लडते झगडे मुद्दे – मीठा मीठा गप्प गप्प कडवा कडवा थू थू … लडते, झगडे तो कभी सुलझे बच्चे की तरह टीचर(एंकर} के सामने कुछ पूछ्ने के लिए ऊंगली उठाते, बीच बीच में विज्ञापन और अगले कार्यक्रम की सूचना … इतना सब कुछ होता है आजकल न्यूज चैनल की भैंस … ओह क्षमा बहस में, बस पूछिए ही मत…
लडते झगडे मुद्दे
लडते झगडे मुद्दे – कई बार इतना डरा देते हैं और खासकर शाम का समय तो बेहद ही क्रूशियल होता है. कितनी बार तो चैनल की आवाज ही धीमी करनी पडती है कि पडोसी ये न समझ लें कि हमारे घर में लडाई हो रही है…
हर चैनल, बहस में लडने भिडने मारने को उतारु सा प्रतीत होता है… इसलिए बस आज तो सोच ही लिया कि रोज रोज बुराईयां करने से अच्छा है आज से फालतू की बहस देखना ही बंद … ना होगी भैस ओह पुन क्षमा.. न होगी बहस और न वो पानी मे जाएगी… बस आज शाम टीवी ही नही चलाया… समय गुजर रहा था. गुजर रहा था..
मन मे बुरे बुरे ख्याल आने शुरु हो गए कि आज का मुद्दा क्या होगा. कौन कौन किस चैनल पर आया होगा. किस बात पर लड मर रहे होंगें. किस की खाली कुर्सी दिखाई जा रही होगी. कुछ सूनापन सा महसूस होने लगा.
खैर ध्यान बटाया कि मोनिका तू कार्टून की बना ले कोई ,पर फिर सोचा कि कार्टून बनाने का आईडिया भी तो यही से मिलता है … बस फिर क्या था. अब मैं टीवी के सामने बैठी चाय पीते हुए बहस एंजाय कर रही हूं और बार बार चैनल ही बदल बदल कर देख रही हूं और सोच रही हूं बिल्कुल बेकार मुद्दे … आज तो देख लिया बस पर कल से बिल्कुल नही देखूगी… 🙂
Cover story: Freedom for Women
लडकियां मोबाइल का प्रयोग न करें, जींस न पहनें। घर से बाहर निकलते हुए सिर पर पल्लू रखें, बाज्ार न जाएं..।लडकियों की शादी कम उम्र में कर देनी चाहिए। इससे बलात्कार की घटनाएं कम होंगी और वे सुरक्षित रहेंगी..।
बलात्कार के 90 फीसदी मामले आपसी सहमति के होते हैं..।
लडकियों को देर रात घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए..।
ये सारे बयान और फरमान देश के ज्िाम्मेदार लोगों द्वारा दिए गए हैं। ऐसे समय में जबकि स्त्रियां हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम कर रही हैं, ऐसे बयान हास्यास्पद हैं। ये स्त्रियों के प्रति संवेदनहीन नज्ारिए का जीवंत उदाहरण हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्राइम कैपिटल में तब्दील हो रही है। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च ने दिल्ली में जनवरी 2009 से जुलाई 2011 के बीच दर्ज मामलों के अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में महिलाएं दिन में भी सुरक्षित नहीं हैं।
http://www.jagran.com/sakhi/special-in-the-issue-cover-story-freedom-for-women-S7354SK.html
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वैसे लडते झगडे मुद्दे के बारे में आपकी राय जरुर बताईएगा !!!