नेकी की दीवार
नेकी की राह पर हमेशा चलना सुखकर ही होता है. राजस्थान के भीलवाडा में एक ऐसा जीता जागता प्रेरक प्रसंग देखने को मिला जिससे न सिर्फ खुशी हुई बल्कि मन में, स्वैच्छिक भाव से कुछ करने को भी बढावा मिला. वाकई , किसी को बिना जताए मदद के लिए आगे आना एक ऐसा खूबसूरत अहसास है जिसे शब्दों में नही बताया जा सकता . एक ऐसी ही प्रेरक खबर राजस्थान के भीलवाडा से पढने को मिली.
भीलवाडा से एक प्रेरक खबर
नेकी की राह पर चलने का एक जीता जागता उदाहरण … भीलवाडा राजस्थान से एक बहुत ही प्रेरणादायी खबर पढने को मिली. शहर में एक ऐसी दीवार देखने को मिली जहां से कई बेसहारों को मदद मिलेगी। इस दीवार को रंग-रोगन कर कुछ इस तरह आकर्षक बनाया गया है कि आपके पास यदि कुछ देने को हैं तो हैंगर में टांग दीजिए या फिर जरूरत है तो वहां से ले जाइए। माना जा रहा है कि ईरान की तर्ज पर हुई ऐसी ही पहल के चलते शहर के आरसी व्यास कॉलोनी में एक दीवार को ‘नेकी की दीवार’ बनाया गया है.
दीवार पर खूबसूरत चित्रकारी है चित्रकार केजी कदम्ब की.
जब चित्रकार केजी कदम्ब से बात हुई तो वो इस नए प्रयोग से बेहद उत्साहित नजर आए और उन्होने बताया पहले पहल तो लग रहा था कि पता नही इस तरह का अभियान हमारे देश में कितना सफल होगा.. पर खुशी यह देख कर हुई कि इसकी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और अन्य राज्यो जैसे गुजरात के सूरत और यूपी से भी लोग ऐसा ही करवाना चाह रहे हैं …
उन्होनें बताया कि इसमें चित्रित पेड ये दर्शाता है कि पेड हमेशा देता ही देता है और खुशहाल परिवार दिखाने का भाव भी यही है कि परिवार लेकर भी खुश है और देकर भी खुश है.. !!
ईरान में पिछले कुछ समय से लोगों ने ऐसी दीवारें तैयार की हैं। इस दीवार पर जरूरतमंदों के लिए लोग कपड़े टांग कर चले जाते हैं। इसी तरह जरूरत वाले लोग यहां से कपड़े ले जाते हैं। इन दीवारों को ‘वॉल ऑफ काइंडनेस’ कहा जाता है। अब लोग सिर्फ कपड़े ही नहीं, किताबें और खाने-पीने का सामान भी रख रहे हैं.
बीमा कंपनी के अधिकारी प्रकाश नवहाल इंटरनेशनल बुलेटिन में ईरान की इस दीवार वाली खबर देखर काफी प्रभावित हुए। यहां भी इस तरह की जरुरत महसूस होने से नगर विकास न्यास को सुझाव दिया।
बहुत समय पहले इसी बात से मिलता जुलता प्रसंग पढा था कि इटली के वेनिस शहर के कॉफी शॉप में एक व्यक्ति वेटर को आवाज देता है। वेटर के आने पर वह ऑर्डर प्लेस करता है- ‘दो कप कॉफी कि एक मेरे लिए और एक उस दीवार के लिए. वेटर एक कप कॉफी ले आता है. लेकिन उसे दो कप का भुगतान किया जाता है। उस ग्राहक के बाहर निकलते ही वेटर दीवार पर नोटिस बोर्ड टाइप का एक कागज चिपकाता है, जिस पर लिखा होता है- ‘एक कप कॉफी’।
पांच मिनट बाद दो और व्यक्ति कॉफी शॉप में आते हैं और तीन कप कॉफी का ऑर्डर देते हैं। दो कप कॉफी उनके लिए और एक कप दीवार के लिए। उनके समक्ष दो कप कॉफी पेश की जाती है, लेकिन वे तीन कप कॉफी का भुगतान कर वहां से चले जाते हैं। इस बार भी वेटर वही करता है। वह दीवार पर ‘एक कप कॉफी’ का एक और कागज चस्पां करता है।
इटली के खूबसूरत शहर वेनिस में इस तरह का नजारा अक्सर देखा जा सकता है उस दीवार की भूमिका पर जरा ध्यान दीजिए किसी की मदद करने के लिए यह भी एक माध्यम है… यह शहर के वासियों की उदारता और सेवाभाव को प्रतिबिंबित करती है।
आज यही उदाहरण भीलवाडा में भी देखने को मिला… आमतौर पर जहां मांगने वालो को हिचकिचाहट होती है वही देने वाला भी थोडा अजीब महसूस करता है पर इस दीवार की कोई दीवार नही यहां कोई भी कभी भी आकर ले भी सकता है और दे भी सकता है… !!
वैसे आपके क्या विचार हैं … जरुर बताईएगा !!!
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