लघु कथा – स्पीकर
अचानक फोन की घंटी बजी और हमेशा की तरह फोन मम्मी ने उठाया. उनकी बातों से झलक गया था कि फोन मुम्बई से बडे भैया का है. चलिए पहले मैं आपको अपना परिचय करवा दू. मै मोना हू. घर की सबसे छोटी बेटी. मेरे दो भाई है बडे भईया पापा से झगड कर मुम्बई शिफ्ट हो गए और हम दोनो अभी पढाई कर रहे है. पापा का बहुत बडा शोरुम है और पापा चाह्ते थे कि भईया उसे ही सम्भाले पर भईया को नौकरी ही करनी थी और वो सभी से झगड कर पिछ्ले साल वही बस गए 2-3 महीने मे एक आधी बार फोन आ जाता है .मम्मी से तो सारी बात होती है पर हमसे या पापा से नही हो पाती.
आज फिर फोन आया और मम्मी बातो मे जुट गई. पापा का काम , हमारी पढाई और भी बहुत बाते खुशी खुशी बताने लगी तभी आवाज शायद कम आने लगी और फोन कट गया.वैसे अक्सर ऐसा ही होता था.ज्यादातर मम्मी हैलो ही करती रह जाती थी. या नेट वर्क की दिक्कत या फिर उम्र के चलते मम्मी के कानो मे कोई परेशानी.
खैर, अगली बार जब भईया का फोन आया तो मैने मम्मी को मोबाईल पकडाते समय उसका स्पीकर ओन करके दे दिया ताकि उन्हे सुनने मे दिक्कत ना हो और वो इस बात से बेखबर थी. मम्मी के हैलो करते ही वहां से बडी रुखी सी आवाज उभरी.. हां … क्या है बोलो ?? … और मम्मी हमेशा की तरह फोन कान पर लगाए मुस्कुराती हुई बातो मे जुटी रही.हां, हां, मोना भी ठीक है और तेरे पापा .. अरे वो भी तुझे दिन रात याद करते हैं क्या मै .. अरे मुझे क्या होना है एक दम भली चंगी हू. ह हा .. क्या शायद तेरा अगले महीने आने का बन जाए अरे वाह मजा आ जाएगा … मोना से .. हाँ हाँ .. अभी बात करवाती हूं अपना नया नम्बर भी जल्दी ले कर हमे बता देना बेटा.हैलो .. हैलो .. अरे .. नेटवर्क फिर कट गया लगता है … मां मुस्कुराती हुई बोली कि मोना से बात करने की जिद कर रहा था और बाते करती करती रसोई मे चली गई.
मै,पापा और छोटा भाई सन्न थे क्योकि भईया का स्वर एकदम रुखा था और उन्होने कोई बात ही नही की और उन्होने बहुत ही जल्दी फोन काट दिया था… शायद हमेशा ही वो ऐसे …. और वही दूसरी ओर मम्मी इस बात से बेखबर की हमे सब पता चल गया है वो प्रसन्न थी कि बेटे ने आज फिर बहुत बाते की…. पता नही क्यो पर हम मम्मी की आखों की नमी को दिल की गहराईयो से महसूस कर पा रहे थे ….
कैसी लगी आपको ये कहानी … जरुर बताईएगा 🙂