लाटरी या लॉटरी टिकट खरीदने का शौक हम सभी को होता है टिकट खरीद कर हम अमीर बनने के सपने देखने लगते हैं पर क्या वाकई अमीर सिर्फ ऐसे ही बना जा सकता है आईए पढे इसी बात से जुडी एक कहानी
लाटरी
वो मात्र दस साल की थी तब घर पर एक गूंगे बहरे पंडित जी आए. उन्होने स्लेट पर लिख कर बताया कि वो बहुत भाग्यशाली है उसकी लाटरी निकलेगी. समय बीता और उसका विवाह एक खानदानी परिवार मे हो गया.पर लाटरी वाली बात उसके मन मे कही बैठी हुई थी इसलिए जब भी मौका मिलता तो कभी खुद जाकर या किसी को भेज कर लाटरी का टिकट मंगवा लेती .हालाकि इसके पति उसे काफी बार समझाते कि सब कुछ तो है किस बात के लिए टिकट खरीदना पर उस पर एक किस्म का भूत सवार था कि वो पंडितजी कभी भी गलत नही होते. एक बार जरुर निकलेगी इसलिए टिकट खरीदना जरुरी है.
समय बीतता रहा. उसके प्यारे प्यारे तीन बच्चे हुए. उनकी परवरिश और देखभाल उसने पूरे दिल से की. बच्चों की अच्छी पढाई हुई और बडे होने पर बच्चे नौकरी लग गए और बिटिया की शादी कर दी.
सब कुछ बहुत अच्छा बीत रहा था पर हर बार ईनाम निकलने का इंतजार रहता कि काश … !!! इसी बीच उसे नानी और दादी बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ.
कुछ दिनो से उसकी तबियत कुछ ठीक नही चल रही थी इसलिए डाक्टर के पास दिखाने ले गए. बस डाक्टर् ने आराम की सलाह दी थी. बेटे, बहुए ,नाती ,पोते अचानक उनकी खराब तबियत सुनकर घबरा गए और अगले ही दिन सभी इकठ्ठे हो गए. वो बिस्तर मे लेटी हुई सभी से बतिया रही थी और बता रही थी कि जाते जाते बस लाटरी निकल जाती तो … क्योकि पंडित जी कभी गलत नही हुए थे.
कुछ समय बाद तबियत सम्भली. आज लाटरी के टिकट की तारीख थी शायद आज उसका भाग्य खुल ही जाए. यही सोच कर वो बाहर निकली कि माली काका को भेज कर अखबार मंगवा लेगी.बाहर माली काका और उनका रसोईया आपस मे बात कर रहे थे अरे !! माँ जी की तो लाटरी ही निकल गई. इतना सुखी हसंता खेलता परिवार … किसी भी बात की यहाँ कमी नही.. काश ऐसी लाटरी सभी की निकले..
वो चुपचाप उनकी बाते सुनकर ठगी सी खडी रह गई और हाथ मे पकडा लाटरी का टिकट फाड कर फेक दिया…
क्योकि सब कुछ रुपया पैसा ही नही होता !!!
कहानी कैसी लगी ??? जरुर बताईएगा !!!