बाल कहानी- सबक
बाल कहानी- सबक
लोटपोट में प्रकाशित बाल कहानी- सबक
बच्चों की कहानियाँ हमेशा रोचक होती है. जिसमे कुछ न कुछ नया और सीखने को मिलता है. मेरी ये कहानी लोटपोट मे प्रकाशित हुई थी.
सबक मनु का आज चौथी कक्षा का नतीजा निकला। उसे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। घर पर तथा विधालय में उसे खूब शाबाशी मिली। पर मनु को पता था कि उसके प्रथम आने के पीछे, उसकी मम्मी की सबसे ज्यादा मेहनत रही। जिसे वो पहले कभी नहीं समझ पाया था लेकिन एक दिन जो उसे सबक मिला वह शायद उसे कभी भुला नहीं पाएगा।
अपना रिपोर्ट कार्ड देखते-देखते, वह अतीत में खो गया बात पिछले साल से शुरू हुर्इ थी, लेकिन लगता है मानों कल की ही बात हो। बात तीसरी कक्षा की थी। इकलौता और नासमझ मनु बहुत ही शरारती था। उसके पापा दिन रात काम में लगे रहते। मम्मी घर का ख्याल रखती और मनु का भी बेहद ख्याल रखती। चाहे वो कितना भी जरूरी काम कर रही होती लेकिन मनु की आवाज सुनते ही वो सारा काम छोड़ कर आ जाती। मनु पर, ज्यादा ध्यान देने के कारण उन्हें मनु के पापा भी कितनी बार डांट देते कि तुम बिगाड़ रही हो। देखो, कितना मुंह फट होता जा रहा है, लेकिन मम्मी की तो मानो मनु जान ही था। हां, लेकिन एक बात अवश्य थी कि वो मनु की पढ़ार्इ पर जोर देती थी।
मनु चाहता था कि जैसे और बच्चों ने टयूशन रखी है उसकी भी रख दो। लेकिन ना जाने वो टयूशन के बहुत खिलाफ थी। वो अक्सर मनु को पढ़ाती-पढ़ाती खुद तो विधार्थी बन जाती और मनु शिक्षक। मनु एक-एक बात मम्मी को समझाता। इससे दोनों का फायदा होता। मनु को पाठ पूरी तरह से समझ आ जाता था। मम्मी तब हंस कर कहती कि अगर तुम्हारे जैसा शिक्षक मुझे मेरे बचपन में मिला होता तो मैं भी हमेशा अच्छे नम्बर लेती। मनु को अपनी मम्मी के अनुभव सुनने में रूचि होती। मम्मी बताती कि अपने स्कूल टार्इम में तो वह बहुत नालायक थी और हमेशा पोर्इंट पर ही पास होती। और जब रिपोर्ट सार्इन करवानी होती तो ना जाने कितने तरले और खुशामद वह अपनी मम्मी की करती। हिसाब में सवाल समझाने के लिए तो मनु को बहुत ही मेहनत करनी पड़ती क्योंकि उसकी मम्मी को सवाल समझ ही नहीं आता था।
अक्सर मनु के पापा घर पर स्कूल का खेल देखकर मुस्कुरा कर ही रह जाते। धीरे-धीरे मनु की पढ़ार्इ में सुधार होना शुरू हुआ। वह अक्सर अपने दोस्तों को अपनी मम्मी की पढ़ार्इ के बारे में बताता और कर्इ बार तो मजाक भी उड़ाने लगा। मम्मी आप तो बिल्कुल ही नालायक हो, पता नहीं स्कूल जाकर क्या करती थी। पर मम्मी सिर्फ मुस्कुरा कर रह जाती और बोलती, मैंने तो अपने सारे साल व्यर्थ ही गवाएं पर तुम तो अव्वल आओ।
पहले जब मनु के क्लास टेस्ट में कम नम्बर आते तो वह अपनी मम्मी को ही दोष देता। कम तो आऐंगें ही, नालायक मम्मी का बेटा भी नालायक ही होगा। पर सहनशीलता की मूर्ति मम्मी चुपचाप हल्की सी मुस्कुराहट देकर काम में लग जाती। एक बार तो मनु का दोस्त स्कूल से घर आया तो उस दिन हुए क्लास टैस्ट के नम्बर मम्मी ने दोनों से पूछे तो दोनों ने मजाक उड़ाते हुए कहा, आप से तो अच्छे ही आए हैं। कम से कम हम पास तो हो गए।
समय बीतता रहा। मनु की पढ़ाई में फर्क आने लगा। लेकिन मम्मी का मज़ाक बहुत उड़ाने लगा। एक दिन मनु के सिर में बहुत दर्द उठा तो मैड़म ने उसे आया जी के साथ घर भिजवा दिया। पापा दफ्तर जा चुके थे। मम्मी अलमारी की सफाई कर रही थी और सारा सामान फैला पड़ा था।
अचानक उसे देख मम्मी सारा काम छोड़ कर उसकी देखभाल में जुट गई… उसे दवाई देकर आंखे बंद करके लेटने को कहा और चुपचाप उसका सिर सहलाने लगी।
तभी पड़ोस की आंटी ने आवाज दी और मम्मी बाहर उठ कर चली गई। मनु ने चुपचाप करवट बदली तो देखा एक लिफाफे से कुछ तस्वीरें बाहर झांक रही हैं। वह उत्सुकता वश उठा तो उन तस्वीरों को देखने लगा।
तस्वीरों के नीचे एक लिफाफा और बंधा हुआ था, तस्वीरें देखते-देखते उसकी हैरानी की सीमा ही ना रही। वह सभी तस्वीरें उसकी मम्मी की बचपन की ईनाम लेते हुए थी और जब उसने दूसरा लिफाफा खोला तो उसमे उसकी मम्मी की सारी रिपोर्ट कार्ड थी।
वह हैरान रह गया कि वह हर विषय में पूरी क्लास में हमेशा प्रथम आती रही। तो क्या सिर्फ मनु को पढ़ाने के लिए, अच्छे अंक लेने के लिए उन्होंने यह झूठ बोला। मनु सोचने लगा कि उसने अपनी मम्मी को क्या-क्या नहीं कहा। उसे बहुत ही शर्म आ रही थी।
मम्मी के कदमों की आहट सुनते ही उसने तुरन्त सब फोटो और कागज थैली में ड़ाल दिए और सोने का उपक्रम करने लगा। मम्मी उसके तकिए के सिरहाने बैठ कर उसका माथा दबाने लगी। किन्तु इस बार मनु अपना रोना रोक नहीं पाया और वह मम्मी से लिपट कर रोने लगा।
मम्मी ने सोचा कि शायद इसके बहुत दर्द है। वह, डाक्टर को फोन करने के लिए उठने लगी पर, मनु ने मना कर दिया।
उधर मम्मी लिफाफे से झांकती तस्वीरें देख कर समझ गई थी कि मनु को उनके बारे में पता चल गया है। वह मनु की पीठ थपथपाने लगी और बोली कि अपने बच्चों को उन्नति के पथ पर बढ़ाने के लिए ऐसे छोटे-छोटे झूठ तो बोलने ही पड़ते हैं।
पर उस दिन मनु ने मन ही मन कसम ले ली थी कि वो भी अपनी मम्मी की तरह ही प्रथम आया करेगा और आज वही Report Card हाथ में थी।
बाल कहानी- सबक
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