उलझन
कई बार हमारे सामने कुछ ऐसी उलझन आ जाती है जो उलझा कर रख देती है दिमाग विचार शून्य हो जाता है और कुछ समझ नही आता. एक ऐसी ही उलझन सुनने को मिली…
रवि(परिवर्तित नाम) अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा है और अक्सर अपने पापा के साथ उनकी करियाना की दुकान सम्भालता. उसके दादा जी भी यही दुकान देखते थे. आज रवि ने कम्प्यूटर मे बहुत सफल पढाई की है और वो अपना कम्प्यूटर सैंटर खोलना चाह रहा है. हालाकि रुपए की दिक्कत नही है पर उसे आपने पापा का मानसिक रुप से कोई सहयोग नही मिल रहा. उसके पापा चाहते है कि दादा तो रहे नही इसलिए वो बरसो से चली आ रही दुकान ही सम्भाले.
रवि ने इतना भी कह दिया कि उसे एक मौका दे दो और सैंटर खोल लिया. अब नई दुकान या नया काम करने के दिक्कत तो आती ही है. रवि दिक्कत से नही धबरा रहा पर अपने पापा की बेरुखी देख कर उसका मनोबल टूट रहा है.उधर दूसरी तरफ जब भी कोई उसके पापा की दुकान पर सामान लेने आता है अपने बेटे का मजाक बनाते है, कटाक्ष करते हैं कि बडा आया. कुछ नही कर सकता देख लेना यही वापिस आएगा वगैरहा वगैरहा !!!
मैने रवि को भी समझाया कि हिम्मत रखो पर वो सुन्न सा हो गया है और मरने की भी बात करने लगा है वही उसके पापा को जब उसकी मम्मी समझाती है तो वो उनसे भी नाराज होकर खाना पीना बंद करके बैठ जाते हैं और गुस्से मे उबलने लगते हैं. इस परिवार मे बहुत तनाव है आजकल.
ऐसे मे समझाए तो कैसे और किस तरह … ???? क्या आपके पास कोई आईडिया है तो जरुर बताईगा !!!
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