बच्चों की पढ़ाई का दूसरा नाम तनाव नही – बच्चों की पढ़ाई का दबाव- For Mothers Only – कहिए कैसे हैं…… खूब टेंशन में न .. गुड़ … बहुत अच्छी बात है .. टेंशन कम नही होने देना … अब क्या कहूं यही कहना पड रहा है … आपके इतने सारे मैसेज आते हैं और उसमे सिवाय टेंशन और तनाव के कोई और बात ही नही होती कि बच्चा पढ़ता नही, बच्चा जिद्दी है … घर की चिंता परिवार की चिंता … आपके मैसेज देखने के बाद मै फेसबुक देखने लगी .
बच्चों की पढ़ाई का दूसरा नाम तनाव नही – बच्चों की पढ़ाई का दबाव
तभी एक बहुत खूबसूरत बात पढी कि एक आदमी एक महात्मा से पूछा, उत्सव यानि त्योहार मनाने का बेहतरीन दिन कौन सा है ?
महात्मा ने प्यार से कहा – मौत से एक दिन पहले… व्यक्ति बोला मौत का तो कोई समय नहीं ………………………महात्मा ने मुस्कुराते हुए कहा…
तो ज़िंदगी का हर दिन आख़री समझो ……..और जीने का आनन्द लो .. तनाव किसलिए लेना है …
है ना खूबसूरत बात और हम हर रोज तनाव बना कर बैठ जाते हैं छोटी छोटी बात को बहुत बडा बना लेते हैं ..
कहने का मतलब है कि खुश रहिए…
अब अगर मदर्स की बात करुं तो …बच्चों का इशू बना कर रखते हैं ..बच्चा जिद्दी है तंग करता है कहना नही मानता … ये बात मैं इसलिए कह रही हूं कि बहुत मैसेज आते हैं मदर्स के कि बच्चा जिद्दी है तंग करता है कहना नही मानता …
हम तनाव बनाते जाते हैं और तनाव बडा होता जाता है… क्या वाकई इतना बडा तनाव है ?? नही … !!
कहानी
मुझे लगता है अपनी बात समझाने के लिए एक बार फिर मुझे कहानी सुनानी पडेगी जो कुछ समय पहले भी सुनाई थी .एक महिला भी अपने बच्चे से बहुत परेशान थी … अपने बच्चे को लेकर ..
एक महिला महात्मा के पास जाती है कि बोलती है कि बच्चा बहुत दुखी करता है जिद्दी है न पढता है न लिखता है इसे सम्भाला नही जाता कोई उपाय बताईए …
महात्मा बोले कि एक उपाय है पर मुश्किल है …
वो बोली कि कोई दिक्कत नही आप बताओ बाबा बोले सामने की खडी पहाडी की चोटी पर एक शेरनी रहती है उसकी मूंछ के तीन बाल तोड कर लाना है … बस उपाय हमारे हाथ लग जाएगा …
वो देखती है कि वो सामने वाली पहाडी पर वो तो खडी चढाई है और शेरनी की मूछ का बाल …बेशक बहुत मुश्किल थी पर उसे लग्न थी … पर उसे बस अपने बच्चे को सुधारना था इसलिए बहुत प्रयास के बाद वो उपर पहुंच गई …
हाथ में पैर पर चोट भी लगी …
तो वो उपर चली गई तीन चार बार तो शेरनी गुराई पर धीरे धीरे उसने सेवा करके शेरनी का दिल जीत लिया और एक दिन मौका पाते ही उसने बाल तोड लिए और महात्मा के पास आ गई ..
बोली ये लीजिए अब बताईए… महात्मा बोले कि तेरे लिए क्या मुश्किल है जब तूने एक शेरनी को काबू कर लिया उसकी मूंछ का बाल ले आई
तो एक छोटे से बच्चे को समझाना क्या मुश्किल है … वो समझ गई थी और घर वपिस लौट गई …
हौव्वा नही है बचपन … प्यार से सहेजिए तनाव नही … चलिए आज आपके लिए होमवर्क है आप अपने बच्चे की एक खास बात बताईए …
तो आज से नो तनाव , नो टेंशन …
बच्चों की पढ़ाई का दूसरा नाम तनाव नही