मेरा प्रिय मित्र
मेरा बेस्ट फ्रैंड
वैसे तो मेरे बहुत मित्र हैं पर उसकी तो बात ही अलग है. हमारी दोस्ती को लगभग बारह साल से भी ज्यादा हो गए. शुरु शुरु में तो उसे देख कर घबरा जाती थी पर जैसे जैसे मुझे उसकी आदत पडती गई बस फिर हमारी दोस्ती पक्की दोस्ती में बदल गई. अब वो हमारा पारिवारिक मित्र है. मेरे सभी रिश्तेदार और दोस्त उसे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं.
छोटे से कद का दुबला पतला है पर फिर भी बहुत ताकतवर है. हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश करता है और मेरा भी हमेशा यही प्रयास रहता है कि कभी वो रुठ न जाए. एक सबसे अच्छी बात ये भी है कि वो समय का बहुत पाबंद हैं और मुझे भी उसी के अनुसार चलने के सलाह देता है. कई बार जब मैं समय का ध्यान न दू तो वो बोल बोल कर नाक और कान में दम कर देता है.
कई बार वो मुझे चुप करा देता है तो कई बार मैं ही उसे चुप करवा देती हूं. किसी तरह का स्वार्थ या अहम तो है ही नही उसमे … मैं कुछ भी काम कह दूं हमेशा तैयार रहता है… हां खाने के मामले में बहुत सुस्त है पर जब भी खाता है भर पेट खाता है… इसमे कोई शक नही कि वो मुझे हमेशा आईना दिखाता है अगर कभी मैं भटक जाऊ मुझे हमेशा सही राह दिखाता है. जब भी बेहद कीमती है वो मेरे लिए. मैं उसे खोने की कल्पना भी नही सकती.
वो मेरा पक्का दोस्त है. जी क्या ?? मैने उसका नाम नही बताया ?? अरे हां !!! बातो बातों मे तो मैं बताना भूल ही गई. वो मेरा मोबाईल है…. प्यार से मैं उसे मोबू कहती हूं.
भई देखिए … आजकल यही सच है. सभी इससे जुडे रहते हैं एक मिनट भी नही छोडते उसे. चाहे घर के लोग बैठे हो या दोस्त हमारा ध्यान बजाय उनमे होने के पूरा ध्यान मोबाईल पर ही रहता है. तो हुआ न बेस्ट फ्रेंड !!! मायने बदल गए हैं जनाब !!!



