दाने दाने में कैंसर… पान मसाला
तरह तरह के ब्रांड और तरह तरह के स्वाद पर एक बात सभी में समान है और वो है चटखारे ले कर खाने वाले दाने दाने में कैंसर छिपा है.. बेशक विज्ञापन बहुत आकर्षित करते नजर आते हैं, कई बार ऐसा लगता है कि पान मसाला नही खाया तो जिंदगी ही बेकार है … सफलता भी नही मिलेगी.
और उपर से ये टीवी वाले सच पूछो तो मैं इनसे बहुत नाराज हूं … क्यो?? अरे भई .. कैंसर का प्रोग्राम भी दिखाते है और प्रयोजक भी दिखाते है … आधे से ज्यादा विज्ञापन पान मसाले के ही होते हैं अब चाहे अजय देवगण हो, गोविंदा हो , शाहरुख हो ,,, और हम इम्प्रेस हुए जाते हैं.. टीवी हमारी जिंदगी में सीधा असर डालता है इसलिए ऐसे विज्ञापनों को दिखाने पर इन पर केस होना चाहिए… कि ये विज्ञापन हमें भ्रमित कर रहें है.
सिविल जज सीनियर डिविजन सिद्धार्थ ¨सह ने कहा कि तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। तंबाकू के सेवन से लोगों में तेजी से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां हो रहीं हैं। आज की युवा पीढ़ी में यह लत तेजी से बढ़ता दिख रहा है, जो खतरनाक संकेत है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा.अखिलेश कुमार ने कहा कि तंबाकू सेवन से प्रतिवर्ष 8 लाख लोग मौत के शिकार हो रहे हैं। जो चिंताजनक है। सीएमओ ने कहा कि तंबाकू से कई बीमारियां फैलती हैं। खैनी, पान, पान मसाला, सिगरेट आदि का सेवन बेहद खतरनाक है। बढ़ते हृदय रोग का एक प्रमुख कारण तंबाकू ही है। Read more…
No Smoking
– पान मसाला, सिगरेट और तंबाकू महंगा होने के बाद बावजूद कम नहीं हुए नशाखोर
ALLAHABAD: आलोक सिंह एक ऑटोमोबाइल कंपनी में फील्ड ऑफिसर हैं. उनकी सैलरी पंद्रह हजार रुपए है. वह स्मोकिंग करते हैं और रोजाना बीस सिगरेट पी जाते हैं. इस तरह से उनकी एक तिहाई सैलरी हर महीने धुएं में उड़ रही है. यह तो महज एग्जाम्पल है. ऐसे लाखों लोग हैं जो रोजाना तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला की लत पर बड़ी रकम खर्च कर देते हैं. जिसकी वजह से शहर में तंबाकू उत्पादों की बिक्री का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. सरकार द्वारा वैट टैक्स में बढ़ोतरी किए जाने के बाद उत्पाद महंगे हुए लेकिन बिक्री पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.
तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर सरकार भले ही लोगों को लाख जागरुक करने की कोशिश करे लेकिन नशाखोरी कम होने के बजाय बढ़ रही है. केवल शहर में रोजाना आठ से दस लाख रुपए के तंबाकू, सिगरेट और पान मसाला की बिक्री हो रही है. इनमें सबसे ज्यादा डिमांड सिगरेट की है. कुल बिक्री का आधा हिस्सा स्मोकर्स अदा करते हैं. होल सेलर्स बताते हैं कि तंबाकू उत्पादों के मार्केट में सीमित ब्रांड हैं लेकिन इनकी डिमांड बहुत ज्यादा है.
पहले से ज्यादा बढ़ गया पान-मसाले का क्रेज
हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने प्रदेश में गुटखे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. कंपनियों ने इस आदेश का पालन करते हुए पान मसाले का प्रोडक्शन शुरू कर दिया लेकिन इसके साथ तंबाकू के पाउच फ्री कर दिए. इससे गुटखा प्रेमियों को ऑप्शन मिल गया. अब वह पान मसाले के साथ पहले से ज्यादा तंबाकू का सेवन कर रहे हैं, जो कि सेहत के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है. कंपनियां तंबाकू के पाउच का पैसा पान-मसाले के जरिए वसूल कर रही हैं.
महंगाई भी कम नहीं कर पाई दीवानगी
सरकार द्वारा चालीस फीसदी वैट टैक्स में बढ़ोतरी किए जाने के बाद पान मसाले और सिगरेट के दाम तेजी से बढ़े हैं लेकिन इससे बिक्री पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. लोग अपना नशा पूरा करने के लिए बढ़े हुए दाम देने को भी तैयार हैं. पान मसाले में एक तो सिगरेट में तीन रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है, जिससे सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ा है. दुकानदार कहते हैं कि महंगाई के चलते कुछ लोगों ने जरूर नशा छोड़ा है लेकिन उससे ज्यादा संख्या उन टीन एजर्स की है जो नशे की लत का शिकार हो रहे हैं.
तंबाकू उत्पाद बेचने वाले कीडगंज के दुकानदार विवेक की मानें तो इस धंधे में ग्राहकों को बुलाना नहीं पड़ता है. वह खुद ब खुद चले आते हैं लेकिन चिंता का सबब है टीन एजर्स का नशे का शिकार होना. वह बताते हैं कि क्फ् से क्7 साल की उम्र के बच्चों में सिगरेट की लत तेजी से बढ़ रही है. अपना स्टेटस सिंबल मेंटेन करने और शोऑफ के चक्कर में वह शौकिया स्मोकिंग करते हैं और धीरे-धीरे एडिक्ट होने लगते हैं. शुरुआत में वह दस से पंद्रह रुपए की महंगी सिगरेट पीते हैं लेकिन नशे का शिकार होने के बाद 7 रुपए वाली सस्ती सिगरेट पीने से भी नहीं हिचकते. inextlive.jagran.com
कुछ समय पहले मेरी सहेली दक्षिण धूमने गई. उसे सुपारी पान मसाले का शौक है. रास्ते मॆं खत्म होने पर सोचा कि वहां मार्किट से ले लेगी. वहां जब पता किया तो पता लगा कि पान मसाला , सुपारी बैन है… वो हसंने लगी क्योकि उसे पता था कि हरियाणा जैसी जगह मे बैन का मतलब क्या होता है पर वहां सही मायने मे पता लगा कि बैन का मतलब बैन बैन ही होता है … काश देश भर की सरकार इसे अमल मे लाए … काश काश …
कुल मिला कर जब तक हम खुद से विचार करके इसे नकार न दे हमें समझ नही आएगी या साफ शब्दों में ये कहॆं कि अक्ल नही आएगी.. अब ये हमारे उपर है कि विज्ञापन देख कर हमे भ्रमित होना है या …. केसर समझ कर इसे चबाते रहना है …