हिल स्टेशन यात्रा -एक अनुभव
एक हिला देने वाला अनुभव … जी हां मैने भी की हिल स्टेशन यात्रा… क्या ??? आपको विश्वास नही हो रहा ??? क्या मैं पूछ सकती हूं कि विश्वास न करने की क्या वजह है ??? फोटो ??? ओह … हां !!! ये तो सच है कि कोई फोटो नही डाली पर इसका मतलब यह भी नही की हम गए ही नही… !!! असल में, कैमरा तो था पर तस्वीरे ली ही नही.. कैमरा बैग में ही पडा रहा.
बात ये हुई कि वैसे तो हम हिल स्टेशन पर जाते ही रहते हैं… अरे हां सच में … जाते रहते हैं … अब आपने बात सुननी है या मैं न बताऊं … ठीक है … तो मैं कह रहे थी कि वैसे तो हम हिल स्टेशन पर जाते ही रहते हैं पर अब की बार जो अनुभव हुआ वो कभी नही भूलेगा. हुआ ये कि हर बार की तरह इस बार हम अपनी कार में नही गए उसके बजाय बडी गाडी यानि कैब कर ली ताकि सपरिवार जाए और खूब मस्ती करें.कार बुक करवा दी और वो समय पर पहुच भी गई. हमने सारा सामान कार मे भरा और चल पडे मस्ती भरे सफर में पर अब ये बनने वाला था अंग्रेंजी वाला सफर … Suffer…
कार का ड्राईवर बहुत अच्छा था . सुबह सवेरे उसने चलने से पहले कार मे लगी भगवान की फोटो को प्रणाम किया और धूप बत्ती की. फिर भक्ति वाले गाने भी चला दिए … सुबह सवेरे एक दम खाली सडक थी और वो 30 की स्पीड से कार चला रहा था. रिक्शा भी आराम से हमे ओवरटेक कर सकती थी. खैर, जब उससे थोडी तेज चलाने को कहा गया तो वो बोला कि वो अभी रास्तों के लिए नया है इसलिए हमने भी कुछ नही कहा … कार आराम आराम से चलती रही … पर जो लोग ड्राईव करते हैं यकीनन वो इतनी धीमी गति शायद सहन नही कर सकते.. खैर जैसे तैसे आगे बढते रहे और जब बातो बातों में उसने ये बताया कि उसका ये पहला अनुभव है पहली बार कार लेकर निकला है तो हमने सोचा बस … अब तो गए काम से !!! क्योकि उसकी सबसे बडी वजह ये थी कि कई बार लगता था उसमें आत्मविश्वास ही नही है तो कई बार लगता उसमे भरपूर आत्मविश्वास है इतना आत्मविश्वास है कि हमारा ही डममगा रहा था क्योकिं खाली सडक पर बिल्कुल धीमी गति से चलाता और जब किसी वाहन को ओवरटेक करता तो इतनी तेज की लगता अब ठुकी कार…. तब ठुकी !!!
सांस रोक कर और हम आखे फाड फाड कर उसकी ड्राईविंग देखते रहे और बोलते रहे अब धीरे करो अब तेज करो … एक बार तो उसे झपकी भी आने को हुई तो हमने कहा कि कार रोक कर आराम कर लो तो भी उसने मना कर दिया. जब हमने उससे ये कहा कि कार हम चला लेंगें तो भी उसने इंकार कर दिया कि अगर कुछ हो गया तो … कौन भरेगा…!!! मेरे मन में आया कि कह दूं कि और हमे कुछ हो गया तो उसकी भरपाई कौन करेगा !!! पर चुप रही… !!!
आगे जाकर सामने से धुमावदार रास्ता शुरु हो रहा था.. वो हैरान रह गया कि ये कैसी सडक है … हमने कहा कि कैसी क्या ??? पहाडी रास्ता है … इस पर वो बोला अरे ऐसा कैसा होता है … यानि की वो कभी पहाड पर गया ही नही था उसने तो पहाड ही पहली बार देखा था… हे भगवान !!! ..हमारी सिट्टी पिट्टी गुम की होगा क्या … एक बार दुबारा ट्राई किया कि हम को कार दे दो हम चलाते है इस पर फिर उसने मना कर दिया कि फिर वो सीखेगा कैसे….. मानो सारा सीखना यही से ट्राई करना है … सांस रोकर कार मे बैठे रहे… वही एक साईड का शीशा बंद ही नही हो रहा था … मौसम की ठंड और भीतर की गरमी जबरदस्त तूफान पैदा कर रही थी… जिस तरह से उसकी ड्राईविंग थी…. मैं… मैं तो यहां तक सोचने लगी थी कि कल अखबार की हैड लाईन क्या होगी … कार 50 फुट गहरे खड्डे में गिरी. परिवार के सभी लोग …. !!! रास्ते के साईन बोर्ड मुंह चिढा रहे थे कि आपकी यात्रा सुखद हो और घर पर आपका कोई इंतजार कर रहा है…
जैसे तैसे करके हिल स्टेशन पहुंचे और कार से उतर कर जान में जान आई … और तुरंत होटल के कमरे मे ही धुस गए. हिम्मत ही नही थी कि सैर करने जाए .. वही वापसी की भी चिंता थी क्योकि पहाडों से उतरते वक्त और ज्यादा सावधान रहने की जरुरत होती है … उसे बहुत मनाया कि कार हम लोग चला लेंगें पर उसने मना कर दिया. एक बार मन किया हम दूसरी टैक्सी कर लेते हैं पर बुकिंग इतनी ज्यादा थी कि अगले हफ्ते ही टैक्सी मिल पाती.
खैर, दिन बीता और हम कही धूमने नही निकले… मन ही नही कर रहा था. और हमारा वापिस जाने का समय आ गया. बस भगवान से यही प्रार्थना थी कि सकुशल पंहुचा दे… धडकते दिल से हम कार मे बैठे और एक दूसरे के हाथ कस कर पकड रखे थे. कोई देवी या देवता का स्मरण करना नही छोडा … अम्मा ने तो व्रत भी बोल दिए और जीजी ने प्रसाद … !!!रास्ते में बारिश भी थी और धुंध भी … बस उतरते ही जा रहे थे उतरते ही जा रहे थे… सांस में सांस तब आई जब हम घर के आगे खडे थे. फटाफट कार से सामान निकाला . जान बची सो लाखो पाए …
फिर उसका हिसाब किताब करने बाहर आए तो फिर धूप बत्ती कर रहा था बोला भगवान बहुत ग्रेट है उसने बहुत रक्षा की … मैने वाकई मे , कार मे लगी भगवान जी की फोटो को प्रणाम किया कि रक्षा इन्होने ही की वरना अपना प्रोग्राम तो पक्का ही था उपर जाने का …
पर जाते जाते मैं उसे इतना जरुर बोली कि थोडी प्रैक्टिस और करो … खासकर किसी कार को ओवर टेक करते समय स्पीड का ध्यान रखना जरुरी होता है वो बोला कि जिसने उसे सिखाई वो भी यही बोलता था इसलिए उसने उससे सीखना ही छोड दिया था … मेरे पास अब कहने को कुछ नही बचा और तुरंत घर दौड गई…
अब तो कसम ही खा ली कभी टैक्सी नही करेगें अपनी कार से ही जाएगें कम से कम एंजाय तो कर सकेंगें …इस हिल स्टेशन की यात्रा ने तो पूरा ही हिला कर रख दिया … वैसे आपको एक बात बताऊ कि तस्वीर एक दो तो ली थी पर शक्ल इतनी धबराई हुई और चेहरे से मुस्कान नदारद थी इसलिए डाली ही नही कि कही आप लोग डर ही न जाए !!!
ऐसा अनुभव आप के साथ कभी न हो … शुभकामनाएं !!!!