फ्रिज ने किया फ्रीज
मेरी सहेली मणि का फ्रिज बहुत पुराना और इतना भारी है कि अगर उसे सरकाना हो तो चार आदमियो की जरुरत होती है. आज की तारीख में इतना पुराना हो चला था कि बार बार कहने पर मेरे कहने पर वो नया फ्रिज लेने मार्किट गई कम्पनी के दुकानदार ने गोदाम से फ्रिज मंगवाया तो उनका आदमी अपने कंधे पर फ्रिज लाया. एक अकेला आदमी बडे आराम से फ्रिज लेकर आ रहा था.
मणि के हैरानी से पूछ्ने पर दुकानदार बोला उनका रोज का काम है उन्हें भारी नही लगता पर वो इतनी हल्की क्वालिटी देख बिना खरीदे लौट आई. फ्रिज बेहद हल्का था. मणि का मन ही नही बना कि ऐसा फ्रिज खरीदा जाए. दूसरे शब्दों में कहूं तो मणि को फ्रिज ने किया फ्रीज. वो चुपचाप वापिस आ गई.
वैसे देखा जाए तो यही हाल स्टील के ट्रंक और अलमारी का भी हैं. कुछ दिन पहले मैं भी मार्किट गई थी. ट्रंक और अलमारी को खरीदना था. पर इतनी हल्की क्वालिटी देख कर खरीदने का मन ही नही हुआ.कमाल है, बेशक हम प्रगति की राह पर हैं पर ये चीजें सालिड बनने की बजाय इतनी धटिया क्यों बन रही हैं ???
हैरानी तो तब हुई जब दुकान दार ने भी कहा कि आप के पास जो ट्रंक है या अलमारी है उसे आप रखिए … ऐसी चीज अब दुबारा नही बन सकती … आजकल वो पुरानी बात नही रह गई है दुकान दार भी मानते हैं कि पहले वाली बात अब नही
सच, मैने तो अब अपना पुराने वाला ही ठीक करवा लिया और मणि का अभी तक वही फ्रिज चल रहा है 🙂
फ्रिज ने किया फ्रीज