Monica Gupta

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May 5, 2017 By Monica Gupta 2 Comments

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य – बच्चों को कैसे समझाए

 Art of Public Speaking in Hindi

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य  – बच्चों को कैसे समझाए –  परवरिश की जिम्मेदारी माता पिता की है इसलिए स्मार्ट पेरेंटिंग या स्मार्ट पेरेंटस कैसे बनें परवरिश के कुछ सुझाव जरुर समझने चाहिए. Bacche ke parvarish mai mata pita ka kartavya

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य  – बच्चों को कैसे समझाए 

कल एक जानकार घर आए हुए थे उनका बेटा 10 11 साल का है इसके पास छोटा सा वीडियो गेम था जब मैने दिखाने को कहा तो बेटे ने मना कर दिया … और मेरी known भी बहुत गर्व के साथ बोली मेरा बेटा अपनी कोई चीज किसी के साथ शेयर नही करता … उसे बताते हुए गर्व हो रहा था … अब बताईए क्या ये गर्व की बात है .. ?? जब माता पिता ही ऐसी बातों को बढावा देंगें तो बच्चा सही बाते कैसे सीखेगा …

जबकि हम माता पिता को बच्चे को mentally prepare करना चाहिए ये बच्चे को स्ट्रांग बनाने के लिए होती है ना कि कमजोर बनाने के लिए

 

 

सुनने में भले ही अच्छी ना लगे पर बच्चों को

1 चीजें शेयर करना आना चाहिए … अपनी चीजे शेयर भी करे और दूसरों की हेल्प भी करे…

2 बच्चों का friend बनना चाहिए ताकि आपसे हर बात शेयर करें और इधर उधर से अधकचरा ज्ञान  न मिले …

मेरी सहेली ने बताया कि वो प्लकिंग करती थी … चेहरे पर बाल … उनकी बेटी देखती वो बोलती अरी कुछ नही तू चल जा वहीं वो हर रोज पापा को शेव करते देखती उसे लगा कि एक बार ब्यूटी पार्लर मे जब गई वहा भी देखा कि लडकिया बाल निकलवा रही हैं शायद ये करना सभी को जरुरी होता होगा …

और एक बार  बच्ची ने उत्सुकता वश पापा का रेजर लेकर पूरे चेहरे पर लगा लिया … ऐसा दो तीन बार किया जब मम्मी को पता चला खूब पिटाई हुई…

3 नशे के बारे मे समय समय पर सचेत करते रहना चाहिए कि इससे दूर रहना चाहिए ..

4 लाईफ के बारे में बताए … बच्चों को प्रेरक कहानियां सुनाए और साथ ही साथ बताएं कि जिंदगी में उतार चढाव आते रहते हैं.. हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए

5  पैसे पेड पर नही लगते … उसे कमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है बातें तो और भी हैं फिलहाल इन बातों पर ध्यान दीजिए

6 ईमानदार सच्चाई , समय की वेल्यू जैसी बातें तो हम समझाते ही रहते हैं पर बच्चो के सुखद भविष्य के लिए उन्हें शारीरिक ही नही बल्कि मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाना हमारा फर्ज है…

 

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता – Monica Gupta

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April 6, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता

 Art of Public Speaking in Hindi

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही  –  माँ और बच्चे का रिश्ता – Mata pita Bacche ko bold baney kamzor nahi  – bache ka bhavishya  kaise majboot karey . how to make your child physically strong , Don’t make your child a coward,   , आपका प्यार बच्चे को कमजोर तो नही बना रहा ??

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही  –  माँ और बच्चे का रिश्ता

कल घर पर एक सहेली आई हुई थी उनका बच्चा खेलते खेलते गिर गया … ओह !! मैं जैसे ही उठने को हुई उसने मुझे रोक लिया…वो बोली कोई नही उसे खुद उठने दो … ज्यादा प्यार दिखाया तो बिगड जाएगा …

बेशक मेरी सहेली का ध्यान बच्चे पर ही था पर वो मजबूत बनी बैठी रही … कुछ ही पल में बच्चा रोता हुआ आया और बताने लगा कि गिर गया … तब मम्मी ने कहा कि कोई बात नही जाओ उसे हप्प करके आओ … और बच्चा वहां गया और उसे पांव से हप्प किया और फिर उस बात को भूल कर खेलने में जुट गया वैसे मुझे ये बात अच्छी लगी … क्योकि हम ममिया ही मजबूत नही होती….

 

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता

कहने को छोटी छोटी बातें होती हैं मान लीजिए बच्चे को छींक आ गई या खांसी ही हो गई तो मम्मिया सारा परेशान हो जाती हैं कि क्या हुआ… कैसे हुआ…. क्यू हुआ … ऐसे में नुकसान ये होता है बच्चे भी जरुरत से ज्यादा सैंसिटिव हो जाते हैं इसलिए बजाय हाय तौबा मचाने के बच्चों का मनोबल बढाईए … उन्हें बताईए कि ये छोटी मोटी बाते हैं होती ही रहती हैं …

खाने पीने का ख्याल रखते हैं शरीर मजबूत बने वैसे ही मन को भी मजबूत बनाना चाहिए …

Sportsmanship spirit जरुरी है … हार गए तो उदास नही होना … गिर गए तो रोना नही … अगर फर्स्ट नही आए तो हार कर बैठ ना नही .. डरपोक नही बनाए

इसके लिए सबसे पहले मदर्स को ही अपना मन पक्का बनाना होगा … joint families तो अब रही नही … बच्चे अपनी मम्मी से बहुत कुछ सीखते हैं इसलिए … इसलिए बच्चों को बचपन से ही बोल्ड बनाना होगा ताकि बडे होकर जब बच्चे घर से बाहर पढने या नौकरी करने जाएं उन्हें दिक्कत न हो …

Be a good role model: सही और गलत का फ़र्क सिखाना :

बच्चों को स्पेस दीजिए कुछ करने का मौका दीजिए विश्वास कीजिए

positive emotions , इसके लिए जो व्यक्ति जिंदगी मॆं कुछ बनें हैं उनके बारे मे पढाए … मोटिवेशनल विचार कहानियां पढाए और सुनाए …  RISKS लेना सीखाना होगा … ” बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए ये करना होगा अच्छा व्यवहार

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पेरेंटिंग टिप्स , माता पिता की भूमिका , परवरिश की जिम्मेदारी

बच्चे को कमजोर नही मजबूत बनाए , डरपोक नही बनाए

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March 19, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश

इंसान और भगवान

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश – hindi baal kahani  – माँ की ममता पर कहानी- क्या वाकई मां का काम करना बच्चे के लिए सुखद है या बच्चें को घर पर अकेले दिक्कत होती है एक बच्चे की सोच जताती कहानी

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश –

कहानी बच्चों की है

एक लडकी होती है उसका नाम मणि है वो 8 क्लास में पढती है स्कूल से वापिस उदास सी लौटती है बैल बजाती है मम्मी दरवाजा खोलती हैं वो पूछती है कोई बात बनी … मम्मी न की मुद्रा में सिर हिला देती है … असल में, मणि की सभी सहेलियो की मम्मी नौकरी करती है पर मणि की मम्मी सार समय घर पर रहती है और घर का ख्याल रख्ती है मणि को लगता है कि उसे आजादी नही मिलती है उसका कमरा एक दम साफ होता है और मम्मी आवाज देकर बुलाती हैं जल्दी आ जाओ आपके पसंद के राजमा चावल बने हैं …

वो हमेशा की तरह कमरा फैला कर खाने आ जाती है और उसका उदास चेहरा देख कर मम्मी कहती हैं कि कोशिश तो कर रही हूं जल्दी नौकरी मिल भी जाएगी … फिर खाना खाकर वो टीवी देखती हैं मम्मी बोलती हैं सो जाओ मैं एक घंटे में उठा दूंगी

hindi baal kahani

कल मेरी एक जानकर ने बताया कि उसने अपनी नौकरी छोड दी है और वो घर रह कर काम करेगी और बच्चों की तरफ पूरा ध्यान देगी ये सुनकर मुझे मेरी लिखी कहानी याद आ गई …कहानी बच्चों की है एक लडकी होती है उसका नाम मणि है वो 8 क्लास में पढती है स्कूल से वापिस उदास सी लौटती है बैल बजाती है मम्मी दरवाजा खोलती हैं वो पूछती है कोई बात बनी … मम्मी न की मुद्रा में सिर हिला देती है … असल में, मणि की सभी सहेलियो की मम्मी नौकरी करती है पर मणि की मम्मी सार समय घर पर रहती है और घर का ख्याल रख्ती है मणि को लगता है कि उसे आजादी नही मिलती है उसका कमरा एक दम साफ होता है और मम्मी आवाज देकर बुलाती हैं जल्दी आ जाओ आपके पसंद के राजमा चावल बने हैं … वो हमेशा की तरह कमरा फैला कर खाने आ जाती है और उसका उदास चेहरा देख कर मम्मी कहती हैं कि कोशिश तो कर रही हूं जल्दी नौकरी मिल भी जाएगी … फिर खाना खाकर वो टीवी देखती हैं मम्मी बोलती हैं  सो जाओ मैं एक घंटे में उठा दूंगी …

शाम को दोनो हमेशा की तरह धूमने जाते है और जब घर लौटते हैं तो पापा भी आ जाते हैं पापा बताते हैं कि   उन्हें टूर पर जाना है दिल्ली मणि खुश हो जाती है क्योकि वहां पर नोनू रहता है पापा ने बताया एक दिन वहां रुकेगें तब तुम नोनू से ढेर सारी बाते कर लेना … नोनू पहले उनका पडोसी था उसके पापा की बदली दिल्ली हो गई और अब वो वही पढ रहा था …

अगली सुबह वो दिल्ली के लिए निकल जाते हैं  दिल्ली पहुंच जाते हैं नोनू घर पर अकेला होता है … वो सभी को देख कर बहुत खुश होता है और मम्मी को फोन करके बताता  है कि मणि और अंकल आंटी आए हुए है …

मम्मी आफिस से 5 मिनट के आती हैं और बोल कर चली जाती हओं रात को बहुत जरुरी मीतिंग है … देर हो जएगी .. उसी बीच में गीतू के पापा आ जाते है … गीतू मणि को अपने कमरे में ले जाता है … मणि को नोनू बहुत उदास लगता है … वो जब उसकी कापी देख ती है तो वो सभी मे फेल होता है ..

मणि पूछती है कि क्या हुआ … क्योकि वो पढाई में बहुत अच्छा था… वो बोला कि मम्मी ने आते ही नौकरी ज्वाईन कर ली थी और बस सारा दिन व्यस्त रहती … दिक्कत किसी बात की नही है पर मुझे घर पर मम्मी का स्पोर्ट  चाहिए जो नही मिल रहा …

जब घर आते हैं तो मीटिंग , मोबाईल, लैपटाप पीछा नही छोडते … और रोने लगा … मणि ने उसे समझाया और फिर वो मिल कर टीवी देखने लगे .. अगले दिन मणि और उसके मम्मी पापा वापिस लौट रहे थे..

मणि कार में ही लेट गई और लेटते हुए सोच रही थी कि मम्मी उसका कितना ख्याल रखती हैं  … कमरा साफ करना , होमवर्क करवाना, सैर करवाने ले जाना  और पढाई करवाना… अगर मम्मी भी अफ़िस जाने लगी तो उसका हाल भी कहीं नोनू जैसा न हो जाए … हर रोज जब घर लौटेगी ताला खुद खेलेगी , खाना खुद गर्म करेगी … कैसे होगा सब … सोचते सोचते उसका घर भी आ गया … मम्मी कार  से उतरे गेट खोला और सामने लैटर वाक्स पर लैटर चैक की तो वो अचानक चिल्ला उठे … अरे वाह नौकरी मिल गई .. appointment letter आ या है … और मणि को बोले बेटा अब खुश हो जाओ … अब तुम्हारी मम्मी भी काम पर जाएगी … मणि जोर जोर से रोने लगी …

मम्मी प्लीज मुझे माफ कर दो प्लीज आप नौकरी मत करो आप मेरा ख्याल रखना मुझे नही करवानी नौकरी … मम्मी पापा दोनो हैरान कि हुआ क्या …

ये कहानी थी जो मैने लिखी थी … उस महिला के फैसले पर मुझे खुशी हुई  कि उसने अपने परिवार को प्राथमिकता देना जरुरी समझा वैसे आजकल घर पर रह कर भी बहुत काम किए जा सकते हैं क्योकि जब बच्चे छोटे होते हैं बच्चों की देखभाल करना उनअच्छे संस्कार बहुत जरुरी होता है जिनके लिए बहुत जरुरी न हो … उन्हें बच्चों का ख्याल रखना ही चाहिए  

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November 9, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

पेरेंटिंग टिप्स – स्मार्ट पेरेंटिंग – बच्चों से क्या बात शेयर न करें

पेरेंटिंग टिप्स - स्मार्ट पेरेंटिंग

पेरेंटिंग टिप्स – स्मार्ट पेरेंटिंग – बच्चो की परवरिश – बच्चों से क्या बात शेयर न करें.  मेरा बेटा मेरा सबसे अच्छा दोस्त है … अकसर हम ये बात कहते सुनते मिल जाते हैं और यकीन मानिए अच्छा भी लगता है जब अपने बच्चे को दोस्त मान कर उससे अपना दुख या दर्द भी शेयर करने लगे तो … आप यही कहेंगें अच्छा लगता है पर कई बार इसके नेगेटिव पहलू भी देखने को मिलते हैं.

पेरेंटिंग टिप्स – स्मार्ट पेरेंटिंग

बच्चे पेरेंटस को अपना रोल मॉडल मानते हैं पर कई बार प्यार प्यार में हम बच्चों से कुछ ऐसी बाते शेयर कर जाते हैं जिससे बच्चे में नेगेटिव असर ज्यादा हो जाता है …

एक महिला हैं उन्होने मुझे बताया कि वो अपने बच्चे से सारी बात शेयर करती पति से झगडा हो जाता या सास से लडाई हो जाती तो वो बच्चे से ही कहती पर वो क्या क्या कहती थी … एक तो वो खूब बुराई करती थी सास की और दूसरा हमेशा अपने बच्चे को यही जताती कि वो इतनी परेशानी दुख तकलीफ सिर्फ उसी के लिए सह रही है नही तो कभी की मर जाती .. अब बताईए ऐसे मे बाल मन पर क्या असर पडेगा …इसका असर उसकी पढाई पर हुआ वो खुद को गिल्टी मानने लगा और गुमसुम सा हो गया

वहीं दूसरी ओर

एक मदर अपनी बच्ची से सारी बात शेयर करती और ये बताती कि उसे बचपन से बिल्ली से कितना डर लगता था… मदर को तो लगता ही लगता पर अब ममी की देखा देखी बच्ची को भी डर लगने लगा … दूर से ही कही बिल्ली देख लेती है तो चिल्ला ती है … एक बातर की बात है कि  एक महिला अपने दस साल के बेटे के साथ घर आई … अचानक घर पर बिल्ली आ गई … मम्मी बेटा दोनो डर के मारे सोफे पर ही चढ गए … बचपन से मां को बिल्ली से डर लगता था और बार बार कह कह कर डर की बात कर कर के आज उसके बालमन  में बिल्ली के प्रति  इतना डर बैठ गया कि वो बुरी तरह घबरा जाता है

कई बार बडे लोग अपने पसंद का चैनल देखते हैं बिना ये जाने की बच्चे के मन पर क्या असर होगा चाहे भूतो का सीरियल हो या सास बहू का बच्चे के मन मे घर कर जाती हैं ऐसी बातें … तो बच्चों के मन को समझते हुए उनके मन के अनुसार ही सीरियल देखे तो बेहतर होगा …

यानि बच्चों को दोस्त बनाईए बिल्कुल बनाईए पर समझदारी भी दिखाईए … उनके बाल मन को समझ कर उसी के हिसाब से अगर बात करेंगें तो बहुत बेहतर होगा …उनको प्यार दीजिए एनकरेज किए , उन पर विश्वास रखिए

अच्छे पेरेंटस कैसे बनें
पेरेंटिंग टिप्स – स्मार्ट पेरेंटिंग

पेरेंटिंग टिप्स – स्मार्ट पेरेंटिंग आपको  कैसा लगा ?? जरुर बताईएगा !!

November 4, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

अच्छे पेरेंटस कैसे बनें – माता पिता और बच्चे

जिंदगी का कड़वा सच - महिलाएं कृपया ध्यान दें-

अच्छे पेरेंटस कैसे बनें – माता पिता और बच्चे – इनका आपस मे सम्बंध कैसा हो ताकि आपसी प्यार बना रहे . अकसर हम महसूस करते हैं कि बच्चे आजकल बहुत बोलने लगे हैं जबकि अगर जरा सा ध्यान देंगें , माता पिता जरा सी सावधानी दिखाएं तो बहुत बातों से बचा जा सकता है… parenting tips in hindi / how to behave with child /parenting videos in hindi

परवरिश की जिम्मेदारी, बच्चे की देखभाल , बच्चे की परवरिश, परवरिश के तरीके, परवरिश की जिम्मेदारी , कुछ अच्छी बातें ,
असल में, हम पेरेंटस तो बन बन जाते हैं पर  Patience , tolerance नही रख पाते. आज के समय मे मम्मी पापा को भी सीखने की जरुरत है

अच्छे पेरेंटस कैसे बनें – माता पिता और बच्चे

असल में, हम पेरेंटस तो बन बन जाते हैं पर पेशेंस  Patience नही रख पाते. आज के समय मे मम्मी पापा को भी सीखने की जरुरत है .. कैसे करें वो अपने बच्चे की परवरिश 

..पेरेंटिंग एक बहुत बडा फील्ड है और इस पर बहुत कुछ है बोलने को.. बच्चे जिद्दी हो गए हैं या गुस्से से बात करते है पर उससे पहले हम पेरेंटस को भी कुछ बाते समझने की जरुरत है .. क्या हम भी बच्चे जैसा व्यावहार नही करने लग जाते … मुझे बच्चों की कम और पेरेंटस की गलती ज्यादा लगती है ..

पेरेंटस कृपया ध्यान दें

कई Situation में अगर बच्चा कई बार बच्चा उल्टा जवाब दे  या चिल्लाए .

सभी के सामने बच्चे को डांटना भी नही चाहिए

अपने बच्चे पर विश्वास रखना चाहिए….

अगर उसकी गलती पर गुस्सा करते है तो अच्छी बात को appreciate जरुर करें

बच्चो की पसंद ना पसद को भी जाने.  उन पर अपनी पसंंद थोपे नही

बच्चे के लिए समय निकालें … उनके लिए दिन भर आफिस मे कमाते हैं पर समय नही निकाल सकते

उनकी बातें सुनें उनके दोस्त बनें …घर में अंग्रेजी  में बात करो कहते हैं पर खुद हिंदी में बात करते हैं और   कई पेरेंटस गाली देते हुए बात करते हैं तो बच्चे में भी वो असर आना स्वाभाविक है… ..  बाते और और भी बहुत हैं पर फिलहाल शुरुआत इसी से कर ले तो बहुत है …

पेरेंटसको चुप हो जाना चाहिए बजाय बहस करने और चिल्लाने के समझदारी दिखानी चाहिए.. सभी के सामने बच्चे को कभी डांटना भी नही चाहिए … दोस्तों के सामने गुस्सा करने या डांटने से बच्चे हर्ट फील करते है .. उन्हें अलग से समझाना चाहिए बच्चे पर विश्वास रखना चाहिए कई बार प्रेरेंटस बच्चों के दोस्तो से पूछ्ताछ करते है ऐसे में बच्चे का कोंफिडेंस नही बन पाएगा …और सबसे ज्यादा जरुरी बात की बच्चे की जो भी बात अच्छी लगे उसे appreciate जरुर करें … जो कि हम नही करते ..

 

 

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