तो क्या हुआ. आजकल लडकियां मिलती कहा है पर साहब आगे तो सुनिए शादी होने के सात दिन  रुपया गहना लेकर उडन छू और और पूरा समूह भी किसी और “बेचारे” की तलाश मे.

अब आप इसे क्या मानेगे ना !!! ये आपके ऊपर है !!! क्या !!! आप भी कह उठे …कैसे कैसे समाज सेवी !!!

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