Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 29, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता का महत्व और हमारी जागरुकता – ऑडियो

रिश्वतखोरी - आईए रिश्वत दें
मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-our-earth-by-monica-gupta.wav

क्लिक करिए और सुनिए दो मिनट और 37 सैकिंड का स्वच्छता पर ऑडियो

स्वच्छता का महत्व और हमारी जागरुकता – ऑडियो

धरती को रहने लायक कैसे बना जाए ? क्या वाकई में स्वच्छता अभियान में हमारा कोई योगदान हो सकता है ? या फिर  दान पुण्य के नाम पर गंदगी फैलाना ही जायज है…!! हास्य और मनोरंजन के माध्यम से  इसी विषय पर  मेरी आपबीती….

धरती को रहने लायक कैसे बनाया जाए ??आज मैं इस बारे में बाहर बैठ कर सोच रही थी. तभी माली आ गया क्योकि घास बहुत बढ गई थी तो वो उसे काटने लगा. अचानक मैने देखा सामने सडक पर गाय आ रही है  मैने सोचा अरे वाह…. आज तो गउ माता को ताजी ताजी घास खिला देती हूं पुण्य का काम हो जाएगा… इसलिए कटी घास उठाई और गेट के बाहर सडक पर डाल  दी.

पहले तो  गाय  ने  लेफ्ट राईट देखा …फिर अपनी गर्दन झटकते हुए भवें हिलाई  शायद हैरान हो रही होगी क्योकि मैंने कभी उसे घास नही डाली … हा हा यानि कभी कुछ खाने को नही दिया और वैसे भी  सडक पर कुछ भी डालने के हमेशा से ही खिलाफ रही हूं पर आज् शायद  मेरा कोई पुण्य जाग उठा था या अपने पास पडोस को देख कर …

खैर वजह जो भी रही मैने कटी घास डालनी शुरु कर दी  उसने घास खाना शुरु ही किया था कि उसके चार पांच दोस्त और शायद  भी सहेलिया भी आ गई. मैने मन ही मन सोचा रे वाह … आज तो सारी घास इन सभी को ही खिला दूगी तो देवी देवता सब प्रसन्न हो जाएगें…

माली घास काटता रहा और मैं बाहर डालती रही. कुछ ही पल में बाहर देखा तो मेरी वजह से सारी सडक घास युक्त हो चुकी थी और तो और बैल अपने दोस्तो सहित सडक के बीचोबीच आसन जमा चुके थे  और दो ने तो गोबर तक करना शुरु कर दिया था..

कहां तो मैं कभी धास भी नही डालती थी और कहां उन्होने सारा गुड गोबर कर दिया …यकीनन  आने जाने वालो को परेशानी भी हो रही होगी…

एक मोटर साईकिल वाले ने वहां से जाते हुए मुझे ऐसे गुस्से से  देखा मानो कह रहा हो ये क्या हाल बना रखा है … अरे बाप रे ..!!!

मैं टेंशन में आ गई पर भगवान का शुक्र है कि उसी समय सडक साफ करने वाली जमादारनी आ गई और उसने बची घास  एक किनारे पर रख कर सडक साफ कर दी  तब तक घास भी खत्म हो गई थी और उसने और माली ने मिलकर जानवरों को भगा दिया …

उस समय मेरे मन में फिर आया कि धरती रहने लायक तभी बनाई जा सकती है जब हम उसे साफ सुथरा रखेंगें और ऐसे गंदा नही करेंगें भले ही पुण्य का कार्य हो जैसाकि हम हरिद्वार या गंगाजी जा कर करते हैं… वहां अस्थियां बहाते हैं पोलीथीन बहाते हैं जिसकी वजह से गंगा व अन्य पावन नदियां प्रदूषित हो रही है…

पता नही मेरे यह बताने  की क्या वजह है… है भी या नही पर इतना जरुर है कि धरती रहने लायक तभी बन सकती  है जब वो स्वच्छ हो, साफ हो और गंदगी से कोसो दूर हो…

एक सैल्फी स्वच्छता के नाम – Monica Gupta

एक सैल्फी स्वच्छता के नाम बेशक दुनिया में सैल्फी का इतिहास बहुत पुराना हो पर अगर अपने देश की बात करें तो बात ज्यादा पुरानी भी नही है…लाखों लोगो को सैल्फ read more at monicagupta.info

 

स्वच्छता के नारे – Monica Gupta

स्वच्छता के नारे स्वच्छता हम सभी के लिए बेहद जरुरी है जानते हैं हम सब पर फिर भी मानते नही है और गंदगी फैलाए चले जाते हैं. read more at monicagupta.info

वैसे आपके क्या विचार है इस बारे में जरुर बतईएगा कल फिर मिलूगी एक नए टापिक के साथ तक तक सफाई रखिए और स्वस्थ रहिए….

July 17, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बारिश का मौसम और जल भराव

बारिश का मौसम

बारिश का मौसम

बारिश का मौसम और जल भराव

एक मजाक बन कर रह गई है

बरसात बनाम पोल खोल .. बारिश का मौसम सडको की पोल खोल देता है जगह जगह जलभराव परेशानी का सबब बन जाता है…  कही बादल फट रहा है तो कही बिजली गिरने से मौत हो रही है.. कुल मिलाकर भयावह वातावरण है… बारिश जिसका नाम सुनते ही मन खुश हो जाता है अब हाथ प्रार्थना के लिए उठ रहे हैं कि हे भगवान बरसात रुक जाए

ऑडियो – मानसून और झमाझम बारिश

July 16, 2016 By Monica Gupta 1 Comment

सोशल मीडिया वरदान या अभिशाप

सोशल मीडिया वरदान या अभिशाप

सोशल मीडिया वरदान या अभिशाप

सोशल मीडिया वरदान या अभिशाप

मीडिया ट्रायल … अजी अदालत, कोर्ट कचहरी  नुक्ता चीनी करे .. खिचाई करे  तो समझ आता है पर मीडिया खिंचाई करे तो …. जरा सोचिए !!

मीडिया किसी को नही बक्शता…चाहे नेता हो अभिनेता हो या हो, पुलिस हो पब्लिक हो यहां बस सब बिना बात की गहराई तक जाए बिना कुछ जाने समझे… भेडचाल में … बस किसी का कभी भी जलूस निकाल देते हैं… एक बार बस फंसने की देर है फिर देखिए क्या हश्र होता है..

सोचने की बात यह भी है कि क्या ये सही है ?? क्योकि कई बार बेगुनाह और ईमानदार आदमी इसकी चपेट में आ जाता है और पूरी जिंदगी सदमे से उबर नही पाता है

August 6, 2015 By Monica Gupta

हमारा पशु प्रेम

 

animals photo

Photo by magnus.johansson10

                                  हमारा पशु प्रेम (व्यंग्य)

तू इस तरह से मेरे जिंदगी मे शामिल है जहां भी जाऊं ये लगता है तेरी महफिल है …. रुकिए रुकिए ज्यादा सोचिए मत!!! असल मे, यह गाना मैं पशुओ के लिए गुनगुना रही हूं जो हमारे चारो तरफ है. जिधर देखू तेरी तस्वीर नजर आती है…क्या???

 आपको विश्वास नही हो रहा चलिए मै बताती हूं. सुबह सुबह घर से आफिस  जाने के लिए  निकलती हूं तो हमारी पडोसन गजगामिनी उर्फ मुन्नी अक्सर हमारे गेट के आगे फल और सब्जियो के छिलके फैकती मिल जाती है. असल मे, वो क्या है ना सडक पर धूमने वाले सांड और बैल भूखे रहे यह उसे सहन नही होता और उसके घर के आगे उनका नाच हो यह भी उसे अच्छा नही लगता इसलिए वो अच्छी पडोसन होने के नाते अपना प्यार दिखाती हुई ,छिलके फेंक कर मीठी मुस्कुराहट लिए भीतर चली जाती है और मै भी जल्दी से कार मे बैठ कर दफ्तर लपकती हूं कि कही लडाई करते सांड और बैल मेरा रास्ता ही ना रोक ले.

अब रास्ते की बात करे तो सडक पर एक मैन होल का ढक्कन किसी ने चुरा लिया तो गऊ माता उसमे गिर गई थी. ना सिर्फ लोग बल्कि चैनल वाले भी लाईव कवरेज के लिए माईक लेकर खडे सनसनी पेश कर रहे थे और यह अब तो हर रोज की ही बात हो गई हैं.

हमेशा की तरह भारी ट्रैफिक से बच बचाकर किसी तरह  दफ्तर पहुची तो  मेरा स्वागत बुलडोजर से  हुआ. क्या !! आप उसे भी  नही जानते !! बुलडोजर हमारे बास के कुत्ते का नाम है पर श्श्श्श्श्श … उसे  कुछ भी कहना …पर…. कुत्ता मत कहना. बास बुरा मान जाएगे.खैर, जैसे ही मै बास के रुम मे पहुंची तभी उनकी श्रीमति जी का फोन आ गया और शेर से वो अचानक भीगी बिल्ली बन कर म्याऊ म्याऊ करके बात करने लगे. उफ ये पशु प्रेम !!

अपनी सीट पर आई तो एक फाईल गायब थी तभी पता चला कि आज बंदरो की टोली आई थी खिडकी के रास्ते. हो सकता है कि कागज,वागज उठा कर ले गए हो. मैने सिर पकड लिया कि अब बलि का बकरा मै ही बनने वाली हूं और हुआ भी यही चाहे आप इसे बंदर धुडकी कहे या गीदद भभकी … मुझे घर भेज दिया गया कि आप जाकर आराम करें. कल बात करेगे.

देखे कल ऊटं किस करवट बैठता है सोचते सोचते  मै घर लौट आई. पर बात अभी भी खत्म नही हुई. घर पर चूहे बिल्ली की कोई कार्टून चल रही थी.सच, उफ!!! जानवरो ने तो मुझे कही का नही छोडा.आज अगर मेरी नौकरी जाएगी भी तो वो भी सिर्फ बंदर की वजह से.सच मे, ये जानवर जिंदगी मे इस कदर हावी हो गए है कि मुझे  काला अक्षर भैंस बराबर लगने लगा है और मैं खडी बास यानि भैस के आगे बीन बजा रही हूं और शायद  मगरमच्छ के आसूं बहा रही हू पर .. पर … पर …!!!

तभी भैंस का  मेरा मतलब  बास का फोन आ गया. उन्हे शाम को अपनी पत्नी के साथ शांपिग जाना था और मेरी डय़ूटी लगा दी कि बुलडोजर को पार्क मे घुमाने ले जाना है क्योकि मैनें उन्हे बताया हुआ था कि मुझे जानवरो से विशेष प्रेम है इसलिए मरती क्या न करती. मुस्कुरा  कर हामी भर् दी.सोचा शेर के मुहं मे हाथ डालने से क्या फायदा.अब तो जल्दी ही बुलडोजर के बहाने गधे को बाप बना कर अपनी प्रोमोशन  का राग जरुर छेड दूगी और मै बछिया का ताऊ बनी जी हजूरी मे जुट गई.

सडक पर बुलडोजर इतरा कर चल रहा था जैसे अपनी गली मे कुत्ता भी शेर हो. सैर सपाटा करवा कर घर पहुची तो पडोसन मुन्नी रात के खाने की तैयारी कर चुकी थी. गेट के आगे  छिलको मे मटर और गाजर भी थी लग रहा था कि शायद मेहमानो को बुलाया है नही तो सुबह शाम मैथी,गोभी और आलू के छिलको से ही दो चार होना पडता है मै खडी खडी सोच ही रही थी तभी  ना जाने कहां से बैलो के जोडे को छिलको की महक आई और वो अचानक  सरपट भागते भागते आए और छिलके खाने मे जुट गए और मै डर के मारे घर के भीतर भागी. तभी फोन की घंटी घनघना उठी बास का फोन था  कि कल सुबह जल्दी आ जाना क्योकि शाम को घर लौटते वक्त कोई बैल अचानक उनकी  गाडी के सामने आ गया टक्कर हो गई और उन्हे  पैर मे फ्रैक्चर हो गया है….

तो  मै सही हू  ना … जानवर हमारी  जिंदगी मे शामिल हुए कि नाहि  …  इसलिए जहां भी जाए ये लगता है …!!!!

जरुर बताईएगा कि आपको हमारा पशु प्रेम कैसा लगा ??

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