मजाक उड़ाना कितना सार्थक
बात मजाक उडाने की चले तो हमारे जहन में सोशल मीडिया और खासकर टवीटर आता है क्योकि कम से कम शब्दों में इतना भयंकर मजाक उडाया जाता है वहां कि बस पूछो ही मत .. पर पर पर .. जरा ठहरिए .. अगर आप ये सोच रहे हैं तो जरा रुकिए … ऐसा नही है कि सोशल नेट वर्किंग ने ही मजाक उडाने का ठेका लिया हो और भी बहुत जगह मजाक उडाया जाता है … असल में हुआ ये कि
कुछ देर पहले मैं, अपनी सहेली मणि के साथ उनकी जानकार के घर गई. हम चाय पी ही रहे थे कि उनके घर की door bell बजी. उनके दस साल के बेटे ने दरवाजे से झांका और बोला अरे मम्मी वही बोर मुटल्ली आंटी आई है अब खाएगी आपका सिर… मम्मी के इशारा करने पर उसने दरवाजा खोल दिया और वो महिला उनसे ऐसे हंस बोल कर बात करने लगी जैसे मानो वो सबसे प्रिय सहेली हो …
इतने मे हम भी जाने के लिए उठ गए.. बाहर निकलते हुए मैं मणि से पूछ रही थी कि वैसे दरवाजा खोलने से पहले हमें क्या क्या उपाधि मिली होगी …… मणि ने चिढाते हुए बोला कि उसका तो पता नही मिली होगी पर तुझे कार्टून की उपाधि जरुर मिली होगी…
बेशक, हमने इस बात को मजाक में उडा दिया पर बहुत सोचने वाली बात है कि बच्चों के सामने दूसरों का मजाक उडाने के बजाय हमें संस्कार ऐसे देने चाहिए कि दूसरा मजाक उडाए तो उसे टोके या समझाए कि ये गलत बात है ऐसे नही बोलना चाहिए!!!
वैसे, सोशल नेट वर्किंग पर जो लोग पसंद नही है एक क्लिक लगता है उन्हें ब्लाक करने में या अनफ्रैंड करने में पर रियल लाईफ में बहुत सोच समझ कर कट्टी करनी पडती है … से इस बारे में आपके क्या विचार है ? जरुर बताईएगा !!
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