गंदगी प्रेमी
मेरी एक सहेली हिल स्टेशन पर रहती है. कल ही उससे बात हो रही थी कि कैसा मौसम है. कैसी भीड है वहां तो वो मायूस सी बोली कि अब तो जल्दी से लोगों की छुट्टियां खत्म हो बस..जाए सब जल्दी से . अरे !!! ऐसा क्यो?? मेरे पूछने पर उसने बताया कि लोग धूमने आते हैं बहुत अच्छा लगता है पर गंदगी भी बहुत फैला जाते हैं खासकर सडक पर घूमते घूमते… कुछ खाएगें तो पीएगें तो… पूरी सडक मानो डस्ट बीन समझते हैं… वो ये सोचते ही नही हैं कि यहां भी लोग रहते हैं ना जाने कब समझ आएगी अब तो सच पूछो तो छुट्टियों के नाम से टेंशन ही हो जाती है.उसकी बात ने बहुत सोचने पर मजबूर कर दिया.
पता नही हम लोग सफाई का स्वच्छता का ख्याल रखते क्यों नही है. घर से बाहर निकलो तो गंदगी पार्क में जाओ तो गंदगी. घर का कूडा बस अपने घर से बाहर निकालना आता है कि बस अपना घर साफ रहे बाकि किसी की चिंता नही.
ऐसे ही बाजारों में दुकानों पर होता है. सुबह सवेरे सभी झाडू लगा कर अपनी अपनी दुकान के आगे का कूडा साईड पर रख देगें और ऐसा हर दुकान दार करता है कुछ एक कूडे को आग भी लग अदेते हैं पर शाम तक वो कूडा वही पडे पडे लोगों के पावों से लगता वापिस दुकानों के सामने आ जाता है और फिर वही गंदगी … खाने पीने की स्टालस के आगे तो और भी बुरा हाल होता हैडस्ट बीन होते हुए भी उसे इस्तेमाल नही किया जाता.
वैसे आप तो ऐसे गंदगी प्रेमी बिल्कुल नही होंगें.. है ना … और अगर हैं तो जरा नही बहुत सोचने की दरकार है.
cleaning Ganga campaign should not be limited to Photography
उत्तराखंड बाढ़ और भूस्खलन त्रासदी के दो साल पूरा होने पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि उत्पादन व उपभोग के लिए हुए विकास का प्रकृति बदला ले रही है। उन्होंने कहा, ‘हर जगह बांधों व बिजलीघरों का निर्माण हो रहा है जो प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन रही है। हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है।’
प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रहे गंगा सफाई अभियान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र के धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए है। प्रकृति को दरकिनार करने पर न तो हम अपना जीवन बचा सकेंगे और न ही धर्म की रक्षा कर पाएंगे। See more…
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