Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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May 29, 2015 By Monica Gupta

रक्तदान

रक्तदान महादान है

बात सन 1973 की है तब मैं हरियाणा के जींद मे रहती थी. हमारे घर के पीछे रेस्ट हाऊस  था वही हम सभी कालोनी के बच्चे खेलने जाया करते थे. उस पार्क में एक छोटा सा तालाब था जो हमेशा पानी से भरा रहता था. एक शाम खेलते हुए मुझे आवाज आई कि बचाओ वो पानी मे गिर गई  है . सभी भागे उसके पास और देखने लगे पता नही मुझे क्या  सूझी कि मैने वहां लेट कर हाथ लंबा किया और उसे खीचं लिया. बहुत पतली दुबली सी लडकी को मैने बाहर निकाल लिया और  फिर उसे उल्टा करके मुंह से पानी भी निकाला. ये समझ मुझे कैसे आई कैसे नही इसका तो याद नही पर जब हम उसे घर छोडने जा रहे थे सारे बच्चे मेरे नाम की जय जय कर रहे थे और कह रहे थे कि मोनिका ने चोची तिवारी को डूबने से बचा लिया .

आज इस बात को ना जाने कितने साल हो गए पर वो धटना मेरे मन मे  जस की तस तब तक रही जब तक में कुछ ऐसे लोगो के सम्पर्क मे नही आई जो रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं. असल में, बचपन मे मैने एक लडकी की जान बचाई थी लेकिन जब से रक्तदान से जुडी. भले ही रक्तदान न कर पाई हूं पर लोगो को प्रेरित किया और रक्तदाताओ का नेट वर्क तैयार किया कि जिसे भी रक्त की जरुरत हो वो सम्पर्क करे और इस तरह से  अनगिनत लोगो की जान बच रही है  तो अब वो बचपन वाली बात अक्सर भूल जाती हूं

बात रक्तदान की हो तो महिलाए का  जिक्र तो आता ही आता है. एनीमिया की कमी से , महिलाए रक्त दान नही कर पाती. महिलाए मासिक धर्म के दौरान या स्तन पान करवाने की वजह से भी रक्तदान नही कर पाती इसलिए सबसे ज्यादा जरुरी यह है कि महिलाए अपना खान पान सुधार ले. अपनी डाईट सही कर ले तो कम से कम उसे तो रक्त चढवाने की जरुरत न पडे  और इसे के साथ साथ जो महिलाए टोका टाकी करती हैं यानि जो महिलाए अपने बच्चों या पति को रक्तदान के लिए मना करती हैं वो जागरुक हो और रक्तदान की महत्ता समझे जिसे वो लोग बिना डर के रक्तदान कर सके और जीवन बचा सके.

एनीमिया- कुछ रोचक जानकारियां-

एनीमिया- कुछ रोचक जानकारियां-  डाॅ0 एक0के0 त्रिपाठी की  किताब है. डाॅ0 ए0के0 त्रिपाठी जानकारी देते हैं कि एनीमिया एक रोग का नाम नहीं, वरन् अनेक रोगों या विकारों का लक्षण है। ऐसे में उपचार के लिये इसके कारणों को जानना आवश्यक है। खासतौर पर ससामाजिक सरोकार के तहत विशेषज्ञ लेकखक ने इन्हीं कारणों की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया है। सामान्य पाठक भी इसे रुचि के साथ पढ़ सकता है। जबकि बीमारी की बातें गम्भीर विषय वस्तु के अन्तर्गत मानी जाती है।
एनीमिया हमारे देश की बड़ी समस्या है। दो से तीन चैथाई लोग एनीमिया से पीड़ित हैं। इसमें हर वर्ग तथा उम्र के लोग शामिल हैं। लेकिन साधारण जानकारियों से इससे बचा जा सकता है। एनीमिया अर्थात् रक्त अल्पता किसी बीमारी का नाम नहीं वरन् लक्षण मात्र है। जिसमें हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी होने की वजह से शरीर में तरह-तरह की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। स्वस्थ पुरुषों में सामान्यतः 13-16 ग्राम प्रतिशत तथा स्त्रियों में 12-14 ग्राम प्रतिशत हीमोग्लोबिन होता है। यदि हीमोग्लोबिन इससे कम हो जाए तो उसे एनीमिया कहते हैं, इससे कमजोरी आ जाती है। भूख कम हो जाती है, खाना अच्छा नहीं लगता, याददाश्त व एकाग्रता में कम आ जाती है। हीमोग्लाकबीन जितना कम होगा, शारीरिक परेशानी उतनी अधिक होगी जांच के द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है। लाल रक्त कोशिकाओं में बढ़ोत्तरी आयरन, विटामिन बी12, फोलिक एसिड, पायरीडाक्सिन बी-6, प्रोटीन आदि से हो सकती है।
पुस्तक में बताया गया है कि एनीमिया का प्रमुख कारण आयरन अर्थात् लौह तत्व की कमी है। लेखक ने इसे रोचक कहानी के माध्यम से समझाया है। लौहतत्व शरीर के लिये बहुत आवश्यक है, यह हीमोग्लोबीन के अलावा कई प्रकार के एनजाइम्स के लिये भी जरूरी है। भोजन में आयरन की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। जैसे गुड़ में चीनी की अपेक्षा आयरन बहुत अधिक होता है। खजूर, धनिया-बीज, मेथी-बीज आयरन के अच्छे स्रोत है।
आयरन द्वारा एनीमिया का समुचित उपचार किया जा सकता है। इसकी कमी आयरन की गोली से भी हो सकती है। इसकी पूरी खुराक लेनी चाहिए। पूरा कोर्स करना चाहिएं खाली पेट दवा नहीं लेनी चाहिए। आयरन की गोली खाने के एक घंटे बाद लेना चाहिए। विटामिन सी युक्त पदार्थ के साथ आयरन नहीं होना चाहिए। एक अलग अध्याय में बताया गया कि विटामिन बी-12 की कमी से एनीमिया वस्तुतः आधुनिक जीवन शैली की देन है। इसे भी कहानी के माध्यम से बताया गया। पान मसाला, तम्बाकू, शराब आदि नुकसानदेह होते हैं। इससे आमाशय एवं आंतों की अन्दरूनी सतह खराब हो जाती है, जिससे व्यक्ति बी-12 की कमी का शिकार हो जाता है। दवाओं के कुप्रभाव से भी एनीमियां होता है। दवाओं के कुप्रभाव से भी एनीमिया होता हैं अनेक दवाएं ऐसी होती है, जिनका प्रयोग करने से दुष्परिणाम रूप में एनीमिया होता है। दर्द निवारक दवा भी विशेष की सलाह के बाद लेनी चाहिए। एप्लास्टिक एनीमिया का प्रकोप भी बढ़ा है। वातावरण एवं भोज्य पदार्थों में बढ़ रहे रासायनिक प्रदूषण या दवाओं के कुप्रभाव से ऐसा हो रहा है। वृद्धावस्था या दवाओं के कुप्रभाव से ऐसा हो रहा है। वृद्धावस्था में एनीमिया से बचाव हेतु विशेष सावधानी बरतनी होती है। इसी प्रकार गर्भावस्था  के दौरान भी विशेष ध्यान देना चाहिए। पर्याप्त व पूर्ण पोषण आवश्यक होता है। संक्रमण, गंदगी, हुक वर्म से भी बचाव करना चाहिए। यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है

 

Article- Blood Donation – Monica Gupta

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http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8846287.cms

Blood donation facts and advantages –

रक्त दान से जुड़े तथ्य एवं इसके लाभ स्वास्थ्य की देखभाल  रक्त दान से जुड़े तथ्य एक वयस्क पुरुष/स्त्री में 5-6 लीटर तक रक्त होता है| कोई भी व्यक्ति हर तीन माह में रक्त दान कर सकता है| रक्त में प्लाज्मा नामक प्रवाही होता है| 450 मि.ली. See more…

अंत में  मैं यही कहना चाहूगी …  रक्तदान करके देखिए अच्छा लगता है

जय रक्तदाता …

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