बच्चे और डर
आज बहुत साल बाद एक जानकार से मिलना हुआ. जब हम पहले मिले थे तब तो उनका बेटा सिर्फ 4 साल का था. वो बहुत शरारती था. वो जब भी जिस बात के लिए जिद करता या रोता उसे “”हाऊ आ जाएगा” कह कर डराया जाता वो डर जाता और चुपचाप कहना मान लेता. मम्मी खुश हो जाती कि उनकी तरकीब काम कर गई. वही हाऊ के नाम से उसके हाव भाव बदलने लगते पता नही क्या कल्पना कर बैठा था बालपन हाऊ यानि भूत की
आज वो सोलह साल का हो गया है पर दिल मे हाऊ का डर घर कर गया है. हाऊ का हौव्वा बन गया है उसके मन में. वो ना रात को अकेले घर पर रह सकता न ही अकेले कहीं बाहर जा सकता है अब उसकी मम्मी बेहद परेशान हैं क्योकि उन्होने सपने में भी कभी नही सोचा था कि कुछ ऐसा हो जाएगा. वैसे, हम सभी ऐसे ही है. बच्चों मे तरह तरह का डर बैठा देते हैं ताकि बच्चा हमारी बात मान जाए . डराने धमकाने या डर दिखाने से कुछ समय तक तो शांति हो जाती है पर हम यह भूल जाते हैं कि भूत या कुत्ते आदि का डर बैठा कर बच्चे के कोमल मन पर इसका कितना असर होगा. इसलिए अगर आप भी कभी ऐसा देखे या ऐसा करते हों तो प्लीज डराना बंद कीजिए और बच्चों को समझाने या मनवाने के लिए हाऊ या अन्य चीजों का उदाहरण देना बंद करके बस प्यार से समझाईए और मनाइए…
बच्चे और डर लेख पर अगर आप कुछ कहना चहएं तो स्वागत है
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