समाज में मीडिया की भूमिका और आत्महत्या का बढता ग्राफ
अचानक एक खबर ने हैरत में डाल दिया कि एक मशहूर टीवी अदाकारा प्रत्यूषा बनर्जी में आत्महत्या कर ली … बेशक दुखद खबर थी क्योकि टीवी धारावाहिक में सजीव अभिनय करने वाली अभिनेत्री का अचानक , बेसमय जाना अनेक प्रश्न छोड गया.
वैसे आत्महत्या की खबरें कुछ समय से सुर्खियों में चल रही हैं कभी किसान तो कभी यूनिवर्सिटी में पढने वाला छात्र तो कभी फिल्मी परदे पर अभिनय कर रही नायिकाएं या अभिनेत्रियां….
दिव्या भारती, परवीन बॉबी, जिया खान , सिल्क स्मिता आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें आजतक कोई नही भूला. इतना ही नही सिल्क स्मिता की असल कहानी पर तो डर्टी पिक्चर नामक फिल्म भी बनी थी जिसे विधा बालन ने निभाया था.
इसके इलावा खबरों की दुनिया सन्न कर देने वाली खबरों से भरी पडी है…भारत माता की जय का नारा बोलना हो या गुलाम अली साहब के दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम का विरोध… जिसके चलते रद्द करना पडा.
भारत में हुए पठानकोट ह्मले को पाकिस्तान ने भारत का ड्रामा करार दे दिया और बोला कि यह हमला पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए है
वही हमारे नेताओ की जुबान काबू में नही है बड बोले बोल … कुछ भी अंट शंट बोलते ही रहते हैं जोकि समाज के लिए अच्छा संकेत नही है…
वही इन सब के बीच कुछ ऐसा सुनने को मिला जिससे हैरानी नही हुई बल्कि मीडिया पर गुस्सा आया.
राखी सांवत की खबर को चैनल वालो ने महत्ता दी जिस ने तो सकते में ही डाल दिया… राखी ने अपनी बात मोदी जी तक पहुंचाने का प्रयास किया है उसकी मांग है कि सबसे ज्यादा आत्महत्या का कारण पंखा बनता है इसे हटाया जाए … !!!
जिन बेचारो के घर पंखा ही नही होता वो क्या करेंगें… गरीब किसान जो इतना बेहाल जी रहा है … जिसके पास पंखा भी नही है पर आत्महत्या कर रहा है … !! ओह हा पेड कटवा देने चाहिए क्योकि पेड से लटक कर भी तो आत्म हत्या होती है …!!
अगर न्यूज चैनल, मीडिया खुद को समाज का अभिन्न अंग समझता है और चाह्ता है कि समाज में सुधार हो तो क्षमा कीजिएगा मीडिया जी आपको बदलना होगा … खबरें ऐसी दिखानी होगी जिससे समाज को नई सोच मिले एक बदलाव आए … ऐसी अजीबो गरीब बैसिर पैर की खबरें नही चाहिए … अगर आप नही सुधरे तो वो दिन नही जब लोग आपको और खबरों के गिरते स्तर को दुत्कारना शुरु कर देगें…
मुझे हैरानी हमारे मीडिया पर है कि क्या हो गया उसे कैसी खबरे दिखा रहा है … हैरानी राखी सांवत पर नही मीडिया की भूमिका पर है … अफसोस.. बेहद दुखद 🙁
समाज में मीडिया की भूमिका और आत्महत्या का बढता ग्राफ के बारे में आपके विचारों का स्वागत है.
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