Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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March 10, 2017 By Monica Gupta 6 Comments

अच्छा लेखक कैसे बने – क्रिएटिव राइटिंग की दो टिप्स

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी
अच्छा लेखक कैसे बने – क्रिएटिव राइटिंग की दो टिप्स –अकसर बहुत लोग जानना चाहते हैं कि राइटर कैसे बने .लेखन के लिए क्या जरुरी बातें है किन बातों का ख्याल रखना चाहिए

अच्छा लेखक कैसे बने – क्रिएटिव राइटिंग की दो टिप्स

लेखन कैसे करें … देखिए आज तो हमारे पास बहुत साधन है Facebook,  टवीटर , गूग्ल प्लस, blog के माध्यम से हम अपनी क्रिएटिविटी दिखा सकते है  और media से शुरु करना हो तो अपने शहर का evening या local newspaper, न्यूज पेपर से भी आरम्भ कर सकते हैं … धीरे धीरे अपना दायरा बढाते रहना चाहिए … अगर आप अच्छा लिखते हैं तो बहुत जल्द दुनिया की नजर में आ जाएगें.. इसलिए जरुरी है कि जिस विषय में आपकी रुचि है उसपर लिखते रहिए नेट से सर्च भी करते रहिए और लिखते रहिए…

क्रिएटिव राइटिंग की दो टिप्स

अपने अनुभव के आधार पर लेखन की दो टिप्स में आपको दे सकती हूं …

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पहला ये कि हमेशा पेपर पैन पास में होना चाहिए जब भी कभी कोई आईडिया आए उसे तुरंत लिख लिया … शब्दों का रुप तो उसे बाद मे भी दिया जा सकता है मेन बात लिख ली … क्योकि एक बार विचार चला गया तो दुबारा नही आएगा … कितना ही याद कर लीजिए इसलिए लिखना बेहतर …

और दूसरा …

जिस समय आप किसी बात को बहुत महसूस कर रहे हो उसे लिख लें क्योकि उस समय जो भावनाएं आएगी वो पढने वाले के दिल तक भी पहुंचेंगी … मान लीजिए आप होस्टल में हैं और घर की याद आ रही है … भावनाए बहुत प्रबल होती है और मन के भाव अच्छी तरह से व्यक्त हो जाएगे या फिर आप कही घूमने गए हैं किसी पहाड पर या समुद्र में उसे देख कर मन मे विचार आते हैं उसे लिख लीजिए … पढने वाले को भी अहसास होगा मानो वो  भी हवा के झोंकों में है …

accha lekhak kaise baney

इन बातों का रखिए  और बहुत अच्छे लेखक बन कर दिखाईए

लेखन टिप्स , साहित्य लेखन : कैसे करें शुरुआत , लेखन कौशल , लेखक कैसे बने , अच्छा लेखक कैसे बने – कुछ टिप्स , राइटर कैसे बने , राइटिंग , क्रिएटिव राइटिंग , क्रिएटिव राइटिंग इन हिंदी , सृजनात्मक लेखन क्या है , अच्छा लेखक कैसे बने – क्रिएटिव राइटिंग  की दो टिप्स

राईटिंग टिप्स – लेखन कैसे करें …

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October 27, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

लेखन के बारे में – लेखन कौशल को निखारने का सुनहरा अवसर

लेखन के बारे में

लेखन के बारे में – लेखन कौशल को निखारने का सुनहरा अवसर – लेखको के लिए खुश खबरी  से कम नही  ये खबर… एक समय था जब लेखको की रचनाए धन्यवाद सहित सम्पादक से वापिस आ जाती और मनोबल समाप्त हो जाता  या फिर अपनी किताब  प्रकाशित करवाने के लिए प्रकाशक के नखरे उठाने पडते  पर अब किसी के नाज नखरे उठाने की जरुरत नही बस अपना पूरा ध्यान लेखनी पर लगाईए… पल भर में अपने लेख प्रकाशित करके या अपनी लिखी किताब खुद प्रकाशित करके  पूरी दुनिया को अपना कला कौशल दिखाईए …

जी हां … न तो मैं गलत बोल रही हूं और न ही मैं मजाक कर रही हूं … मेरी बात जानने से पहले आपको सुनना पडेगा मेरा लेखन अनुभव…

  लेखन के बारे में – लेखन कौशल को निखारने का सुनहरा अवसर

वसुधैव कुटुम्बकम … पूरी पृथ्वी एक परिवार है … कुछ समय पहले तक मेरे मन में संशय था कि ऐसे कैसे सम्भव है पूरी पृथ्वी एक परिवार पर कैसे … पर जैसे जैसे इंटर नेट के सम्पर्क में आई मुझे यकीन होने लगा कि वाकई ये सच है आज हम नेट के माध्यम से पूरी दुनिया ना सिर्फ घूम सकते हैं बल्कि किस देश में कहां पर क्या हो रहा है क्या खबर है सब जान सकते है …कुछ् समय पहले तक ऐसा नही था.

 

लेखन के बारे में

लेखन के बारे में

मेरा लेखन का अनुभव …

बात बहुत पुरानी भी नही है अगर मैं अपने अनुभव की बात बताऊ तो बचपन मे यानि सन 1974 – 1975  में मुझे  बाल पत्रिकाए जैसे लोटपोट पढने का बहुत शौक था. इतना शौक था कि अगर मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही होती थी और अखबार वाला पत्रिका डाल जाता तो मेरे अचानक पेट दर्द शुरु हो जाता (झूठ मूठवाला)  … डांट तो पडती थी और कई बार मम्मी गुस्से मे मुझे अलमारी के उपर भी बैठा देती …  तो कई बार मैं कहती कि मम्मी लोटपोट भी पकडा दो … खैर ऐसे छोटे छोटे उदाहरण तो बहुत सारे हैं पर ये तो बात थी पढने की धीरे धीरे शौक बढने लगा और मैं अपने आप कहानी बना कर लिखने भी लगी पर नेट की सुविधा नही थी और ना ही कोई जानकारी इसलिए मेरी लिखी कहानियां कभी सम्पादक तक नही पहुंच पाई..

नासमझी, आधी अधूरी जानकारी में कभी टिकट नही लगाती थी तो कभी पोस्टकार्ड पर कहानी लिख कर भेज देती … और इंतजार भी करती कि मेरी कहानी जरुर छपेगी… खैर धीरे धीरे समझ आने लगी पर तब तक मैं बहुत कहानियां लिख कर भेज चुकी थी जिनका आज की तारीख में मेरे पास न कोई रिकार्ड है और न ही कोई सबूत …और लेखन जगत में मैं दस साल पीछे चली गई .. क्योकि आज अगर मैं अपना लेखन का अनुभव 27 साल लिखती हूं अगर तब मेरे पास साधन होते, नेट जैसी सुविधा होती, कोई बताने वाला होता तो मेरे लेखन का अनुभव आज 27 की बजाय 37 साल होता …

पर जब जागो तभी सवेरा …

लेखन कला का विकास

जब समझ आई और कहानियां सही ढंग से भेजना शुरु किया तब ये नही था कि जो भी कहानी या रचना भेजी वो प्रकाशित हो गई वैसे अगर 40% वापिस आई तो 60% प्रकाशित भी हुई.

एक लेखक के लिए अपनी रचना का जानी मानी पत्रिका में  प्रकाशित होना किसी सपने के सच होना से कम नही है … क्योकि मैं भी बहुत बार इस दौर से गुजरी हूं जब कहानी लिखी या कोई लेख लिखा और बहुत अच्छा लिखा पर वो छपा नही और  अगर टिकट लगा कर भेजा तो धन्यवाद सहित वापिस आ गया या फिर सम्पादक की मेज के नीचे रखे डस्टबीन की भेंट चढ गया.

ऐसे में उस समय आत्मविश्वास की बहुत कमी हो जाती है  … लगने लगता है कि शायद हममें काबिलियत ही नही है लेखक बनने की…

वो तो अब जाकर पता चला कि अकसर रचनाएं धन्यवाद सहित वापिस इसलिए भी आ जाती है कि ज्यादातर पत्र-पत्रिका के संपादक मंडल की अपनी एक रचनात्मक रुचि होती है अपनी टीम होती है और ज्यादातर उन्हीं की रचनाएं ली जाती हैं यानि हमारी रचना का न छपना इस बात का सकेंत नही होता था कि हम अच्छे लेखक नही है या अच्छा नही लिखा इसलिए प्रकाशित नही हुआ…

तो यानि हम में काबलियत है … हम न सिर्फ सोच सकते हैंं बल्कि अच्छा लिख भी सकते हैं अब रही बात  कि बेशक लिख तो  लिया पर दिखाएगें कहा  यानि प्रकाशित कहां करें कौन पढेगा हमारी रचना को … … कोई माध्यम ही नही … किताब की पांडुलिपि तैयार है पर कोई प्रकाशक  तैयार नही … ऐसे में क्या किया जाए ??? .

क्योकि बार बार रचना ना  छपना या धन्यवाद सहित वापिस आ जाना लेखक के लिए निराशा का कारण बनता जाता है और एक समय ऐसा आता है कि वो लेखन से विमुख होता जाता है यानि लेखक बनने से पहले ही लेखनी दम तोड डेती है…  बात सिर्फ लेखन की ही नही बल्कि पब्लिशर की भी है हम अपनी किताब छपवाना चाह्ते है पर पब्लिशर या तो मिलते नही या वो मनमानी करते हैं इस करके हमारा लेखन कही दब सा जाता है… तो क्या रास्ता है .. ? क्या है कोई आशा के किरण … !!!

लेखन कौशल का मूल्यांकन

जी … हां बिल्कुल है … आशा की किरण है जिससे न सिर्फ आपको लेखने का बल मिलेगा बल्कि अपनी लिखी किताब भी पब्लिश करवा सकते हैंं.. आज जो कुछ  हमें इंटर नेट ने दिया है हमें उसका धन्यवाद करना चाहिए … बस हममे लिखने का दम खम होना चाहिए फिर नाम कमाते समय नही लगेगा … लेखन कैसा हो ये तो खैर ये अलग विषय है फिलहाल आज बात हो रही है कि हम अपना लेखन दुनिया तक कैसे पहुंचा सकते हैं और वो माध्यम है ढेर सारी सोशल नेटवर्किंग साईटस और इन सब मे सबसे उपर है ब्लॉग लेखन …

ब्लॉग लेखन के माध्यम से हम अपनी बात कही तक भी पहुंचा सकते हैं और रही बात अपनी किताब प्रकाशित करवाने की तो वो भी हम बहुत आसानी से कर सकते हैं … मैं भी बहुत रास्तों से गुजरी, बहुत उदासी झेली पर अब नही क्योकि अब मैं अपनी किताब खुद प्रकाशित करके उसे नेट पर डाल सकती हूं …

अगर किताब का सारा मैटर हमारे सम्पादन करके बिल्कुल पास तैयार है तो 24 घंटे के भीतर भीतर आपकी किताब ऑन लाईन हो सकती है… मैने हाल ही में एक किताब ऑनलाईन की है जिसका लिंक आप देख सकते हैं . मैने  एक किताब लिखी और उसे प्रकाशित भी किया जिसकी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली जिस कारण मैं अपनी अगली ऑनलाईन किताब पर काम कर रही हूं  कुल मिलाकर अगर नई टेक्निलोजी का अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो लेखको के लिए आशा की किरण बन सकती है…

101 स्वच्छता के नारे 

 

लेखन कला का विकास

लेखन कला का विकास

My Experience and Blogging – Monica Gupta

एक कडवी सच्चाई जिससे मुझे दो चार होना पडा… और मैं जिंदगी की रेस में  दस  साल पीछे रह गई.  read more at monicagupta.info

 

 

 

लेखन के बारे में आपको ये लेख कैसा लगा … ??

 

तो तैयार है आप भी ब्लॉग के माध्यम से अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए या ऑनलाईन अपनी लिखी किताब खुद प्रकाशित करने के लिए …

आज, जब, हमारे पास नेट जैसी सारी सुविधाएं है तो हमें ज्यादा सोचने मे समय नही लगाना चाहिए …

January 24, 2016 By Monica Gupta 5 Comments

My Experience and Blogging

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

My Experience and Blogging –  खासतौर पर लेखकों के लिए लेख – ब्लॉग क्यों जरुरी है…  आज जब हमारे सामने लेखन कौशल दिखाने के लिए इतना विशाल क्षेत्र है तो हमें जरुर कुछ लिखते रहना चाहिए …

My Experience and Blogging

कल एक जानकार parents अपने बच्चे को लेकर आए …वो 5 क्लास मे है उन्होने दिखाया कि उनके बच्चे ने दो कविताएं लिखी हैं कैसी हैं… मैने पढी. वाकई बच्चे के हिसाब से बहुत ही अच्छी लिखी थी तभी parents ने पूछा कि आप कितने साल से लिख रही हो ……मैने कहा कि officially 27 साल से और unofficially 37साल से … उन्हें समझ नही आया तब मैने जो उन्हें बताया आपसे भी share कर रही हूं

 

पहले समय में लोगों के पास घडी नही हुआ करती थी पर उनके पास समय ही समय था और…. आज…. घडी हर किसी के पास है पर समय नही … ऐसी busy लाईफ में आपने अपना कीमती समय  मेरे ब्लॉग को पढने के लिए निकाला  जिसके लिए मैं आपका  बहुत सारा thanks और स्वागत करती हूं…

My Experience and Blogging

My Experience and Blogging

वाकई, जिंदगी का एक एक पल बहुत कीमती होता है. जहां हम एक एक मिनट का हिसाब रखते हो ऐसे में दस साल पीछे रह जाना…. बहुत बहुत मायने रखता है…. जी हां दस साल पीछे  !! पर ये सच्चाई है…. एक कडवी सच्चाई जिससे मुझे दो चार होना पडा… और मैं जिंदगी की रेस में  दस  साल पीछे रह गई.  इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा कि Writing  का 36- 37 साल का Experience  होते हुए भी मुझे आज 27 साल का Experience लिखना पडता है जिसका कारण है उन दिनों नए writers  के लिए कोई  platform  न होना या फिर lack of information  यानि मुझे जानकारी का अभाव होना.

बात उन दिनों  की है जब मैं स्कूल में थी और stories  पढना और लिखना बहुत अच्छा लगता था. लोटपोट और चंपक तो इतनी अच्छी लगती थी कि अगर मैं स्कूल जाने को तैयार होती और अखबार वाला मैगजीन दे जाता तो अचानक मेरे पेट में दर्द हो जाता. झूठमूठ का. स्कूल जाने से छुट्टी तो मिल जाती पर मम्मी से डांट भी पडती. कई बार तो मम्मी गुस्से में मुझे अलमारी के उपर ही बैठा देती पर मेरा ध्यान मैगजीन में ही रहता और मैं मम्मी को बोलती कि यहां मैगजीन भी पकडा दो और वहां आराम से मैगजीन पढती और उसे पढने के बाद नीचे कैसे आया जाए उसका बहाना सोचती.

कुल मिला कर story books पढने का बहुत शौक था  हमारे सिलेबस में english और हिंदी में  भी stories हुआ करती थी और तब मैं हमेशा सोचती कि अगर मुझे कहानी लिखनी होती तो मैं ऐसे लिखती कहानी वैसे लिखती.

ढेरों thoughts  मन में आते रहते जिंन्हे मेरा बालमन कभी कापी के आखिरी पन्ने पर, तो कभी रफ कापी पर लिख लेता पर जरा भी समझ नही थी कि कहानी प्रकाशित होने के लिए क्या करना चाहिए कहां भेजनी चाहिए किस तरह से करना चाहिए. हंसी आती है आज भी ये सोच कर जब मैं अपनी लिखी कहानी कई बार पोस्टकार्ड पर भी भेज देती थी.

My Experience and Blogging

My Experience and Blogging

कुल मिलाकर 1975 से 85 के दशक में मुझे कोई भी सशक्त मंच नही मिला और मेरा लेखन बस मुझ तक ही सीमित रह गया. अपनी समझ के अनुसार  रचनाएं लिखकर प्रकाशन के लिए भेजती रही पर ना किसी रचना को सम्भाला और न किसी का कोई रिकार्ड रखा और बस देखते ही देखते दिन, महीने और फिर साल गुजरते रहे. मेरी writing को कही कोई मौका नही मिला.

बहुत साल बाद 89 में अचानक, लोकल न्यूज पेपर में मेरी कहानी का छपना मेरे जिंदगी का mile stone था. मुझे नई दिशा मिली और फिर लेखनी चलती ही रही….

 

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अब… आपके मन में ये बात जरुर आ रही होगी कि ये सारी बात मैं आपसे किसलिए शेयर कर रही हूं. बात शेयर करने का एक बहुत बडा कारण है और वो है इंटरनेट….. एक समय था जब अपनी बात रखने के लिए कोई platform  नही हुआ करता था फिर आया इंटरनेट का जमाना …  और इसने अपनी ओर आकर्षित करना शुरु किया. नेट जहां मनोरंजन का साधन बना वही  ब्लाग अपना नाम अपनी पहचान और शौहरत पाने का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा.

blog photo

वैसे, पहले मुझे भी जानकारी नही थी कि ब्लाग है क्या ?? मैं भी कभी फेसबुक, कभी गूगल, कभी किसी की प्रोफाईल पर कमेंट कर दिया तो कभी किसी को हैप्पी बर्थ डे लिख दिया बस धंटों नेट पर यही करती रहती. जब blog का नाम सुना तब ज्यादा जानने की इच्छा हुई कि ब्लाग है क्या !!!

सर्च करना शुरु कर दिया. बहुत सर्च करने के बाद जब blog की  importance और इसके ढेरों  benefits  का पता चला तो मैं हैरान  ही रह गई और बिना समय एक पल गवाएं मैने नवम्बर 2012 में ब्लाग बना लिया. आज जो आप ब्लॉग पढ रहे हैं इसमें मेरी हजार से ज्यादा पोस्ट publish हो चुकी हैं जिसमे cartoons, कहानी, कविता, Zee news खबरे,  Social Work,अनुभव, Videoवीडियों, ऑडियों  Audio,समाचार पत्रों में प्रकाशित news paper cuttings आदि सब  इसमें शामिल हैं.

Blogging एक ऐसा सशक्त माध्यम बन कर उभरा है जिसमें हम अपनी कला को न सिर्फ सहेज कर रख सकते हैं बल्कि अपनी knowledge और Experince  पूरी दुनिया के साथ शेयर कर सकतें हैं

काश….. net की….. blog की सुविधा  70 टीज  80 मे होती तो शायद आज मैं भी यह कह सकती कि मेरे लेखन का 35 -36 साल का अनुभव है लेकिन ऐसा हुआ नही और, इसकी वजह से मैं, दस मिनट नही….. दस हफ्ते नही…….यहां तक की दस महीने भी नही बल्कि दस साल पूरे दस साल पीछे हूं और हमेशा रहूंगी….!!!

मुझे मालूम है कि ये सिर्फ मेरे साथ ही नही बल्कि मेरे जैसे कितने उदाहरण होंगें जो सिर्फ जानकारी की कमी की वजह से अपने सपनों को साकार नही कर पा रहे होंगें.

क्योकि कुछ कर दिखाने का talent तो हर किसी मे होता है…. talent आप मे भी है भले ही आप इस बात को न माने….. अब देखिए …मेरी एक friend खाना बहुत अच्छा बनाती है वो उसका टेलेंट हैं मेरी एक जानकार अम्मा जी के पास कहानियों का,प्रेरक प्रसंगों का खजाना है ये उनका टेलेंट हैं.. रश्मि आफिस में काम करती है पर अपने बच्चों की देखभाल पेरेंटिंग  के लिए पूरा समय निकालती है ये उसका टेलेंट है.

एक अन्य जानकार रीतू ने blog बनाने की इच्छा जाहिर की पर उन्होनें यह भी बताया कि किसी भी तरह का टेंलंट तो उनके पास नही है पर बस कुछ करना चाहती है और यह बात उन्होनें जिस आत्मविश्वास के साथ कही  मेरे विचार से अपने भीतर इच्छा शक्ति का होना ही सबसे बडा टेलेंट हैं इससे बढकर और क्या टेलेंट होगा मेरे विचार से आप भी मेरी इस बात से सहमत होंगें.

वही दीपक का maths बहुत अच्छा है ये उसका टेलेंट है. शबनम का बहुत छोटा सा किचन गार्डन है जिसमे उसने इतनी सब्जियां लगाई हुई हैं कि पूरे साल बाजार से नही खरीदती. कनु फिटनेस , diet  का बहुत ख्याल रखती हैं और क्या खाना चाहिए क्या नही…. उसे सब पता है उसके परिवार में आज तक कोई भी बीमार नही पडा अब आप इसे क्या कहेंगें …. भई मेरे पास तो ऐसा हुनर नही है हम तो अंट शंट खाते भी खूब है और अपने बढते वजन से परेशान भी रहते हैं.

वही गोल्ड मैडेलिस्ट स्नेहा ने एम.ए एम फिल की हुई है उसकी पूरी अलमारी मैडल और ट्राफी से भरी हुई है पर शादी होने के बाद बस घर सम्भाल रही है मन तो करता है कुछ काम करने का…. पर नौकरी की इजाजत नही है… सारा दिन कभी किसी से गप्पे मारना, कभी शापिंग, कभी फेसबुक तो  कभी टवीटर पर घंटों समय बीता रही है जबकि वो घर बैठे ही blog  आय का साधन बना सकती है… क्योकि ब्लागिंग को ना सिर्फ लोग करियर बनाने लगें हैं बल्कि ये इंकम जरनेट करने का भी एक बहुत अच्छा सोर्स बन चुका है…पर बात फिर  वही …जानकारी के अभाव की आती है…. स्नेहा को पता ही नही कि जो टाईम वो सिर्फ पास कर रही है उसका कितना सही utilize हो सकता है.

हैरानी है कि Facebook, गूगल Google plus, टवीटर की तो हमे जानकारी है पर blog क्या है…. इसके क्या benefits  हैं इसकी जरा भी जानकारी नही… हम जानते ही नही है कि ब्लागिंग हमारी जिंदगी को बदल सकता है… नई पहचान देकर हमें बुलंदियों तक ले जा सकता है.

कुछ दिनों से यही बात मन में चल रही थी सोच रही थी कि क्यूं मैं दस साल पीछे रह गई … क्यों मुझे किसी बात की जानकारी नही मिली… फिर सोचा कि मन उदास करके या दुखी रह कर वो बीता समय तो वापिस नही लाया जा सकता तो क्यो ना मैं नेट के माध्यम से अपनी बात share  करुं और आप सभी को blog की सारी जानकारी विस्तार से दूं. मेरे बीते दस सालो की तो भरपाई कभी हो ही नही पाएगी पर…. आपको…. जानकारी के अभाव में पीछे नही रहने दूंगी.

जिंदगी बेहद कीमती है और इसका पल पल मायने रखता है. इसलिए आप भी अपने भीतर दबी इच्छाओं को…. अपनी क्षमताओं को बाहर निकाले और ब्लाग बना कर उसे नया आसमान दें.

blog photo

और खासतौर पर महिलाएं… प्लीज…. अपने आप को किसी से कम नही समझिए और ये भी नही सोचिए कि अब तो बच्चें बडे हो गए अब क्या करना… बस ठीक है कट रही है जिंदगी…जो जैसा चल रहा है…यही चलता रहेगा… पर अब समय आ गया है कि आप अपनी सोच बदले और नए जमाने के साथ कदम मिलाकर चले….   आप सोच भी नही सकतीं  कि आपके अनुभव, आपके ज्ञान से से ना सिर्फ किसी को प्रेरणा मिल सकती है बल्कि किसी की जिंदगी में बदलाव भी आ सकता है… और आपको जो नई दिशा के साथ साथ भरपूर मनोबल मिलेगा उसकी तो आपने कल्पना भी नही कर सकती.

और अगर आप लेखक हैं तो फायदे ही फायदे हैं. सम्पादक की तरफ से रचना का धन्यवाद सहित वापिस आना कितना कष्टदायी और दुखदाई होता है मेरे से बेहतर और कौन जान सकता है…. कल ही मेरी कहानी सरिता पत्रिका से धन्यवाद सहित वापिस आई है …  कल्पना कीजिए कि अगर रचनाए ऐसे ही वापिस आती रहती तो शायद लिखने का हौंसला भी टूट जाता .. अब रचना धन्यवाद सहित अगर वापिस आती है तो ब्लॉग जिंदाबाद…!!!

अगर हम ब्लाग पर लिख कर अपनी रचनाए डालते रहेंगें तो न सिर्फ हमारा मनोबल बढेगा बल्कि लेखन में भी सुधार होता जाएगा हमें हमारी कमियां पता चलती रहेंगीं और एक ना एक दिन  हमारे ब्लाग को देख कर हमारे लेखन को देख कर सम्पादक खुद ही हमारे लेख लेना चाहेंगें…

 

blog photo

बातें तो बहुत हैं बताने को पर समय को ध्यान मे रखते हुए मैं बस इतना ही कहना चाहूगी कि ये तो है मेरा अनुभव जो मैने आपसे शेयर किया…इतनी बाते आपसे शेयर करने का बस एक ही कारण है कि मैं आपको प्रेरित करती रहू… टोकती रहूं ताकि आप बैठे न रहें कुछ करें.

वो कहते भी है न कि

काम करो ऐसा कि पहचान बन जाए ,
हर कदम चलो ऐसा कि निशान बन जाए ,
जिँदगी तो सभी… जिँदगी तो सभी …..काट लेते है यहाँ
जिँदगी जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए

दस साल पीछे रहने का दर्द जो मैने झेला है उससे आपको बिल्कुल नही गुजरने दूंगी ……. आप अपने भीतर टटोलिए तो सही…अपनी क्षमताओं को पहचान तो दीजिए…

Blogging Tips in Hindi

मंजिल मिले या न मिले ये तो अलग बात है हम कोशिश भी न करें ये तो गलत बात है…

तो अगर आपके मन में…. अभी कुछ बातें चल रही हो… और आप जानना चाहते हैं तो मुझसे कभी भी सम्पर्क करके जानकारी ले सकते हैं या  SetUpMyBlog  पर क्लिक कर सकते हैं

अगली मुलाकात में….. ब्लॉग के बारे में ढेर सारी जानकारी होगी …

तब तक के लिए…  बिना time waste किए जुट जाईए अपनी खूबियों को पहचानने में..  😎

मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

 

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