भेडचाल
हम और हमारी भेड चाल यह जानते हुए थी कि ये रास्ता कही नही जाता….
पिछ्ले दिनों दिल्ली से लौटते वक्त, नेशनल हाई वे पर, बहुत सारी भेडें सडक इस तरह से घेर कर चल रही थीं मानों हाई वे न होकर किसी खेत की पगंडडी हो इसलिए कार की रफ्तार बेहद धीमी करनी पडी. मैने कार का शीशा नीचे करते हुए भेडो को बोला ओ भेड जी जरा कच्चे में चलो.. क्यों हमारा रास्ता रोक रखा है. मुझे पता नही कि उन्हें क्या समझ आया क्या नही पर उन्होने म म म म म की आवाज जरुर निकाली. कार आगे बढी तो देखा कि बहुत वाहन लाईन मे लगे खडे हैं पहले लगा आगे शायद रेलवे क्रासिंग होगा पर वो कोई क्रासिंग नही बल्कि जबरदस्त जाम था. किस वजह से था ये पता नही चला. हम सोच ही रहे थे किया किया जाए तभी देखा एक कार बडी मुश्किल से मुडी और धीरे धीरे धूल उडाता चालक अपनी कार को कच्ची सडक पर ले गया उसकी देखा देखी एक और कार मुडी और फिर एक और कार… ना मालूम किसी को रास्ता पता था या नही पर उस कार की देखा देखी, कुछ ही पलों में खेत की पगडंडी पर अनगिनत कारें दौड रही थी.
उसी भेड चाल का हिस्सा बनें हम भी कार मे बैठे यही बात कर रहे थे क्या हम ठीक जा रहे हैं ? पता नही ये रास्ता कहां जाएगा या वापिस ही लौट जाए पर वापिस लौटना भी सम्भव नही था क्योकि वाहनों की कतार बढती ही जा रही थी. तभी देखा वही भेडे अब कच्ची पगडंडी पर हमें क्रास कर रही थी और शायद चिढा रही थी कि लो शुरु हो गई तुम्हारी भी भेड चाल ….!!! और मैं निरुत्तर थी. वैसे देखा जाए तो आज हमारी भॆडचाल ही तो है चाहे सडक पर टैफिक जाम में हो या सोशल मीडिया पर किसी बात की सच्चाई जाने बस भेड चाल की तरह उसका समर्थन करते पीछे लग जाते है म म म म म करते …यह जानते हुए भी कि ये रास्ता कही नही जाता …
भेडचाल का समर्थन न ही करें तो अच्छा क्योकि ये रास्ता कही नही जाता
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