स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा
स्वच्छता और स्वास्थ्य की बात चलती है तो हमारे जहन में सबसे पहले स्वच्छता से स्वास्थ्य रक्षा ही आती है आमतौर पर लोग स्वच्छता का सीधा सम्बंध शौचालय बनाने या इसका इस्तेमाल करने से ही निकालते है. यह बात ठीक है कि शौचालयों का बनाना और इस्तेमाल करना स्वच्छता का जरूरी अंग है पर इसक साथ साथ दूसरी बात भी उतनी ही जरूरी है जितनी शौचालयों के बारे में जागरूकता का होना…
क्या हैं स्वच्छता के अन्य जरूरी अंग
स्वच्छता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है
- पीने का पानी का रख रखाव और बर्ताव
- बेकार पानी की निकासी
- मानव मल का सही निबटान
- कूड़े कचरों का सही निबटान
- घर तथा भोजन की स्वच्छता
- व्यक्तिगत सफाई
- ग्रामीण स्वच्छता सामुदायिक एवं पर्यावरण स्वच्छता
पीने के पानी का रख रखाव और बर्ताव
जब बात पीने के पानी की चलती है और खास तौर पर गांवों की बात होती है ता हमारे मन में पनघट कुऐं या हैंंड पम्पों की तस्वीर ही घूमती है जहां पर ठेठ घूघंट में ढकी महिलाए मटको में पानी भर भर के ले जा रही है और वही दूसरी तरफ औरते कपडेे भी धो रही है. बच्चे नहा भी रहे है और तो और उसी पास खड़े गंदे पानी में मच्छर, मक्खी भिनभिना रहे है वही पानी कच्चे रास्ते को गंदा बदबूदार बनाता हुआ जोहड़ में जा मिलता है वही पशु स्नान कर रहे होते है बस यही से शुरू होती है बीमारियों की जड़ अगर ऐसे वातावरण दूषित जल का प्रयोग किया जाए तो हैजा, दस्त, पीलिया जैसे रोगों का खतरा बना रहता है इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि साफ और स्वच्छ पानी ही इस्तेमाल करे। पर ऐसे माहौल में पानी स्वच्छ पानी कैसे हो। उसके लिए हमें कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जहां से पानी भरे… अगर कुआ है तो ढ़का हो अगर वहां जल हत्था लगा है तो वो जगह एकदम से सूखी और साफ हो वहां सही प्रकार से नाली बनाई हो ताकि पानी वहां जमा ही ना होने पाएं आमतौर पर खुली नदी या तालाब बीमारियों के घर माने जाते है इसलिए इसे बचे।
पानी भरने के जो भी स्त्रोत है वो सब पक्के होने चाहिए अब एक बात और बहुत जरूरी है कि जब भी पानी भरे उसे बर्तन का पहले धो ले और उसमें अपनी अगूलियां ना डुबवाए
पानी पीने के लिए डण्डी वाले लोटे का इस्तेमाल करे और पानी के बर्तन को हमेशा ढक कर ही रखें। हां कई बार पीने का सुरक्षित स्थान नही होता तो ऐसे में पानी का उबालना चाहिए।
20 मिनट उबाल कर पानी के रोगाणु नाष्ट हो जाते है उबालने के साथ साथ एक अन्य साधन भी है क्लोरीन से उसे साफ करना असुरक्षित पानी का सुरक्षित बनाने का यह सबसे सरल, असरदार रसायन है क्लोरीन की दवाई स्थानीय चिकित्सा केद या दुकानों से मिल जाती है। इसलिए हमें अगर स्वस्थ रहना है तो पानी का स्वच्छ पान बहत जरूरी है इसलिए यह जरूरी है कि पानी जहां से ले वो जगह ढ़की हुई। साफ हो।
– साफ बर्तन में पानी भरना चाहिए या फिर पानी भरने से पहले बर्तन साफ पानी में धोना बहुत जरूरी है।
– पाने के पानी को ढ़क कर रखना निहायत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि डंंडी वाला लोटा इस्तेमाल किया जाए या फिर लम्बी गर्दन वाली सुराही पीने के पानी के लिए इस्तेमाल की जाएं इसमें पानी दूषित होने के कारण बहुत कम होते है वैसे भी आजकल मटको एवं घड़ो में नलके लगे आने लेग है यह भी सुविधा जनक तथा स्वच्छता लिए होते है क्योंकि बार-बार ढ़कन्न हटा कर पानी पीने की जरूरत ही नही रहती
इसके पीने वाले पानी को हमेशा उंची जगह पर रखना चाहिए ताकि जल्दी से घूल मिटटी ना पड़े तो हमने देखा कि अगर साफ पानी का कोई साधन ही ना मिले तो पानी का उबाल कर या फिर क्लारीन की टिकिया डाल कर उसका इस्तेमाल करना चाहिए।
बेकार पानी की निकासी:-
जैसा कि पहले बताया गया है कि आमतौर पर पानी भरने वाली जगह सही ढ़ग से निकासी ना होने के कारण पानी खड़ा रह जाता है ऐसे मे ना सिर्फ गन्दगी बदबू फल जाती है बल्कि मच्छर, मक्खी बीमारियों का केन्द्र बन जाते है ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि बेकार पानी की निकासी सही ढ़ग से हो घर में अगर रसोई घर में पानी बाहर निकलने का पक्का रास्ता हो तो वो सबसे बेहतर है और वो रसोई घर से निकला बेकार पानी अगर बगीचे में लगी सब्जियों और खेते में जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए। इससे पानी का सही इस्तेमाल भी हो जाता है और बगीचा और खेतो को भी पानी मिलता रहता है।
कूड़े कचरे का सही निबटान:-
गांव का नाम लेते ही हमारे दिलों दिमाक में बस भैंसे गाय, गौबर, गन्दगी ही आते है तो क्या यह गोबर और गन्दगी ही गांव की पहचान बन चुकी है इससे छुटकारा नही पाया जा सकता। जी हां, इसे बिल्कुल दूर किया जा सकता है सड़क और गलियों में पड़ा कूड़ा ना सिर्फ मच्छरों को जन्म देकर बीमारियों बढ़ाता है बल्कि टेटनस के रोगाणु खुले घाव से शरीर मे आते है और इससे नवजात बच्चों की जान का भी जबरदस्त खतरा हो सकता है।
अकसर कूड़े और गदगी के ढेर के पास सूअर, कुतो सांड़ो आदि जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है और मच्छर, मक्ख्यिों और कॉकरोच की संख्या तो पूछिए ही मत … अगर बीमारी से बचना है तो स्वच्छता रखनी ही पडेगी.
मानव मल का सही निबटान
जहां खुल्ले में मल बीमारियों को निमत्रंण देता है इसको बनाने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नही होती अब यह अपनी घरेलू स्थिति, भूजल विज्ञान, क्षेत्र में प्राप्त निर्माण वस्तुओं का प्रकार, आदत, निवाज और खुद की सहुलियत और दुष्टिकोण पर निर्भर करता है कि वो किस प्रकार का शौचालय बनाना चाहते है।
घर की सफाई, सुव्यवस्था एवं सुरक्षित भोजन
गांव के लोगों के ज्यादातर घर छोटे, अंधेरे वाले होते है जहां ताजी हवा की निकासी सही प्रकार से नही होती इसके साथ-2 सारा परिवार एक ही कमरे में रहता है और ज्यादातर रसोई घर भी वही एक कोने में बना होता है ऐसे में सहज ही कल्पना इससे ना सिर्फ गांव स्वच्छ और सुन्दर बनेगा बल्कि निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए भी दावेदार हो सकते है।
व्यक्तिगत सफाई
अभी तक हमने बात की घर व आस पड़ोस की सफाई की। अब हम आते है अपनी व्यक्तिगत सफाई पर। जी हां जितनी जरूरी घर की सफाई है उतनी ही जरूरी खुद की सफाई भी है। कई रोग ऐसे है जो व्यक्तिगत सफाई के अभाव में ही फलते है हमे विश्वास नही होगा लेकिन हाथो की सफाई हममें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। आमतौर पर झाडू या बर्तन धोने के बाद या शौच जाने के बाद या सिर्फ बच्चे का शौच साफ करने के बाद हाथो को उतनी अच्छी तरह नहीं धोते जितने धोने चाहिए।
सामुदायिक एंव पर्यावरण स्वच्छता:-
स्वच्छता के बारे में जागरूकता होनी बहुत ही जरूरी है। क्योंकि अगर वातावरण स्वच्छ नहीं होगा तो स्वच्छ जीवन शैली नही बन पाऐगी। मान ले कि हमने अपना घर तो साफ करके चमका लिया पर कूड़ा बाहर ही सड़क पर फेंक दिया। ऐसे में गन्दगी के कीटाणु मच्छर, मक्खी सब गन्दगी पर जाने के बाद आराम से घर के भीतर भी आऐगे और ज्यादा गन्दगी फैलाऐगे अब लोग घरो में सोख्ता गडडे तो बनवा लेते है पर उसकी देखभाल ना होने की वजह से उसका पानी सड़क पर ही बहे जाता है और गन्दगी फैलाता है।
स्वच्छ भारत
स्वच्छ भारत बनाम गांधी जयंती पिछ्ले साल यानि सन 2014 में 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई. आरम्भ में झाडू हाथ मे लेकर फोटो खिचवाने See more…
तो यह हुए स्वच्छता के सात विभिन्न अंग सभी बहुत जरूरी है और इनको अपनाने से जीवन खुशहाल और रोग मुक्त हो जाएगा।
अगर आपके भी स्वच्छता को लेकर कोई विचार हों तो जरुर सांझा करें …
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