वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं , जिंदगी बदलने के लिए लडना पडता है और आसान करने के लिए समझना पडता है …परिवर्तन प्यारा है.
वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं
समय के साथ बदलना और मिलकर चलने मे ही भलाई है कल आपने बच्चे को उंगली पकड कर चलना सीखाया आज वो आपकी आप उंगली थाम कर चल रहे हैं.चाहे कम्प्यूटर सीखाने की बात हो या एस्केलेटर पर चलना सीखने की बात हो वो कहते भी है ना कि जिंदगी बदलने के लिए लडना पडता है और आसान करने के लिए समझना पडता है
बदलते समय , बदलता समय, समय के साथ बदलना जरुरी, समय के साये में, बदलाव जरुरी, परिवर्तन ही जीवन है, परिवर्तन ही संसार का नियम है, जीवन है, परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है,
वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं
समय वाकई बदल रहा है और हमें भी बदलते समय के साथ कदमताल मिला लेना चाहिए … एक जानकार जोकि हाल ही में रिटायर हुए हैं बहुत खुशी खुशी घर आए और बोले आज मैने फेसबुक पर कमेंट किया … बोले लाईक तो मैं हमेशा करता था पर आज पहली बात कमेंट किया … और खुशी खुशी दूसरे दोस्तों को बताने चले गए …
मुझे याद आया कि जब मैं एक बार अपनी सहेली के गई तो उनका बेटा जोकि 10 में पढता है बहुत बुरी तरह से अपनी मम्मी को गुस्सा हो रहा था कि क्या है आप तो समझती ही नही ..कितनी बार समझा चुका हूं … और वो सिर झुकाए डांट खा रही थी …
मेरे पूछ्ने पर सहेली ने बताया कि असल में गलती ही उसी की है कमेंट पोस्ट करना नही आ रहा इसलिए ..
मैनें उसके बेटे को कहा कि अरे भई मम्मी है आपकी जरा प्यार से समझाओ …तो मेरी सहेली मुझसे बच्चे की तरह लिपट कर बोली कि जरा इससे कहो कि मेरी फ्रेंडरिक्वेस्ट भी ले ले … ले ही नही रहा …
वैसे बात चाहे मोबाईल सीखने की हो या .. एस्केलेटर पर जाने की … सीख लेनी चाहिए … जी वो भी तो नए जमाने की देन है.. मेरी सहेली मणि को एस्केलेटर से बहुत डर लगता है …
एक बार जब वो बेटे के पास दिल्ली गए तो जिस मॉल मे गए वहां सिर्फ एस्केलेटर ही था … मणि ने साफ मना कर दिया कि वो वापिस घर जाएगी पर इस पर नही जाएगी..
तो उसका बेटा आगे आया और बोला मम्मी आप मेरा हाथ पकडो और बहुत कोमलता से उसका हाथ पकडा ठीक वैसे जैसे मणि अपने बेटे का हाथ बचपन में पकड कर चलना सीखाती थी मणि कुछ नही बोल पाई … बेटे ने कहा कि कुछ नही करना बस अपना पैर पीली लाईन के अंदर रखो और अगले ही पल दोनो उपर जा रहे थे…
मणि ने बताया कि जब बचपन मे वो बेटे को चलना सीखाती थी और जब वो चलते चलते जमीन पर गिर जाता था था तो कभी झूठ मूठ से फर्श की पिटाई करती और कभी कहती ओ देखो ये तो चींटी मर गई आपके नीचे आकर. आज बातो बातो मे बॆटे ने भी बहुत सारे कारण देकर उसका ध्यान बांटा और उसके अंदर छिपे हुए डर को चुटकियो मे भगा दिया. तो बताईए परिवर्तन अच्छा है ना .
हिंदी ब्लॉग टिप्स – Monica Gupta
हिंदी ब्लॉग लेखन पर कुछ टिप्स जहां नेट की दुनिया में , सोशल मीडिया में फेसबुक, गूगल प्लस, ट्विटर छाया हुआ है वहीं blog और blogging के लिए हिंदी ब्लॉग टिप्स read more at monicagupta.info
वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं के बारे में आपकी राय का स्वागत है…
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