अच्छी है नकारात्मकता ..
अगर आप यह सोच रहे है कि मैने लिखने मे कुछ गलती की है तो निश्चय रुप से आप गलत सोच रहे है. सच में, वाकई में, जो लोग हमारे बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं एक बार तो वो बुरे लगते है बेहद बुरे पर बाद मे लगता है अरे!!! यह तो वाकई मे अच्छे हैं. आज की तारीख मे भी ऐसे सैकडो उदाहरण है जो मेरी बात को सच साबित करते हैं.
अब आप फिर यही सोच रहे होंगे कि मै बडे बडे महापुरुषो या वैज्ञानिको आदि का उदाहरण दूगी. जी नही. मै आपको आज की तारीख के ही उदाहरण दूगी और उन लोगो की वजह से लोगो मे कितना बदलाव आया आप भी सोच कर हैरान रह जाएगे.
कुछ समय पहले मेरी एक जानकार की बेटी को क्लास में उसकी टीचर ने सभी बच्चो के सामने बोल दिया कि वो तो एकदम नालायक है इस बार दसवीं मे फेल ही होगी. उसने इस बात को इतना महसूस किया कि कुछ दिन तो स्कूल ही नही गई पर जब मन में आया तो उस टीचर को गलत साबित करने के लिए जी तोड पढाई की और अपने स्कूल में ही नही बल्कि पूरे जिले मे अव्वल आई. अपने साक्षात्कार के दौरान उसने उसी टीचर का नाम लिया कि अगर वो ना टोकती तो शायद वो सफल ना हो पाती.
ऐसी ही एक कहानी है मिस्टर शर्मा की. वो सपरिवार किराए के घर मे रहते थे. वहां की मकान मालकिन बहुत तंग करती थी. बात बात पर टोकना आदि.घर धुसते ही उनको टेशंन शुरु हो जाती कि आज फिर कोई बात होगी या फिर लडाई होगी. एक दिन उनके इस बर्ताव से शर्मा जी इतने दुखी और आहत हुए कि उन्होने मन बना लिया कि अब जब भी यहां से जाएगे किराए के घर पर नही रहेगे अपना ही घर बनाएगे . और हुआ भी यही.आज वो अपने मकान मे खुशी खुशी रह रहे हैं. आपको एक बात बताऊ कि आज भी जो परिवार किराए के उस घर मे जाता है वहां से वो सीधा अपने ही घर मे जाता है क्योकि किसी मे इतनी हिम्मत ही नही बचती कि ऐसे इंसान को झेलने की कल्पना मात्र ही कर सके तो मकान मालकिन हुई ना बढिया. नही तो आज के समय मे अपना घर बनाने के भला कोई सोच सकता है पर उस महिला की महानता देखिए … जो लोग कभी सोच भी नही सकते थे अपना आशियाना बनाने की ..अपने घर मे शिफ़्ट हो रहे है.
ऐसे ही मेरी सहेली की मम्मी है उन्हे उनके परिवार ने यह कह दिया कि दुनिया भले ही पलट जाए पर मम्मी कार चलाना नही सीख सकती. कुछ दिन तो वो मात्र मुस्कुराती रही पर जब पानी सिर से ऊपर चला गया तो बस उन्होने निश्चय कर लिया और आज वो इतनी बढिया कार चलाती है कि पूछो ही मत. वही एक जानकार हैं उन्होने अपने बेटे हाथ दिखाया और पूछा कि क्या ये डाक्टर बन सकता है .. इस पर पंडित ने कहा कि कदापि नही इसके हाथ मे डाक्टर की रेखा ही नही है वो पंडित की बात से इतने आहत हुए कि बस निश्चय कर ही लिया जबकि आज वो पंजाब मे बहुत जाने माने डाक्टर हैं…
ये तो चंद ही उदाहरण है अब आप को लग रहा होगा कि ऐसे उदाहरण से तो आप भी दो चार हुए है .. है ना.
एक बार एक पहाड पर कुछ लोग चढ रहे थे.नीचे खडे लोग चिल्ला रहे थे बहुत मुश्किल है नही चढ पाओगे वापिस आ जाओ. डर के मारे काफी तो लौट आए. एक चोटी तक पहुंच ही गया. खुशी हुई कि देखा मना करने के विपरीत उसने कर दिखाया कि यह कर सकता है. यह है उसकी सकारात्मकता. पर जब नीचे आया तो पता चला कि वो बहरा था. तो आप क्या समझे… जिंदगी मे तरह तरह के लोग मिलते है टोकने वाले ,उत्साह ना बढाने वाले पर आपको अपने पूरे विश्वास के साथ, अपने को कम ना आंकते हुए,सकारात्मक सोच लिए उन लोगो को साथ लेकर बस आगे ही बढते जाना है… इन्ही लोगो को मद्देनजर रखते हुए आप अपना एक अलग ही मुकाम बनाएगे … है ना !!! तो अब बताईए कि अच्छी है ना नकारात्मकता!!!!
वैसे भी कहते है कि अगर आप जिंदगी मे सफल होना चाह्ते है तो दोस्त साथ रखिए और अगर आप और भी ज्यादा सफल होना चाह्ते है तो नकारात्मक प्रवृति के लोग साथ रखिए !!!!
बताईगा कि कैसा लगा ये लेख 🙂