छोटी सोच
छोटी सोच या ओछी मानसिकता ..
स्टोरी नम्बर 1
एक जानकार आजकल मजाक का कारण बनी हुई है. वजह ये है कि उन्होनें अपने घर में पानी की मोटर के साथ सायरन लगवाया हुआ है ताकि जैसे ही पानी की टैंकी भरे सायरन बज जाए ताकि वो मोटर बंद कर दे और पानी व्यर्थ न जाए पर आस पडोस के लोग मजाक बना रहे है कि बडी आई !!
स्टोरी नम्बर 2
सडक के किनारे एक व्यक्ति कार रोक कर फोन पर बात कर रहा था. आने जाने वाले लोग मजाक बना रहे थे कि यो देखो… ज्यादा समझ रहा है अपने आप को.. !!
तीसरी स्टोरी 3
चार बच्चे चिप्स खाते जा रहे थे और सडक पर ही खाली रैपर फेंक दिया. बस, एक ने फेंकने की बजाय खाली रैपर जेब में रख लिया क्योकि आस पास को कूडादान नही था. बस, उसी दिन से उसका मजाक उडाया जा रहा है कि बडा आया खुद को समझने वाला.. !!!
अब अगर कोई पानी बचाता है या सडक के नियम अपनाता है या स्वच्छता का ख्याल रखता है तो क्या, वाकई में हमे, उनका मजाक बना कर हतोत्साहित करना चाहिए या … !!
वैसे, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी गुजरात के साबरमती आश्रम में आयोजित एक समारोह में कहा था कि देश की असली गंदगी नालों में नही बल्कि लोगों के दिमाग में है.…
अब क्या इस बात का भी हमें मजाक बनाना चाहिए या …. आपका क्या ख्याल है इस बारे में …!!
छोटी सोच
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