Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 17, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बड़े बुजुर्गों की अहमियत – एक प्रेरक कहानी

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

बड़े बुजुर्गों की अहमियत – एक प्रेरक कहानी  – bade buzurgo ki ahmiyat  बड़े बुजुर्गों का महत्व बहुत है हमारी जिंदगी में और उनके अनुभव से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.  एक कहानी ऐसी भी – बड़े बुजुर्गों के अनुभव से सीखना चाहिए

बड़े बुजुर्गों की अहमियत – एक प्रेरक कहानी

एक कहानी ऐसी भी – बड़े बुजुर्गों के अनुभव से सीखना चाहिए – Motivational & Personal Development Videos in Hindi by Monica Gupta… https://monicagupta.info
एक कहानी ऐसी भी – बड़े बुजुर्गों के अनुभव से सीखना चाहिए … नेट पर पढी  प्रेरक कहानी
एक बुज़ुर्ग से महिला ने पूछा कुछ नसीहत या शिक्षा दीजिये
तो बुजुर्ग ने अजीब सवाल किया
कभी बर्तन धोये हैं?

उस महिला ने हैरान होकर जवाब दिया *जी कभी कभार धोये हैं
बुजुर्ग ने पूछा क्या सीखा?_

उस महिला ने कहा इसमें सीखने वाली बात क्या है?

बुज़ुर्ग ने मुस्कुराकर जवाब दिया_

बर्तन को बाहर से कम, अन्दर से ज़्यादा धोना पड़ता है

हम भी शरीर को धोने में लगे हुए है
*मन को कब धोएंगे?

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May 3, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज

इंसान और भगवान

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज – ek kahani yeh bhi .एक बार की बात है अक्सर कहानी ऐसे ही शुरु होती है कहानी लेखन भी एक कला है और कहानियां हमेशा कुछ न कुछ सीखा कर जाती हैं और अगर बड़े बुजुर्गों का महत्व ki kahani हो तो…

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज

सरप्राईज  अक्सर अच्छे भी लगते हैं और चौंका देते हैं … आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रही हूं ये कुछ समय पहले मैने लिखी थी …और कहानी का शीर्षक है सरप्राईज

हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज

कहानी है 70 साल के राम बाबू की … राम बाबू सोफे पर अध लेटे टीवी पर सपरिवार  सीरियल  देख रहे थे. उसमे एक सीन दिखा रहे थे कि परिवार के बुजुर्ग का जन्मदिन होता है और सभी मिल कर सरप्राईज पार्टी देते हैं.

अचानक मन ही मन दिमाग पर जोर डाला तो राम बाबू को याद आया कि परसो उनका भी जन्मदिन आ रहा है. जरुर उनके परिवार वाले भी कुछ सरप्राईज देंगें.

 

 

देखते ही देखते परसो का दिन भी आ गया. राम बाबू हमेशा की तरह तैयार हो गए.पर सुबह से किसी ने उन्हे मुबारक बाद नही दी .राम बाबू मन ही मन यही सोच कर खुश होते रहे कि बच्चे सरप्राईज  दे रहे हैं  ना इसलिए विश नही कर रहे.

दोपहर को सोते हुए उन्होने कुछ सुना तो था कि बाबू जी को वहा ले जाएगे उन्हे पता नही नही चलेगा. खैर वो चुपचाप रहे. शाम हुई .बच्चे तैयार हुए और बोले की बाजार चलो कुछ काम है आपका भी मन बदल जाएगा.

रामबाबू इसी बात का इंतजार कर रहे थे उन्होने 100 -100 रुपए के लिफाफे बच्चो को  बधाई स्वरुप देने के लिए जेब मे डाल लिए थे.

वो कार में बैठे और बच्चे कुछ सामान डिक्की में रखवा रहे थे …  बाजार जरा दूर था .वो सोचते जा रहे थे कि ना जाने कहा पार्टी होगी. किस किस को बुलाया होगा सच आज उनकी पत्नी सुषमा उनके साथ होती तो कितनी खुश होती.

तभी उनके पोते ने बोला…. दादाजी उठिए … आखं खुली तो सामने वृद्ध आश्रम था. उनकी सांस वही रुक गई. बच्चे कार की डिग्गी से  सामान उतार रहे थे. इतने मे आश्रम का चौकीदार भागा भागा आया.और वो सामान ले जाने लगा. बेटा बोला…  बाबूजी … आज  आप !!!!

रामबाबू सन्न रह गए .ये कैसा सरप्राईज था.

तभी पोते ने आवाज दी. दादू उठो  !!! आप तो सो ही गए थे! धबरा कर वो उठे और जान मे जान आई कि वो सब सपना ही था पर आखं खुलते ही सामने वही वृद्ध आश्रम था.

इस बार वो सपना नही था. सच, मे उन्हे वही लाया गया था. उधर चौकीदार भागता भागता आया और बोला आपका ही इंतजार था. बडी मुश्किल से खुद को संयत करके कापंते पैरो से वो भीतर पहुचे …. तो वो बहुत बडा सरप्राईज था.

उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर सभी बूढे लोगो को बांट्ने के लिए कंबल मगवाए गए थे. अपनी सोच पर गर्दन झटकते हुए आखो मे खुशी के आसूं लिए वो सभी को कंबल बांढने मे जुट गए और सरप्राईज पार्टी यादगार बन गई …  बच्चे अपने प्यारे दादू  को मुबारक बाद देने मे जुट गए.

कई बार सरप्राईज ऐसा भी होता है …

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बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – Monica Gupta

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – chocolate सभी बच्चों को अच्छी लगती है … कितनी खिला दो पर कभी मन नही भरता … बाल साहित्यकार, हिन्दी बाल कहानियाँ बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – Monica Gupta

 

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October 26, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी

स्वच्छता का महत्व - स्वच्छ भारत अभियान में हमारा योगदान

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी-ये कहानी सुमन और कुसुम दो महिलाओं की है…. जिंदगी में बस दिन भर चैट, लाईक और कमेंट करना ही काफी नहीं इसके आगे भी बहुत कुछ है पर क्या ??? जानने के लिए आपको सुननी पडेगी – एक कहानी ऐसी भी- हिन्दी लघु कहानी

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी

वो दो सहेलियां थी, बिल्कुल पक्की वाली. नाम था कुसुम और सुमन. दोनो की पढाई एक ही स्कूल मे हुई  और फिर एक ही कालिज में दाखिला हुआ और फिर दोनों की शादी भी एक ही शहर में हुई. दोनो लडकियों को उनके परिवार वाले और दोस्त बहनें ही बुलाते थे और कहते कि पिछ्ले जन्म में दोनो सगी बहनें ही होगी तभी तो इस जन्म में इतनी पक्की दोस्ती है.

शादी के बाद दोनो अपना अपना घर सम्भालने में व्यस्त हो गई. दोनो के एक एक बच्चा भी हो गया और दोनों अपनी अपने गृहस्थी में मस्त हो गई. एक शहर में रहने के बाद भी दोनों जल्दी से मिल नही पाती थीं. एक दिन अचानक मार्किट में दोनो का सामना सामना हो गया. कुसुम सुमन को देख कर और सुमन कुसुम को देख कर हैरान रह गई. कुसुम जहां हमेशा की तरह एक्टिव और स्मार्ट थी वही सुमन बिल्कुल बदल गई थी.

थोडी ज्यादा ही मोटी भी हो गई थी  बिल्कुल घरेलू टाईप महिला बन गई थी… सुमन ने कुसुम से पूछा कि तुमने तो जरुर नौकरी ज्वाईन कर रखी होगी तभी तो इतनी स्मार्ट लग रही हो… इस पर कुसुम बोली … अरे नही बिल्कुल नही … घर पर बाबूजी हैं और बेटा भी बहुत छोटा है उनकी देखभाल करनी होती है ऐसे में नौकरी का तो सोच भी नही सकती… सुमन ने उसका नम्बर लिया और पूछा कि वो वटसअप पर या फेसबुक पर तो होगी तुम ?? चैट किया करेंगें…

कुसुम भी खुश हो गई और अपना नम्बर देते हुए बोली अरे वाह … फिर तो मैं भी तुम्हें फ्रेंड रिक्वेट भेजूगी … कुछ देर बात करके दोनो सहेलिया अपने अपने घर चली गई..

शाम को कुसुम ने देखा उसके वटस अप पर सुमन ने ढेर सारे मैसेज भेजे हुए थे और फेसबुक पर भी वो दूसरो पर खूब कमेंट करती रहती. दो चार बार तो कुसुम ने जवाब दिया पर वो ज्यादा समय चैट पर नही रहती थी. उसका कारण था कि कुसुम को जब भी घर के काम से समय मिलता वो ब्लॉगिंग करती उसने एक ब्लॉग बनाया हुआ था और घर के काम से फुर्सत मिलते ही उसी पर व्यस्त रह्ती.

असल में, उसे शुरु से ही प्रकृति नेचर  बहुत पसंद थी इसलिए उसी पर अलग अलग फोटो क्लिक करती और उस पर डालती और उस पर कुछ न कुछ लिखती रहती.

उसने सुमन को भी फेसबुक पर लगातार एक्टिव रहते हुए देख कर बहुत बार बोला कि तुम भी कुछ करो पर हमेशा समय कहां है सारा दिन तो घर का काम ही खत्म नही होता और कामों की लम्बी चौडी लिस्ट बता देती और बात टाल जाती पर कुसुम समझ गई थी कि वो करना ही नही चाह्ती इसलिए बहाना बना रही है क्योकि घर परिवार का जितना काम कुसुम को होता उतना ही सुमन को रहता … दोनो का छोटा बच्चा और बाबूजी थे यानि काम एक जैसा सा ही था पर सुमन घर के काम से फारिक होकर वटसअप या फेसबुक पर चैटिंग और मैसेजिंग में जुट जाती.

वही कुसुम अपने समय का सही उपयोग कर रही थी. वटस अप हो या फेसबुक समय सभी को देती पर कुछ थोडा ज्यादा समय अपने शौक को देती. और आज ना सिर्फ वो बहुत क्रिएटिव हो गई बल्कि उसमें आत्मविश्वास भी बहुत आ गया अपने सर्कल में उसका नाम के साथ साथ मान सम्मान  और पहचान बनने लगी  बहुत लोग जानने लगे  और उस से टिप्स भी लेने लगे.

वही दूसरी ओर सुमन थी … दिनभर बस चैट, लाईक और कमेंट करती वो किसी भी मुकाम पर नही पहुंच पाई थी और ना ही अपनी पहचान बना पाई थी.

हो सकता है उसके मन में एक दर्द, एक टीस सी तो उठती हो पर उसे ज्यादा न सोच कर गर्दन झटकती उस बात से ध्यान हटाती वो फिर जुट जाती किसी की पोस्ट लाईक करने, किसी पर ताना कसने में …

एक दिन जब सुमन किसी पर कमेंट कर रही थी एक जानकार महिला का उसके पास मैसेज आया उस पर लिखा था कि कि आपकी फ्रेंड लिस्ट में कुसुम जी है जरा मेरी उनसे जान पहचान करवा दीजिए प्लीज …वो बहुत क्रिएटिव है और उन्ही की तरह बनना चाहती हूं इसलिए उनसे मिलना चाहती हूं …

सुमन ने कल मिलवाने  की बात कही और अगले दिन सुबह ही वो कुसुम के घर जा रहे थे. कुसुम ने दोनो को चाय सर्व की और सुमन के साथ आई महिला से मिलकर बहुत खुश हुई कि वो भी कुछ करना चाह्ती है क्योकि आमतौर पर कुछ महिलाएं नेट पर रहती तो सारा समय है पर कुछ क्रिएटिव करना हो या कुछ अलग करना हो तो समय न होने का बहाना बना देती हैं जबकि घर बैठे बैठे अपनी एक अलग पहचान बनाने का ये सबसे अच्छा माध्यम है…

कुसुम ने अपने बारे में बताया कि उसे प्रकृति की फोटो लेने का बहुत शौक था बस इसी शौक को कोनटिन्यू रखा और अपनी एक सहेली मणि से ब्लॉग बनवाया  उसमे आर्टिकल फोटो पोस्ट करती रही …और सोचा भी न था कि इसके शौक को इस कदर पसंद किया जाएगा… उस महिला ने बताया कि उसे कुकिंग का बहुत शौक है … इस पर कुसुम ने कहा कि फिर तो वो बहुत कुछ कर सकती है… नई नई डिश सीखाए … और नेट से और भी नई नई डिश बनाना सीखे … अपने अनुभव शेयर करे … बहुत कुछ है कर दिखाने को बस मन में लग्न होनी चाहिए और एक दिन ऐसा भी आएगा जब अपने शौक के साथ साथ ये करियर भी बन जाएगा और सोर्स ऑफ इंकम भी …

वही सुमन उन दोनों की बातों में खो सी गई सच … ये सब कितना आसान था … और वो बस अपना समय ही वेस्ट करती रही …और दो साल में उसे मिला क्या… कुछ नही न अपनी पहचान बनी और न वो क्रिएटिव… अब उसे भी जिंदगी में कुछ बनना है घर बैठे बैठे ही वो बहुत कुछ करके दिखाएगी

कुसुम के घर से बाहर निकलते निकलते वो सोच रही थी कि वो भी अपने भीतर छिपे  इंटर्स्ट को खोज कर जल्द ही कुसुम के पास आएगी और वो भी अपनी पहचान जरुर बनाएगी..

और मन बना लिया कि कल ही वो कुसुम के पास जाकर अपनी जिंदगी को नई पहचान देगी… वो भी कुछ कर के दिखाएगी…

वैसे आपने क्या सोचा घर पर रहते हुए भी क्या आप भी अपनी पहचान बनाना चाहती हैं …एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी-

वैसे अगर आप  भी जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं तो प्लीज सोचिए मत कर डालिए … आप भी किसी के लिए आदर्श या प्रेरणा बन सकते हैं

बच्चों की छोटी कहानियाँ – Monica Gupta

दीदी की चिठ्ठी नियमित स्तम्भ बच्चों की छोटी कहानियाँ हो या बडी कहानियां बाल लेखन ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है.नेशनल बुक ट्र्स्ट , हरियाणा साहित्य अकादमी read more at monicagupta.info

एक कहानी की मौत – Monica Gupta

संदीप घर से हंसता मुस्कुराता निकला। उसकी पत्नी बेबी ने बाहर आकर उसे बाय-बाय किया और अपनी पड़ोसन नीलम से बतियाने लगी। संदीप दफ्तर के सौ कामों के बीच छोटी बहन रीना के बारे में सोचता मोटरसाइकिल दौड़ाए चला जा रहा था। कल रीना को लड़के वाले भी देखने आ रहे हैं। उसकी छोटी-सी प्यारी बहन दुल्हन बनकर घर से विदा हो जाएगी और एक नया संसार उसका घर होगा जहां वो किसी की चाची, ताई, आंटी, जेठानी, बड़ी बहू या फिर रीनू बनकर रम जाएगी। read more at monicagupta.info

 

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी – आपको कैसी लगी… जरुर बताईगा .. !!

 

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