प्रमोशन
कुछ महीने पहले एक जानकार ने बताया कि वो छोटे बच्चों का स्कूल खोल रही है उसके लिए कहां कहां और कैसे प्रमोशन करना चाहिए. मेरा कहना था कि प्रमोशन के लिए सिर्फ लोकल स्तर पर अखबारो में खबर या विज्ञापन दे दो और बेफालतू खर्चा करने की बजाय स्टाफ अच्छा रखो ताकि बच्चों की सही देखभाल हो, आधुनिक तकनीक इस्तेमाल करो और सफाई का खास ध्यान दो. अविभावक खुद ब खुद चले आएगें. आज के समय में सभी को साफ सुथरा और स्वच्छ माहौल चाहिए. बहुत समय बाद, आज किसी के माध्यम से पता चला कि उस जानकार का स्कूल जब आरम्भ हुआ तो सभी को बहुत अच्छा लगा पर ना तो स्टाफ है और न बच्चों की देखभाल के लिए अच्छी बाई और सफाई तो बिल्कल ही नही है. तीन स्टाफ में जो टीचर रखी है वो सिफारिशी हैं यानि कि जिनसे उन्होने एहसान स्वरुप नकदी ली हुई है उसी एवज में उन्हें खुश करने के लिए स्कूल में रखना पडा. आजकल वो बहुत परेशान इसलिए भी है क्योंकि प्रमोशन और दिखावे पर खर्चा बेहद ज्यादा हो गया और अब बैंक से लिया कर्ज भी सिर चढ कर बोल रहा है.
वैसे पता नही लोग प्रमोशन क्यो करते हैं अब जो चीज अच्छी और सही है वो जरुर बिकेगी जबकि मेरी सहेली मणि का कहना है कि आज जमाना है ही दिखावे का यहां तक भी फिल्में भी प्रमोशन करती हैं ताकि बिके और चले. वो अलग बात है कि भयंकर प्रमोशन के बाद भी फिल्म न चले. पर प्रमोशन करनी जरुरी है.
वैसे आपकी क्या राय है प्रमोशन के बारे में ताकि अगर मैं गलत हूं तो मैं अपने नजरिए में सुधार ला सकूं और अगर ठीक हूं तो दूसरों को इसकी खामियां गिनवा सकूं
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