सत्यम शिवम सुंदरम- ॐ नम: शिवाय
सत्यम शिवम सुंदरम …वातावरण शिवमय हो रहा है. मंदिर मे लम्बी भक्तों की कतारे शिवलिंग पर दूध चढाने के लिए आतुर… बाबा भोले नाथ की बहुत बातें ऐसी हैं जो जाने अंजाने हमें शिक्षा दे जाती हैं….
हम सभी जानते हैं कि शिव जी ने विष का पान किया था. ना तो उसे निगला था और ना ही उगला था. बस गले में ही रखा था, ठीक वैसे ही, हमें भी, घर की विष रुपी परेशानी को ना तो बाहर किसी को बताए और ना ही उसे दिल से लगा कर बैठे. कलह हर घर में होती है, लेकिन अगर वो उसे बाहर के लोगो को बताएगे तो बात बढ़ जाएगी और अगर गले से नीचे उतार लेगे तो खुद तबियत खराब करके बैठ जाएगे.
शिव जी के माथे पर जैसे चादँ शांति का प्रतीक है, हमें भी वैसे ही अपना दिमाग शांत रखना चाहिए. उनके मस्तक से निकली गंगा भी इसी बात की प्रतीक है कि गुस्से के पल को भी शांत होकर बिताएं.
घर परिवार मे छोटे-मोटे फैसले लेते हुए मन को शांत रखें अगर खुद ही बात-बात पर चिल्लाकर बोलेगें तो घर मे झगडा ज्यादा बढ़ जाएगी. बात यह भी नही है गुस्सा करना ही नही चाहिए. करे पर वो भी एक मर्यादा मे रह कर ही करें अन्याय, अनुशासन हीनता आदि के लिए अगर गुस्सा किया जाए तो मगंलकारी ही होता है और इसके साथ साथ परिवार के सदस्यो के इस बात का भय होना भी जरुरी होना चाहिए कि अगर वो उचित आचरण नही करेगे तो बडे बुजुर्ग नाराज हो सकते हैं.वैसे भी तुलसी दास जी ने कहा है कि “भय बिन होहि ना प्रीति”… इसलिए परिवार का मुखिया अगर कठोरता और कोमलता दोनो दिखाता है तो कोई गलत बात नही हैं. कठोरता और कोमलता का सही मात्रा मे होना बहुत जरुरी है.
एक अन्य उदाहरण है कि जैसे शिव जी का वाहन बैल, उमा का वाहन सिहं, शिव का कंठ हार सर्प, गणेश जी का मूषक और कार्तिक का वाहन मोर है पर शिव की महिमा देखिए आपस मे पुश्तैनी दुश्मनी होते हुए भी सर्प, बैल, सिंह, मूषक, मोर सभी एकता और प्रेम मे बंधे हुए है .हमे भी इसी दिशा मे प्रयास करते रहना चाहिए कि किस प्रकार सभी को प्यार से और ज्यादा खुशहाल कैसे रखा जा सकता है …
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दहेज ना लेकर उन्होने जो कुरीतियो का दमन किया. ये सबक हमे हमेशा ध्यान मे रखना चाहिए. गणेश और कार्तिक दो बच्चों का शिव पार्वती का छोटा सा परिवार था. उसी का अनुकरण हम लोगो को भी करना चाहिए.