स्वच्छता के नारे / स्वच्छता पर नारे
स्वच्छता हम सभी के लिए बेहद जरुरी है जानते हैं हम सब पर फिर भी मानते नही है और गंदगी फैलाए चले जाते हैं. ये कहना भी सही नही है कि गंदगी गांव के असभ्य और अनपढ लोग फैलाते हैं.
गंदगी पढे लिखे लोग भी बराबर की ही फैलाते हैं. हैरानी की बात तो तब हुई जब गांव के लोगों मे स्वच्छता की अलख जगाई गई उन्हें खुले मे शौच जाने से होने वाली बीमारियों के बारे मॆं बताया गया तो ना सिर्फ उन्होने घर में शौचालय बनवाया बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करने के लिए नारे भी बना दिए.
ये स्वच्छता के नारे बनाए हैं हरियाणा में जिला सिरसा के गांव वालो ने … जिला प्रशासन के समझाने पर एक नई चेतना जागी और स्वच्छता को एक नया आयाम दिया …
नारे स्वच्छता अभियान के
गाँव वालों ने तो स्वच्छता अभियान को नर्इ दिशा देने के लिए ढ़ेरों नारे बना दिए।
• मूँगफली में गोटा, छोड़ दो लोटा।
• ना जिलें में, न स्टेट में, सफार्इ सारे देश में
• 1-2-3-4, कुर्इ खुदवा लो मेरे यार
• सफार्इ करना मेरा काम, स्वच्छ रहें हमारा गाँव।
• सुन ले सरपंच, सुन ले मैम्बर, कुर्इ खुदवा लें घर के अंदर
• बच्चें, बूढ़े और जवान, सफार्इ का रखो ध्यान
• आँखों से हटाओ पटटी, खुले में न जाओ टटटी
• खुले में शौच, जल्दी मौत
• नक्क तै मक्खी बैन नी देनी, खुल्ले में टट्टी रहन नी देनी
• लोटा बोतल बंद करो, शौचालय का प्रबन्ध करों।
• मेरी बहना मेरी माँ, खुले में जाना ना ना ना….
• ताऊ बोला तार्इ से, सबसे बड़ी सफार्इ सै
• खुले में शौच, पिछड़ी हुर्इ सोच
इस अभियान से लम्बे समय तक जुडे रहने के कारण बहुत नारे पढे सुने और देखे … वाकई नारों में एक अलग ही शक्ति है जागरुक करने की… इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैने भी कुछ नारे लिखे , कुछ गांव वालो के लिए और कुछ नारे नेट से सकलिंत किए और उस ई बुक को
” 101 स्वच्छता के नारे” का नाम दिया… लिंक नीचे दिया है …
महात्मा गांधी भी स्वच्छता पर जोर देते रहे और पंडित नेहरु भी स्वच्छता की अहमियत जनता को समझाते रहे.
महात्मा गाँधी
स्वच्छता स्वतंत्रता से भी महत्वपूर्ण है
स्वच्छता में ही र्इश्वर का वास होता है
पं0 जवाहर लाल नेहरू
जिस दिन हम सबके पास अपने प्रयोग के लिए एक शौचालय होगा मुझे पूर्ण विश्वास है कि उस दिन देश अपनी प्रगति की चरम सीमा पर पहुँच चुका होगा।
जय स्वच्छता