तोता
भरी दोपहर बिल्ली से बचता बचाता एक नन्हा मिठठू मियां अचानक घर के भीतर आ गयाऔर कोने में चुपचाप टुकुर टुकुर ताकते हुए खडा हो गया.पहले पहल तो हम भी चुप रहे कि थोडा सेट हो जाए क्योकि बिल्ली के पंजे निकल कर आना बहुत बडी बात थी. लगभग एक घंटे बाद हमनें उस की आवभगत शुरु कर दी पर जैसे ही थोडा ठीक महसूस किया वो कमरे की खिडकी पर बैठ कर बाहर ही एक टक ताकने लगा… …
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो बाहर जाना चाह रहा है पर हम बिल्ली के डर के मारे उसे बाहर जाने नही देना चाह रहे थे अगर दुबारा हमला हो गया तो …. पर उसका उदास चेहरा देख कर मन मे हमें ही दुख हो रहा था कि हम ही गलती कर रहे हैं बस शाम होते ही हमने अनमने मन से उसे आजाद कर दिया …
बस एक ही कामना है कि दुबारा से बिल्ली उनका सामना न हो ! घर के बाहर उडने के बाद खूब तेज आवाज आई मानो कह रहा हो थैकू जी
एक था तोता … तोता तो चला गया पर अपनी यादे छोड गया. पानी की कटोरी, टमाटर, हरी मिर्च निकाल कर बाहर रख दी… शायद भूले भटके छत पर आए तो खा ले…
तो… तोते की कहानी कैसी लगी …