Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 13, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Keep Kids Happy – बच्चों को खुश कैसे रखें – बच्चों की परवरिश कैसे करें

I am Proud to be an Indian

How to Keep Kids Happy – बच्चों को खुश कैसे रखें – बच्चों की परवरिश कैसे करें –  हम सभी parents चाहते हैं बच्चे खुश रहें… पर कैसे कितना भी कर लो ना खुश रहते ही नहीं तो कैसे रखे खुश ?? चलिए आज यही बात करते हैं…

How to Keep Kids Happy – बच्चों को खुश कैसे रखें – बच्चों की परवरिश कैसे करें

  1. चलिए आप ही बताईए कि क्या हो सकती है… सबसे पहली तो ये है खुद खुश रहिए .. अगर आप खुश हैं तो बच्चे तो खुश रहेंगे ही रहेगें… लालन पालन या पालन पोषण खुश होकर कीजिए…

2.  बच्चों को समय दीजिए..

चलिए मैं बताती हूं कि बाहर डिनर पर गए जिस होटेल में गए वहां पर मेरे सामने की टेबल पर एक कपल आ कर बैठा और उनका 7 – 8 साल का बच्चा था.. पापा तो मोबाइल पर शुरु से ही लगे हुए थे और मम्मी अपना अलग अलग एंगल में सेल्फी लेने और अपलोड करने में व्यस्त थी… बच्चे कभी मम्मी को तो कभी पापा को देख रहा था और मैं बच्चे को देख रही थी.. जब खाना आया और बच्चे ने उत्साह नही दिखाया तो पापा अपनी वाईफ को गुसा करने लगे कि एक तो समय निकाल कर बाहर आओ और फिर भी मुंह बना रहता है .. नही लेकर आऊंगा कभी तुझे .. और बस चुपचाप खाना खा कर चले गए… अब बताईए .. सिर्फ बाहर खाना खिलाना ही काफी नही समय भी दीजिए…

3.  जब बच्चा मेहनत करें तो उसकी सराहना कीजिए…

बच्चा क्लास में फर्स्ट आया तो बच्चा किसका है अपने अपने पर बात ले जाते हैं पर जब कम नम्बर आए तो गुस्सा हो जाना जबकि उसने जो एफर्ट किया है उसकी एनकरेज करना चाहिए.. बच्चे ने अपना कमरा साफ किया… बहुत अच्छा तो नही किया पर फिर भी अच्छा तो किया तो ऐसे में उसे एनकरेज कीजिए… ताकि आगे से और अच्छा और साफ रखने का प्रयास करें पर उसे जताना कि तुम तो रहने ही दो तुमसे नही हो पाएगा… ये सही नही.

4 बच्चों को सीखाना की अच्छे रिलेशन बनाएं..

अच्छे रिलेशन तभी बनते हैं जब हम किसी की मदद करते हैं किसी के लिए कुछ करते हैं… बच्चों को kind होने के लिए प्रोत्साहित करें… देखिए फिर कितनी खुशी मिलेगी…

5 बच्चों पर प्रेशर मत बनाईए

एंजाय करने दीजिए.. बच्चों का खेलने का other extracurricular activities खूब समय दीजिए… उन पर अगर हर समय पढाई का दबाव बनाएगें तो सब कुछ आधे मन से करेगा .. इसलिए उसे खेलने का एंजाय करने का पूरा समय दीजिए.. खेलने से बहुत बातें सीखते हैं लडाई करना, शेयर करना, बात को पैच अप करना या बात को बढावा देना… उनकी ग्रोथ के लिए ये बहुत जरुरी है… खेल में हार भी रहे हैं जीत भी रहे हैं.. उसे किस तरह से लेते हैं इसलिए खेलने दीजिए…

6 तुलना नही.. बच्चों को खुश रखना है तो तुलना नही कि मैं तो जब तुम्हारे जितना था ऐसा करता था या तुम्हारी बहन तो इतनी समझदार है या तुम्हारा वो दोस्त तो बहुत ही प्यारा बच्चा है.. इससे गुस्सा या नाराजगी ही होती है खुशी नही मिलती..

  1. बच्चों के सामने पेरेंटस को बहस भी नही करनी… यानि लडना नही है.. कितनी बाते होती है कि बाहर धूमने नही जाते .. आज सास ने ये कहा आज ननद से तू तू मैं मैं हो गई… छोटी छोटी बातों का बहुत बडा ईशू नही बनाना चाहिए … बच्चे पर बुरा असर पडता है…

8. बच्चों को सीखाईए कि नेगेटिव इमोशन गलत नही होते…

बच्चे को गुस्सा आ रहा है, रो रहा है या डर लग रहा है.. ये हमारे इमोशन हैं और सभी के साथ होते है… हम इंसान हैं और ये भावनाएं आती ही हैं हां,  उसे डील कैसे करना है वो अलग बात है पर गुसा भी आता है कई बार मम्मी को भी गुस्सा आता है कई बार पापा का मूड भी खराब हो जाता है… ये गलत नही है..

How to Keep Kids Happy – बच्चों को खुश कैसे रखें – बच्चों की परवरिश कैसे करें

November 24, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Parenting Tips for Working Women – बच्चों की परवरिश कैसे करें – कामकाजी महिलाएं

Parenting Tips for Working Women

Parenting Tips for Working Women – बच्चों की परवरिश कैसे करें – कामकाजी महिलाएं  – वर्किंग Women बच्चों की देखभाल कैसे करे… वर्किंग लेडीज की दोहरी भूमिका होती है घर का भी ख्याल रखना और आफिस का पूरा बैलेंस बना कर चलना. बहुत महिलाएं जिन्हें पैसे की दिक्कत नही है वो जब बच्चा छोटा हो तो नौकरी नही करती पर बहुत ऐसी भी होती हैं जिन्हें करनी पडती है.. घर खर्चा चलाने के लिए घर से बाहर निकलना ही पडता है… बच्चों की देखभाल कैसे करे

Parenting Tips for Working Women – बच्चों की परवरिश कैसे करें – कामकाजी महिलाएं

सबसे पहले तो आप मन से इस भावना को निकाल दें कि आप बच्चे का ख्याल नही रख पाती… काश आप हाऊसवाईफ होती सारा दिन घर पर रहती और बच्चे का ख्याल रखती… अब आप घर का ख्याल नही रख पा रहीं… आप घर का अपने परिवार का ख्याल रख रही हैं तभी तो आप जॉब कर रही हैं.. तो इस गिल्ट को मन से निकाल दें.. बहुत मदर्स ऐसी भी है जो सारा दिन घर पर रहती है फिर भी बच्चे पर ध्यान नही दे पाती… आप बहुत अच्छी हैं बस जरुरत इस बात की है कि अपना Schedule सही से बना लीजिए…

 

 

प्लानिंग होती है टाईम मैंनेज करने की.. कि टाईम मैंनेज किस तरह से करना है.. आपका आफिस का समय तो फिक्स है ही… अपने लिए समय निकालें क्योकि आपने सारा दिन व्यस्त रहना है तो अपने लिए कुछ समय जरुर निकालना होगा. चाहे मैडीटेशन करके या वॉक करके या योगा करके .. ये आपको सारा दिन तनाव रहित और एक्टिव रखेगा…

अब बात आती है बच्चों की बच्चा अगर छोटा है तो babysitter अरेंज कर सकते हैं hire कर सकती हैं या बच्चे को कही छोड भी सकते हैं आजकल इसका ट्रेंड बहुत चल गया है इसलिए ये ज्यादा प्रोब्लम नही है टेक्नीक का धन्यवाद है कि काम के बीच बीच में वीडियो कॉल से बच्चे को देख भी सकते हैं… घर पर कोई मेड रखीं हैं तो घर पर सीसीटीवी भी लगाए जा सकते हैं ताकि दिन भर की सारी जानकारी मिलती रहे…

यानि Stay Connected During the Day बाहर होते हुए भी आप घर से जुडी रह सकती हैं

अगर बच्चा बडा है स्कूल जाता है तो बच्चों को अपने काम के बारे मे बताईए आज के बच्चे बहुत समझदार हैं इसलिए उन्हें बताईए कि मम्मा का काम करना कितना जरुरी है और अगर वो सहयोग करेगें तो बहुत आसानी हो जाएगी… बच्चों को कॉफिडेंस में लीजिए और उनसे ये प्रोमिस भी कीजिए कि शाम का सारा समय बच्चों के साथ ही रहेगा.. नो टीवी नो मोबाईल नो आफिस वर्क एट होम… यानि घर पर 100% दीजिए..

मल्टीटास्किंग न करें ..

आफिस का काम घर पर नही लाना.. Be 100% at home – घर पर 100% दें .कई बार मदर्स घर पर काम ले आती है और बच्चे पूरी तरह से नेगलेक्ट हो जाते हैं.. कभी कभार हो तो अलग बात है पर अगर ये रोज हो रहा है तो जरुर सोचना चाहिए क्योकि बच्चों को समय देना उनकी सुनना उससे बाते करना भी आपके लिए उतना जरुरी है.. हां अगर कुछ बहुत जरुरी है तो बच्चों के सोने के बाद या जल्दी उठ कर भी निबटाया जा सकता है

बच्चों को Self Reliant आत्मनिर्भर बनाईए..

हमेशा वर्किंग मदर्स के बच्चे ज्यादा एक्टिव होते हैं.. क्योकि बचपन से ही बहुत काम खुद करना सीख जाते हैं और इसमे गलत भी नही है… मदर्स भी घर के छोटा मोटे कामो का जिम्मा responsibilities बच्चों को सौंप सकती हैं..  जैसा कि अपना कमरा साफ रखना, अपने कपडे स्कूल से आने के बाद तह करके रखना… स्कूल से आने के बाद होम वर्क करना..

घर के काम का ज्यादा तनाव न हो इसलिए काम बांट लेना चाहिए… कई बार होता है महिला आफिस से आती है तो फिर जुट जाती है उसे कोई सपोर्ट नही न पति का न बच्चों का… इसलिए आपस मे बैठ कर बात कर लेनी चाहिए और चाहे पति हो या बच्चे हर एक जिम्मे कोई न कोई काम involve हो ताकि एक दम से घर आते ही तनाव न हो जाए… ऑनलाईन शापिंग कई बार होता है

बी पोजिटिव – सबसे ज्यादा जरुरी है पॉजोटिव रहना.. वर्किंग लेडी समझदारी से काम लेगी… और टाईम मैंनेज करके चलेगी तो आराम से वर्किंग होते हुए भी बच्चों की देखभाल कर सकती हैं… बैलेंस बना सकती हैं… और दोनो जगह अपना 100 % दे सकती हैं…

Parenting Tips for Working Women – बच्चों की परवरिश कैसे करें – कामकाजी महिलाएं

August 4, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं – Monica Gupta

How to Deal with Angry Child

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं – Monica Gupta – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – ziddi-bache-ko-kaise-sudhare –

बहुत सारे मैसेज आए हुए हए थे कि बच्चे बहुत गुस्सैल और जिद्दी हो गए हैं उन्हें कैसे समझाएं … यही कुछ मेरे दिमाग में चल रहा था पहले तो मैं टीवी देखती रही फिर किसी के घर कुछ काम था वहां चली गई …

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं

वहां एक चार साल का बच्चा अपनी मम्मी को बहुत तंग कर रहा था जोर जोर से चिल्ला रहा था उसकी मम्मी ने दो चांटे मारे   और फिर बच्चा भी मां को खूब मारने लगा कभी लात कभी बाल खिंचने लगा.. फिर मेरी जानकार भी खूब मारने लगी बच्चा चिल्ला रहा था …

आप गंदी हो बहुत गंदी हो मारती हो … दोनों बराबर का बोले जा रहे थे…

अचानक उनकी मार पिटाई में doorbell हुई  और मेरी नींद खुल गई .. अरे बाप रे ये सब सपना था असल में यही सोचते सोचते सो गई और शायद  सपना आ गया …

बाहर गई तो कोई नही था … शायद बच्चे ही होंगें कई बार बेल बजा कर भाग जाते हैं … क्या बच्चे ऐसे ही होते हैं गंदे, लडाकू,  जिद्दी …

यही सोचते सोचते मैं अखबार  पढने लगी .. एक खबर ने मेरी सोच बदल दी कि बच्चे ऐसे नही होते …

खबर पुणे की थी एक माता पिता के बीच में बहुत लडाई चल रही थी और जब केस जज के पास पहुंचा.. उस दिन बच्चे का जन्मदिन था और माता पिता अलग रहना शुरु कर चुके थे … कोर्ट में जन्मदिन साथ मनाया और जब उससे उपहार की बात पूछी तो बच्चे ने एक लैटर थमा दिया उस पर लिखा था कि लडिए मत … मैं आप दोनों को साथ देखना चाह्ता हूं…

दोनो को महसूस हुआ और खुल कर बात हुई और सुलह हो गई …

तो एक बात तो साफ है कि बच्चे गंदे नही होते … कुछ एक ऐसी बातें हो जाती हैं जो उन्हें चिडचिडा बना देती हैं …

अच्छा एक बात बताईए कि जब मैंनें ये कहा कि बच्चे गंदे होते हैं तो आपको कैसा लगा … अच्छा नही लगा ना आपको मन ही मन गुस्सा भी आया होगा कि ये बच्चे को गंदा कहने वाली कौन है … !! बस !! ठीक है अब मैं समझ गई …

प्यार तो आप बहुत करते हैं बच्चे से पर आपकी जिंदगी में इतने तनाव और busy  है कि आप पूरा ध्यान नही दे पा रहे इस वजह से बच्चा जिद्दी हो गया है…

मेरी एक जानकार ने बताया कि अक्सर उसका बच्चा मार्किट जाने पर बहुत जिद करता … वही दुकान पर लेट जाता .. रोने लगता और जिद करने लगता …  उसका हल उसने ये निकाला कि उसने उस समय बच्चे को कुछ नही कहा …

जब घर आए तो उसने बच्चे से बात नही की और बोला मम्मी को बहुत दुख हुआ कि मम्मी का प्यारा बेटा कैसे करता है … बच्चे जैसे भी हो पर वो मम्मी को नाराज नही देख सकते … वो झूठ मूठ से रोने की acting  करने लगी और बच्चा बार बार मम्मी के चेहरे से बाल हटा कर देखता रहा ..

उसे लगा कि उसने गलत किया है नही करना चाहिए था … और उसने सोरी बोला … उसके बाद से दोनों में बहुत दोस्ती हो गई है अब वो जिद नही करता … घर से बाहर जाने से पहले ही वो rules  बना लेते हैं एक लिस्ट बना लेते हैं कि क्या क्या करना है और क्या नही .. …. आराम से tackle  हो गई प्रोब्लम …

जरुरत यही है कि मार पिटाई हल नही है बच्चों के साथ दोस्ताना treat  करें और अगर  कोई गलती है उसे मान लें … अगर कान पकड कर सोरी बोलना भी पडे तो शर्म नही आनी चाहिए …

देखिए इन सब में एक बार जरुर देखने वाली है कि इन सब में बस एक बात का अगर ख्याल रखेंगें कि उसके उसके दोस्त कैसे हैं .. समय समय पर उसके दोस्तों को घर बुलाते रहें और उनका स्वभाव जानने की कोशिश करें …

जरुरत इस बात की है आप कूल रहें और कूल माईंड से ही कैसे सामना करना हैं वो सोचें … इसकी आखॉं में देखिए जिद्दी नही बहुत प्यारा और मासूम है वो …

यही तो बचपन के दिन है … बडा हो जाएगा चला जाएगा … इसलिए समय दीजिए समझिए और प्यार दीजिए … बस …

अगर आपको मेरी बात पसंद आई हो तो बाकि आपके पास भी कोई टिप्स हो तो कमेंट में जरुर बताईएगा …

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं – Monica Gupta

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July 28, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

छोटे बच्चों की परवरिश के तरीके – Chote Baccho Ki Parvarish Ke Tarike

Monica Gupta

छोटे बच्चों की परवरिश के तरीके – Chote Baccho Ki Parvarish Ke Tarike – Parenting Tips  छोटे बच्चों को अच्छा माहौल दें – बच्चों की परवरिश इन हिंदी- बच्चों की परवरिश कैसे करें . अकसर सभी माता पिता चाह्ते हैं कि अपने बच्चे को ऐसा माहौल दें कि वो खुश रहे … चिडचिडा न रहे … और जब वो बडे हो अपने बचपन को याद करे तो एक खुशी का अहसास हो …!!

छोटे बच्चों की परवरिश के तरीके – Chote Baccho Ki Parvarish Ke Tarike

कुछ दिन पहले मौसम अच्छा था तो हम लोग पार्क में सैर कर रहे थे … बहुत सारे बच्चें खेल रहे थे इस पर एक सहेली ने कहा कि मन करता है फिर से बच्चे बन जाएं.. इस पर एक दूसरी सहेली ने कहा कि बच्चा … अरे नही … मैं तो भूल कर भी नही बनना चाहती बच्चा. तनाव सा हो जाता है बचपन का नाम सुनकर …

 

हमनें बहुत पूछा इसने कुछ नही बताया पर इतना तो पक्का था कि कुछ जरुर ऐसा हुआ है कि जिसे वो याद नही करना चाहती इसलिए बहुत सोचने की बात है कि बच्चों को ऐसा माहौल दें कि वो बडे होकर न सिर्फ उसे याद करें बल्कि अपने बचपन को फिर से जीना चाहें …

मैं सोचती हूं कि कुछ एक बातें …

जैसाकि मार पिटाई , गुस्सा न करें … ये बात आप जानते ही हैं पर मानते नही है … इसे मानिए भी ..

समय दें …

इस समय के बीच में मोबाईल भी न आएं … ज्यादातर पैरेंटस क्या करते हैं कि हां भई … बच्चों के साथ हूं समय दे रही हूं घर पर जरुर है पर मोबाईल के साथ … इसलिए समय दें … क्वालिटी टाईम … ये भी नही होना चाहिए कि जब कोई प्रोब्लम आएं तभी बात करें … हर रोज आधा घंटा तो जरुर दें … चाहे वो डिनर टाईम हो या सुबह का समय हो ..वो आप पर है ..

तुलना न करें … एक मेरे पास मैसेज आया कि मेरा बेटा तीन साल का है वो टयूशन नही जाना चाह्ता जबकि उसकी उम्र के सारे बच्चे जाते हैं … देखिए यही है तुलना … दूसरे बच्चों से नही कई बार घर के भाई बहन से ही तुलना करने लगते हैं ऐसे में बच्चे को कॉम्प्लेक्स भर जाता है और ईर्ष्या की भावना आने लगती है …

बच्चों को ईमानदार बनना सीखाएं इसकी महत्ता बताए

बच्चों को बात बात पर प्रोत्साहित करें …  बजाय ये कहने केे  तुम नही कर सकतेे… ये कहिए तुुुुम क्योंं नहीं कर सकते … Give them encouragement along with constructive criticism.  मान लीजिए आपने एक पौधा लगाया है उसे बोलिए कि इसका ख्याल रखो समय समय पर पानी दो  इसमे जब फूल आ जाएगें हम पार्टी करेंगें …या चिडिया के लिए पानी रखना .. या किसी बहुत गरीब की मदद करना … एक परिवार हमेशा अपने अपने  जन्मदिन पर वृद्धाश्रम जाता है वही बात वही गुण बच्चे में भी आ गए ..वो स्कूल में भी टोफी देता और वृद्धाश्रम ओल्ड एज होम भी जाता..

 बच्चों को कभी ज्यादा समय के लिए नौकर या ड्राईवर के भरोसे न छोडे. इन पर पूरा ख्याल रखें या सीसीटीवी लगवा लें … ये खासकर उन महिलाओं के लिए है जो ज्यादातर किटी पार्टी में अपना सोशल स्टेटस बनाने में व्यस्त रहती है और बच्चे की ओर जरा भी ध्यान नही देती

Be the role model .. बच्चों के साथ बच्चा बन जाएं … उसके साथ जीए … समय गुजरते देर नही लगती … बच्चे अगर अच्छे और प्यारे माहौल में पला है तो हमेशा याद करेगा और बचपन में जाना चाहेगा … नही तो … !!! ???

जब बच्चा झूठ बोले तो – What To Do When Child Lies

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July 24, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों की परवरिश कैसे करें

Life of a Teenager

बच्चों की परवरिश कैसे करें – bachon ki parwarish kaise kare – bachon ki parwarish ka tarika .. परवरिश की जिम्मेदारी मातापिता की होती है इसलिए जरुरी है कि वो उनकी देखभाल बहुत अच्छी तरह करें

बच्चों की परवरिश कैसे करें

घर के बाहर एक महिला अपने बहुत छोटे से बच्चे को खींच कर ले जा रही थी और बोल रही थी … देखती हूं कैसे नही जाता स्कूल  … वो बच्चा बहुत सहमा हुआ बस धसीटता हुआ ही जा रहा था … यकीन मानिए मेरे ही हाथ में दर्द हो गया देख कर … क्या लगता है आपको ये सही हो रहा था … !! बेशक कुछ बच्चे आनाकानी करते हैं पर ये तरीका परवरिश का नही है .. कई बार माता पिता भी गलती कर जाते हैं वैसे तो बहुत सारी बातें हैं पर कुछ जरुरी बातो का ख्याल रखना चाहिए ..

1 सबसे पहली तो ये कि बच्चों के साथ जबरदस्ती या मार पिटाई नही करनी चाहिए .. उसकी भावनाएं समझिए … वो स्कूल जा रहा है आपसे दूर  नया माहौल है वहां समय लगेगा उसे … समय दीजिए पर प्यार से..

2 . बच्चों के सामने झग़डा नही करना … हम बडे बच्चों को हमेशा बोलते हैं झगडा करना बुरी बात है तो खुद भी तो सोचना चाहिए कि नही … आपको पता है झगडे से बच्चे पर क्या असर पडता है वो सहम जाता है … पढाई में पीछे हो जाता है … चुप रहने लगता है

कई बार लडाई झगडे में मदर्स बच्चों को ही दोष देने लगती हैं कि तेरी वजह से ही यहां रुकी हुई हूं नही तो कभी की चली जाती … ऐसे में बच्चा खुद को दोषी मानने लगता है … और इस असर क्या हो सकता है आप सोच भी नही सकते … जरुरत इस बात की है झगडा बैठ कर सुलझाएं और किसी भी वजह से बच्चे को पता चल जाए तो उसे समझाएं कि सॉरी आगे से पापा से झगडा नही करुंगीं …

3   कई पैरेंटस तो पिटाई करते हैं और कई ओवर प्रोटेक्टिंग overprotective होते हैं यानि बहुत ज्यादा ख्याल रखतें हैं  ज्यादा ख्याल रखना भी बहुत नुकसान देय होता है.. हर बात बात बात में चिंता करेंगी बात बात में स्कूल में फोन करेंगी … तो मजाक बन जाते हैं बच्चें   इसमें बच्चे को उपाधि मिल जाती है mama’s boy की..   मां का लाडला .. और बच्चे को इतनी शील्ड मिल जाती है कि वि कुछ भी कर देता है उसे पता है कोई कुछ नही कहेगा … इसलिए overprotective भी नही होना …

4 कुछ पैरेंटस बच्चों  को फीलिंग व्यक्त नही करने देते … अगर किसी बात पर रो रहा है तो बोलेगें खबरदार चुप्प हो जाओ … रोना नही … तुम बच्चे नही हो अब … और अगर वो जोर जोर से हंसेंग़ें तो भी नाराज हो जाएगें को मैंनर्स नही हैं … खुल कर खेलेंगें कपडे गंदे कर के आएगें तो गुस्सा करेंगें …  …

5 बच्चे से जासूसी नही करवाएं.. बेशक  सीआईडी सीरियल सभी को अच्छा लगता है…  पर देखना पापा फोन पर किससे बात कर रहे हैं … बच्चा पढ रहा है और आप पापा के फोन के मैसेज चैक कर रहे हैं कि किसने लिखा और क्या क्या लिखा … ऐसे में पता है क्या होगा … बच्चे के मन में शक बैठ जाएगा … और वो बडा होकर शक्की बन जाएगा …

हर बात में शक करेगा … अच्छा पति या पिता नही बन पाएगा …

ऐसी और भी बहुत सारी बातें हैं फिलहाल पर इन्हें से शुरु करें … कल फिर ..

 bachon ki parwarish ka tarika, बच्चों की परवरिश कैसे करें

May 15, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें

इंसान और भगवान

स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी –  परवरिश की जिम्मेदारी  बच्चों को कैसे समझाए.  पेरेंटिंग जब बच्चों की केयर के बारे में पूछते हैं तो मैं एक ही बात कहती हूं कि  घर पर हम कांच  के बर्तन की सम्भाल कैसे करते हैं … बहुत ध्यान से सम्भाल कर … है ना … बस वैसी ही देखभाल बच्चों की करनी चाहिए  हैंडल विद केयर …

स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें

याद कीजिए जब पहली बार आपको पता चला था  कि आप मां बनने वाली हैं कितना खुश  हुई थी आप कितने सपने संजोए थे और अब आप बच्चे की शरारत भी बर्दाशत नही कर पाती पिटाई कर देती है जबकि बच्चों को सम्झाने का काम बहुत आराम से भी कर सकते हैं … तो क्या करें कि कैसे लालन पालन करें कि बच्चे खुश रहें … बहुत सारी बातें हैं पर मैं कुछ एक ही बताऊंगी

पहला तो ये कि बच्चों की भी सुनें … आमतौर पर उनकी बातें सुनते नही अपने आफिस के काम पर मोबाइल पर ही बीजी रहते हैं और अगर गृहणी हैं तो टीवी सीरियल की वजह से भी बच्चे कई बार पिट जाते हैं  जबकि उनकी बातें सुननी चाहिए.

अगर बच्चे ने गलत काम किया तो हम झापड़ मारने में आगे रहते हैं पर अगर अच्छा काम किया तो प्रशंसा भी तो करनी चाहिए …

कई बार फैले हुए  कमरे को भी relish करना  चाहिए … मान लीजिए बच्चे ने कमरा फैलाया तो हम देखते ही गुस्सा करेंगें नाराज होंगें … कभी कभी ऐसा मत कीजिए … फैला हुआ कमरा देखिए और कहिए … अरे बाप रे … इतना गंदा कमरा … इसे ठीक करने के लिए एनर्जी चाहिए  … कुछ देर बैठ कर आईसक्रीम खाते हैं कार्टून देखते हैं फिर मिलकर ठीक करेंगें … फिर देखिए बच्चा आपके साथ मिलकर कितनी मदद करेगा …

 

 

हम बच्चों के दोस्तों को भी कभी सही नही कहते .जबकि दोस्तों को भी सराहिए

…बच्चे को  responsibility दीजिए उन पर विश्वास कीजिए टाईम टेबल बना लीजिए और उसी हिसाब से बच्चे को चलने को कहिए

Help, advice, opinions बच्चों की लीजिए  मान लीजिए बच्चे के दोस्त का बर्थ डे है वो game  देना चाहता है और आप घर पर पडा कोई पुराना decoration piece निकालना चाहते हैं … ऐसे में तो बच्चे का mood off  होगा ही … आप वो gift  अपने दोस्त के जन्मदिन पर ही दीजिए

कोशिश ये कीजिए कि एक बार् तो लंच नही तो डिनर एक साथ मिल बैठ कर कीजिए और उस समय कोई फोन नही कोई टीवी नही बस बच्चें , आप और बातें … बातें तो बहुत हैं  पर पहले इस पर अम्ल करना शुरु कर दीजिए … बदलाव साफ दिखेगा …

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स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें

 

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