Monica Gupta

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August 19, 2015 By Monica Gupta

हाईकोर्ट इलाहाबाद

kids going school india photo

Photo by One Laptop per Child

 

हाईकोर्ट इलाहाबाद

सरकारी स्कूलों में पढाया जाए नेता और अफसरों के बच्चों को …

यूपी की कोई भी खबर हो तनाव सा हो जाता है पर आज जो खबर सुनी उसे सुनकर अच्छा लगा… खबर से पहले मैं आपको बताना चाहूगी कि कुछ दिन पहले ही सफाई कर्मचारी ने मुझसे पूछा कि कोई प्राईवेट स्कूल में जान पहचान है क्या ? मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि बच्चों को दाखिल कराना है. सरकारी स्कूलों का हाल बहुत बुरा है क्या पढेगा बच्चा.. तब से मन में इसी बारे मे बहुत विचार चल रहे थे कि अचानक एक खबर ने चेहरे पर स्माईल ला दी. खबर है कि यूपी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों की बदहाली देख कर फैसला सुनाया है कि अफसरों और नेताओं के बच्चे अनिवार्य रुप से यूपी बोर्ड द्वारा संचालित सरकारी स्कूल मे पढेंगें और जो नही पढाएगा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही होगी.बहुत सही कदम है और इसी की देखा देखी अन्य राज्यों में भी लागू हो जाना चाहिए कम से कम इन बच्चों के बहाने शिक्षा का स्तर और अन्य मामलों मे तो सुधर होगा. अच्छी बातों का सदा स्वागत है.

वैसे भी हाल ही मे हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान में 15 अगस्त को अपने अपने गांव की सबसे पढी लिखी लडकी नें देश का झंडा फहराया था. जोकि बेहद खुशी और गर्व की बात है … ऐसे अभियान भी देश भर में सतत चलते रहने चाहिए ताकि जागरुकता आती रहे…

 

 

खबर विस्तार से साभार एनडीटीवी इंडिया

http://khabar.ndtv.com/news/india/allahabad-high-court-gives-historic-verdict-directs-bureaucrats-to-enrol-wards-in-govt-schools-1208631

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फ़ैसला सुनाते राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सभी नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारियों के लिए उनके बच्चों को सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़वाना अनिवार्य किया जाए।

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि ऐसी व्यवस्था की जाए कि अगले शिक्षा-सत्र से इसका अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सरकारी कर्मचारी, निर्वाचित जनप्रतिनिधि, न्यायपालिका के सदस्य एवं वे सभी अन्य लोग सरकारी खजाने से वेतन एवं लाभ मिलता है, अपने बच्चों को पढ़ने के लिए राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में भेजें।

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने यह फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के लिए दंडात्मक प्रावधान किए जाएं।

अदालत ने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए यदि किसी बच्चे को किसी ऐसे निजी विद्यालय में भेजा जाता है जो कि यूपी बोर्ड की ओर से संचालित नहीं है तो ऐसे अधिकारियों या निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर से फीस के रूप में भुगतान किए जाने वाली राशि के बराबर धनराशि प्रत्येक महीने सरकारी खजाने में तब तक जमा की जाए जब तक कि अन्य तरह के प्राथमिक स्कूल में ऐसी शिक्षा जारी रहती है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों को, यदि वे सेवा में हैं तो उन्हें कुछ समय (जैसा मामला हो) के लिए अन्य लाभों से वंचित रखा जाए जैसे वेतन वृद्धि, पदोन्नति या जैसा भी मामला हो।’’ अदालत ने इसके साथ ही कहा कि यह एक उदाहरण है।

यह आदेश उमेश कुमार सिंह एवं अन्य की ओर से दायर उस याचिका पर आया जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश में 2013 और 2015 के लिए सरकारी प्राथमिक विद्यालयों एवं जूनियर हाईस्कूल के वास्ते सहायक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया को चुनौती दी थी।

बढे कदम नही रुकेगें… कृष्ण सुदामा साथ पढेगें ( कही पढी)

इलाहाबाद हाईकोर्ट का ये वाला फैसला आपको कैसा लगा … !!! जरुर बताईएगा !!!

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