लघु कथा उलझन
आज मीता मे जैसे ही अखबार पढा वो खुशी के मारे चहकने लगी. असल मे, उसने अखबार के एक कालम उलझन सुझाव के लिए अपनी राय भेजी थी और उसके पत्र को पुरुस्कृत किया गया था.
उलझन यह थी कि नीना यानि सुशांत की पत्नी की तरफ से यह लिखा गया था कि उसकी और सुशांत की शादी को आठ साल हो गए हैं और उसकी सासू माँ कुछ समय से उसी के पास रहने आ गई हैं और साथ मे ननद भी है. दोनो की जिम्मेदारी सुशांत के कंधे पर ही है.दिक्कत यह है कि सास बहू की बनती नही वही दिन भर किच किच.इसी उलझन मे और अब पति पत्नी के आपसी रिश्ते मे भी दरार आ गई है. उसे क्या करना चाहिए. पाठको के सुझाव मांगे गए थे.
इसी बारे मे मीता ने लिखा था
नीना, रिश्ते बहुत अनमोल और नाजुक होते है इसे सहेज कर रखने मे ही समझदारी है. आप थोडा सा झुकना सीखो और सास को पूरा आदर मान दो.उन्हे बाहर धूमाने ले जाओ. हर बात मे उनकी महत्ता जतलाओ.छोटी ननद को अपनी बहन की तरह रखो उसे बेहद प्यार दो. अगर आप सही तालमेल रखोगी तो आपके पति भी आपसे बहुत खुश रहेगें. देखना बहुत ही जल्द आपका प्यार रंग लाएगा और आपका घर आगंन खुशी से महकने लगेगा. आपकी मीता.
वैसे तो मीता अक्सर लिखती ही रहती है पर उसे उम्मीद नही थी कि यह सुझाव सम्पादक को इतना पसंद आएगा कि इसे पुरस्कार ही मिल जाएगा. बस इसी खुशी मे वो धंटे से फोन पर ही अपनी सहेलियो को बताने मे जुटी हुई थी. इसी बीच मे उसकी बीमार सास दो बार आवाज दे चुकी थी कि उसकी दवाई का समय हो गया है.
माथे पर बल डालती हुई मीता सास के कमरे मे घुसी और चिल्लाते हुए बोली…” क्या हुआ अगर एक घंटा दवाई नही लोगी तो मर नही जाओगी. अच्छी मुसीबत आ गई है आपके आने से. सारा दिन बस काम काम और काम… अपनी तो कोई लाईफ रही नही.”ये” भी आफिस चले जाते हैं और दिन भर तो झेलना मुझे ही पडता है.
कुछ देर अपनी सहेली से भी बात नही कर सकते और हुह बोलती हुई मुहं मार कर कमरे से बाहर निकल गई.
सास चुपचाप दवाई लेकर अपने कमरे का दरवाजा जोर से पटक कर बंद कर दिया