परवरिश- मेरा बच्चा
दो दिन पहले एक जानकार के घर जाना हुआ. घर बेहद आलीशान था. मेरा स्वागत दो कुत्तो ने किया उनकी सहमति के बाद उन्हीं के साथ मैने घर में प्रवेश किया और वो अंदर बैठी मालकिन के गोदी में उछल कर बैठ गए . मैं भी मुस्कुराने लगी कि अरे वाह !! बहुत देखभाल करती हैं आप इनकी वो बोली अरे ये गुच्चु, पुच्चु ( परिवर्तित नाम) तो मेरी जान है मुझे एक पल भी नही छोडते और प्यार से उनके बालो को सहलाने लगी.
इसी बीच चाय भी आ गई. हम चाय पी ही रहे थे कि उनकी आया आ गई और बोली मैडम बेबी बहुत रो रहा है . मैने देखा कि नन्हा गोदी का बच्चा अपनी मम्मी के पास आने के लिए मचल रहा था पर वो तुनक कर बोली तुम्हारे पास नम्बर है ना डाक्टर का… फोन करो और दिखाने ले जाओ मुझे ब्यूटीशियन के जाना है 3-4 घंटे लग जाएगें. उसके जाने के बाद मुझसे बोली कि इतने पैसे पर रखा हुआ है पर काम जरा भी नही करती.
इतने में उसके पालतू भी कू कू करने लगे और वो दोनों को सहलाती हुई बोली … अल्ले बाबा …मम्मी जल्दी आ जाएगी .. मम्मा को जाना है … सच, मैं वहां ज्यादा देर नही बैठ पाई और जल्दी का बहाना करके लौट आई और सोच रही थी कि ठीक है अपने पालतूओ से खूब प्यार दुलार करो पर अपना बच्चा ??? .. मैं वहां से चली आई कभी न उस घर में जाने के लिए…!!!
परवरिश- मेरा बच्चा
परवरिश- मेरा बच्चा
ये कैसी और किसकी परवरिश … समझ से बाहर है 🙁
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