जिंदगी का फलसफा
दोहरी जिंदगी जीते और जिंदगी का सच निगलते हम लोग .. ये एक ऐसा कडवा सच है जिसे आप और हम जी रहे हैंं.
जिंदगी का सफर
जिंदगी का सच यही है कि वाकई, हम दोहरी जिंदगी जीने लगें हैं एक सोशल मीडिया पर दूसरी असल जिंदगी में.
कुछ दिन पहले मेरा बर्थ डे था. जहां फेसबुक ऑन करते ही शुभकामनाओ की झडी लग गई. हर कोई जानता था और wish किए जा रहा था … वही जब मुझे उसी दिन जब किसी काम से मार्किट जाना पडा तो मुझे अजीब सा लगा क्योकि फेसबुक जहां भरा हुआ था बधाई और केक cake से असल जिंदगी में किसी को पता ही नही था… ह हा हा !! मैने खुद का सिर झटका और खुद पर हंस दी… वाह री सोशल लाईफ !!
रियल लाईफ में मेरी सहेली के नए पडोसी उससे मिलने आए तो मेरी सहेली ने उनसे मिलने में ज्यादा गर्म जोशी नही दिखाई वही जब उसे फेसबुक पर किसी अंजान ने मित्रता भेजी तो उसने न सिर्फ तुरंत स्वीकार कर ली बल्कि मैसेज में स्माईल का भी आदान प्रदान हुआ.
एक अन्य जानकार की नई नौकरी लगी तो सबसे पहले सोशल नेट वर्किंग साईट पर अपने दोस्तों से शुभकामनाएं मांगी और लिखा कि मेरी नई नौकरी को आपके आशीर्वाद की बहुत जरुरत है … जबकि उसने अपने माता पिता को बताना भी जरुरी नही समझा दो दिन बात माता पिता को पता चला तो वो बोले बस आपको बताने ही वाले थे …
एक जानकार ने लिखा वो बीमार है और खूब कमेंटस बटोरे जबकि रियल लाईफ मे उसे कुछ भी नही हुआ था बस ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उसने झूठ लिखा …
वाह री ये दोहरी जिंदगी…
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