(तस्वीर गूगल से साभार)
हाथ पैर मारता लहरों में उतरता एक सच
जलपरी श्रद्धा शुक्ला का सच. एक रियलिटी शो का सच ऐसा भी जो पूरी तरह फिल्मी बन गया… जी हां … अक्सर हमें रियलिटी शो बहुत अच्छे लगते है पर कई बार कुछ ऐसी कडवी सच्चाई सामने आ जाती है कि हम हक्के बक्के रह जाते है … ऐसा ही कुछ पिछ्ले सप्ताह देखने को मिला
जलपरी श्रद्धा शुक्ला का सच
एक खबर आई कि 11 साल कीश्रद्धा शुक्ला कानपुर से इलाहाबाद तक 570 किलोमीटर की दूरी गंगा को तैरकर पार करगी. इतनी कम उम्र और उफनाती गंगा की लहरें यह सब देखते हुए उसकी हिम्मत और जज्बे को देखकर उसे जलपरी नाम दे दिया गया…
जहां मीडिया आगे आया वही मुंबई से यूपी आए थे फिल्म बनाने जाने माने फिल्ममेकर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और वरिष्ठ टीवी पत्रकार विनोद कापड़ी. वो चाहते थे कि 12 साल की श्रद्धा को बड़े पर्दे पर लोग देखें और इस प्रतिभा को एक इंटरनेशनल पहचान मिले इतना ही नही वो जलपरी की ट्रेनिंग के लिए उसका खर्चा उठाने को भी तैयार थे, लेकिन जब वो मूवी शूट करने के लिए जलपरी के साथ चले तो कैंपेन की असलियत जानकर हैरान रह गए।
विनोद कापरी के अनुसार श्रद्धा केवल दो से तीन किमी ही हर दिन तैरती थीं। उनका रोज 80 से 100 किमी तक तैरने का दावा झूठा है
एक बार तो विश्वास ही नही हुआ फिर जब खबर विस्तार से सुनी और वीडियो देखी तो सारी बात सामने आई कि वो कानपुर से वाराणसी के गंगा अभियान के दौरान अधिकांश समय नाव पर ही बिताती या वो पानी मे उतारे गए गद्दे पर ही रहती … वह गंगा में तैराकी के लिए उसी वक्त उतरती है, जब या तो कोई घाट आने वाला होता है या आसपास लोगों की भीड़ होती है. कई बार पिता मगरमच्छ का बहाना लगा देते तो कई बार खराब तबियत का … पर जब अलग अलग घाट पर लोग आते तो वो उन्हे देवी की तरह आशीर्वाद देती और जो पैसे मिलते वो भी ले लेती…
सारी कहानी वीडियो देख कर समझ आ ही जाएगी पर दुख इस बात का है कि यह सब उसके पिता और कोच ललित शुक्ला का रचाया हुआ था.
विनोद कापड़ी ने ये भी कहा कि उनकी पूरी हमदर्दी बच्ची के साथ है और इसमें बच्ची की जरा भी गलती नहीं है। देश और मीडिया को गुमराह करने का काम सिर्फ उसके पिता ही कर रहे हैं, जिसकी जानकारी और समझ संभवत: बच्ची को नहीं होगी। वह तो अपने पिता के इशारे पर ही सब कर रही है। वीडियो में बताया गया है कि कैसे श्रद्धा के पिता ने मीडिया में लाइमलाइट पाने के लिए ये सारी कहानी गढ़ी और इतना ही नही जब उनके पिता को पता चला कि असलियत सामने आ जाएगी तो वो बुरी तरह बौखला गए और धमकी भी देने लगे कि देख लेंगें…
(तस्वीर गूगल से साभार)
असल में, सारी बात का निचोड ये निकला कि अविभावक अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है जोकि बिल्कुल गलत है… बच्चों पर कोई बात थोपनी नही चाहिए जिससे उनका बचपन उनकी मासूमियत ही खत्म हो जाए .
इसी सिलसिले में एक बात और शो की याद आई. बात पिछ्ले साल की है रियलटी शो-इंडियन आइडल जूनियर मे एक 7 साल का बच्चा अपना ओडिशन देने पिछले साल भी आया था पर डर या धबराहट में कुछ गा नही सका .
पिछले साल का वो सीन भी दिखलाया था. क्या गाऊं क्या गाऊं कह कर बच्चा नर्वस हो गया था और बिना कुछ कर गाए वो चला गया . इस साल वो फिर आया पूरा तैयार होकर और आते ही उसने गाना सुनाना शुरु कर दिया. अच्छा था पर थोडा लय मे नही था. तीनों जज उसे इशारा करके रुकने को कहा पर वो रुका नही उल्टा उन्ही को इशारे मे मना करके गाता रहा. एक जज स्टेज पर आ गए और उसे समझाया लेकिन अब उसे एक ही जिद थी कि पास कर दो … उसने पास कर दो कि रट लगा ली. बाहर खडे बच्चे के चाची बता रही थी कि पिछ्ली बार जब ये गा नही पाया था तो इसे इसके पापा से बहुत डांट पडी थी और शायद उसी का डर होगा कि स्टेज पर आते ही उसने गाना शुरु कर दिया और रुका नही और दूसरी बात उसका बार बार कहना कि पास कर दो .. जब तक पास नही करोगें मैं जाऊगां ही नही… मैं यही बैठा हूं.. मन में एक दर्द सा भर गया. इतना प्रैशर बच्चे पर …!!!
मुझे भी बहुत बार माता पिता मिलते हैं और वो ये कहते है कि हम तो बन नही पाए अब हमारा सपना हमारा बच्चा पूरा करेगा … बहुत अच्छी बात है बच्चे को अपने माता पिता के सपने पूरे करने ही चाहिए पर उससे पहले बच्चे की क्या इच्छा है वो तो जान लीजिए … वो तो पूछ लीजिए.
देखा जाए तो सब गलती अविभावको की और उनकी सोच की है और उनकी दूसरे बच्चों से तुलना करने की आदत सबसे बुरी… हर बच्चे में प्रतिभा होती है उसमे प्रतिभा खोज कर उसे उचित मंच दीजिए पर उस पर प्रैशर या दवाब डालना सरासर गलत है…
एक और बात की झूठ ज्यादा समय तक नही चलता …आज सोशल मीडिया इतना फास्ट हो गया है कि सारी बाते खोद खोद कर निकाल लेता है इसलिए सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर पूरी गम्भीरता, लग्न और जोश पर चलते जाईए सफलता जरुर मिलेगी
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