पत्रकार, पत्रकारिता और नेताजी – Journalists क्या वाकई में मक्खी है ?“बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” beti bachao beti padhao पर मैने कुछ दिन पहले अपने blog ब्लॉग पर article लिखा और उसमे मैने Modi “जी” , मनोहर लाल “जी” करके नेताओ को सम्बोधित किया तो एक पत्रकार journalists ने कमेंट किया कि आप भी पत्रकार journalists हैं और यह पत्रकार को शोभा नही देता कि आप नेताओ को “जी” कह कर सम्बोधित करें … !!
पत्रकार, पत्रकारिता और नेताजी
बेशक, मैं भी Zee News reporter रही हूं पर जब भी किसी मंत्री का साक्षात्कार लिया या तो बात सीधा प्रश्न से की या फिर अगर नाम भी लिया तो “ज़ी” लागने से कभी गुरेज नही किया. वैसे कई न्यूज चैनल पर भी मैने देखा है कि मंत्री से नाम लेकर बात करते हैं पर कई चैनल वाले बात करने के दौरान या बहस करते समय “जी” शब्द का इस्तेमाल करके गरिमा भी बनाए रखते हैं.बेशक, बेशक पत्रकारिता की पढाई में यही सीखाया जाता है पर हकीकत में ऐसा नही होता …
मेरा मानना है कि अगर हम किसी आरोप के सिलसिले में नेता से बात कर रहे हैं मान लीजिए वो जेल जा रहे है तो यकीनन “जी” की जरुरत नही. . बात जी लगा कर हो या बिना जी लगाए … गरिमा जरुर बनाए रखनी चाहिए..
Journalists should be like honey-bee: Modi |
Credibility is a major challenge for the media as, he said, “merely reading the news is not enough but one has to read between the lines to ascertain whether it is credible.”
Guwahati: Prime Minister Narendra Modi asked journalists to be like honey-bees–producing honey and at the same time stinging– and not like house-fly which only spreads dirt. Modi said “the media faces immense challenge in a fast-moving society like ours. Earlier, we got news once in 24 hours but now we get at least 24 news in one minute and the challenge is to be trusted and remain credible”.
Guwahati: Prime Minister Narendra Modi asked journalists to be like honey-bees–producing honey and at the same time stinging– and not like house-fly which only spreads dirt. Journalists should Read more…
रवीश कुमार और प्राईम टाईम – Monica Gupta
मैं अक्सर रात नौ बजे NDTV का प्राईम टाईम देखती हूं दूसरे चैनलों की चिलम चिल्ली से अलग अक्सर रवीश जी का प्राईम टाईम कार्यक्रम एक सुकून सा देता है… उनका लगातार बोलने का तरीका अन्य एंकर्स से अलग कैटागिरी में खडा करता है. कल रात भी कुछ ऐसा ही हुआ. चैनल लगाया तो स्क्रीन काली थी और रवीश जी बोल रहे थे… बोल क्या रहे थे सच्चाई बया कर रहे थे. जिसे हम लोग लगभग हर रोज बेहद खिन्न और दुखी मन से अपने फेसबुक , Google , Twitter पर लिखते हैं ऐसे में इतने बडे चैंनल के एक सीनियर जर्नलिस्ट का इस तरह से बोलना वाकई हिम्मत का काम है… यकीन मानिए कार्यक्रम खत्म होते होते तक मैं खुद भी इमोशनल हो गई क्योकि जिस तरह से उन्होनें अपनी बात रखी काबिले तारीफ थी. read more at monicagupta.info
खबरों की खबर – Monica Gupta
खबरों की खबर खबरों की खबर तिल का ताड बनना हो या राई का पहाड .. खबरिया चैनलों का कोई सानी नही. होता कुछ है बताते कुछ है दिखाते कुछ और ही है और जैसे निष्पक्ष पत्रकारिता तो रही नही इस विषय में भी बहुत सवाल खडे हुए हैं . बस खबर बनानी है … वो भी हट कर एक्सक्लूजिव read more at monicagupta.info
या फिर हम किसी नेता के उसके बडबोले बयान या हिंसा फैलाने वाले बयान पर साक्षात्कार ले रहे हैं तो गरिमा बनाए रखनी चाहिए पर जी लगाना उचित नही पर अगर कोई नेता अच्छा और देश हित के लिए सार्थक प्रयास कर रहा है और हम उनके बारे में लिख रहे हैं तो एक आध बार अगर सम्मान दिखा भी देंगें तो कोई फर्क नही पडेगा.. या फिर किसी नेता को हम आदर मान देकर अपने न्यूज स्टूडियो बुलाते है तो उसे आदर देना तो बनता है … वैसे पत्रकार होने का यह मतलब भी नही होना चाहिए कि आदर,मान ही भूल जाओ और नाम ले ले कर उनसे बात करो …
पत्रकार होने का यही अर्थ है ?? क्या पत्रकारिता यही है कि नेता जी का सम्मान न किया जाए.
मैने उस पत्रकार को तो कुछ नही कहा सिर्फ स्माईल देकर बात वही खत्म कर दी पर
आपका क्या विचार है इस बारे में जरुर बताईगा …
पत्रकार, पत्रकारिता और नेताजी