बासी भोजन और महिलाए
कल सुबह मेरी सहेली मणि के बहुत तेज पेट दर्द हुआ. फोन आते ही मैं उसके घर भागी. वो चुपचाप लेटी थी और घर के सभी सदस्य ऐसा लग रहा था कि नाराज हो. मैने सोचा कि अरे … बेचारी की तबियत ठीक नही और आप नाराज हैं इस पर वो बोले कि नाराजगी वाली तो बात ही है. महीने के बाद आज मणि फ्रिज साफ कर रही थी. बर्फ भी बहुत जम गई थी इसलिए साफ कर रही थी और फ्रिज में खाने का छोटा मोटा सामान भी पडा हुआ था. थोडी बहुत सब्जी, दाल कटोरियों में बची हुई थी. (बासी भोजन और महिलाए )
कुछ तो शायद इसने फेंक दिया पर एक सब्जी नही फेंकी. उसे ठीक लगी और उसने बासी( Stale food) परौठी के साथ खा ली. वो सब्जी हफ्ते पुरानी थी. ऐसे में तकलीफ और दर्द नही होगा तो क्या होगा वो तो बचाव हो गया कि फूड पायजनिंग नही हुई. अब तो मुझे भी मणि पर गुस्सा आ रहा था. वैसे हम महिलाए जरा भी अपना ख्याल नही रखती. जहां परिवार और बच्चों की सेहत की बात हो वहां समझौता नही करेगी पर जब अपनी सेहत की बात आती है तो लापरवाह हो जाती है. वैसे आप तो ऐसी नही होंगी … और अगर है तो जरा नही बहुत सोचने की दरकार है !!
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कहने को तो हम प्रतिदिन भरपूर मात्रा में हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, फल, जूस, सूप, सलाद व संतुलित मात्रा में पोषक तत्वयुक्त भोजन करते हैं। वहीं दूसरी ओर लगभग 90 प्र.श. व्यक्ति विभिन्न पोषकजन्य बीमारियों, कमर दर्द, सिर दर्द आदि व्याधियों से पीड़ित हैं। नेत्र ज्योति कमजोर होना, थकान होना, हाथ-पैरों में सूजन आम बीमारियाँ हैं। आखिर हमारे खानपान, पाक विधि में कहीं न कहीं कोई त्रुटि अवश्य है जिससे हमारे द्वारा लिया जा रहा उत्तम आहार भी उतना प्रभावी नहीं होता जितना होना चाहिए। भारतीय पाक कला, व्यंजनों की विविधता, लजीजता विश्वविख्यात हैं। भारतीय महिलाएँ तो इस कला में निपुण होती हैं, किन्तु भोजन बनाने के दौरान वे ऐसी गलतियाँ कर बैठती हैं जिससे उसकी पौष्टिकता बहुत कम हो जाती है अथवा नष्ट हो जाती है। अतः आवश्यक हो जाता है कि भोजन पकाते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए। जिस समय भोजन करना हो उसी वक्त बनाएँ। बार-बार गरम करने से विटामिन नष्ट हो जाते हैं। जरूरत से ज्यादा भोजन न बनाएँ। बासी भोजन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है अथवा उसे फेंकना पड़ता है। दोनों ही स्थितियाँ हानिकारक हैं। दाल, चावल आदि रगड़-रगड़कर न धोएँ, इससे ऊपरी सतह पर विद्यमान पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। कोई भी अनाज एकदम बारीक न पिसवाएँ, विशेषकर गेहूँ तो चोकरयुक्त ही पिसवाएँ। हरी सब्जी, दाल, चावल फ्राइंग पेन अथवा प्रेशर कुकर में ही पकाएँ। इससे ईंधन तो बचता ही है, पोषक तत्व भी कम से कम नष्ट होते हैं।
बासी भोजन और महिलाए
भारतीय लड़कियों में सुस्त जीवनशैली, बासी भोजन की आदतें और मोटापे के कारण पोलीसिस्टिक ओवरी सिड्रोम फैलने की सम्भावना बढ रही है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, 10 से 30 फीसदी महिलाएं इससे प्रभावित हो रही हैं।
इंद्रप्रस्थ अस्पताल में वरिष्ठ प्रसूति रोग सलाहकार रंजना शर्मा ने बताया, ‘मोटापा और पीसीओएस का गहरा संबंध है, खासकर जब यह किशोरावस्था के समय होता है .
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बासी भोजन और महिलाए
अक्सर अखबार में भी खबर आती रहती है कि बासी खाना खाने से चार लोग अस्पताल में भर्ती या पूरे परिवार की तबियत बिगडी. वगैरहा वगैरहा… इसी के साथ साथ तो कुछ पंडित जी तो यह भी मानते हैं कि बासी खाना, बासी रोटियां दान करने, गाय को खिलाने से बच्चों पर बुरा असर पड़ता है. यही नहीं, गाय को खराब सब्जियां खिलाने का बुरा प्रभाव भी बच्चे की जिंदगी पर पड़ता है.
बेशक, बासी खाना हमें बहुत टेस्टी लगता है. आलू मैथी की सब्जी हो और बासी परौठीं या ताजे निकाले मखन्न के साथ बासी रोटी या बासी खिचडी और कडी…. एक रात की बासी हो जाए तो कोई दिक्कत नही पर अगर 5-7 दिन पुरानी हो जाएगी तो कैसे चलेगा… फिर तो वो शरीर को हर हालत में नुकसान ही देगा इसलिए ….
बासी भोजन और महिलाए
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